वफाउर्रहमान साहब की वफादारी और ईमानदारी की कायल थीं इदिंरा गांधी

वफाउर्रहमान साहब की वफादारी और ईमानदारी की कायल थीं इदिंरा गांधी

ग्यास फारूख, अमृत विचार। वफाउर्रहमान जामई एक ऐसी शख्सियत थे जिनकी वफादारी और ईमानदारी से इंदिरा गांधी भी कायल थीं। वे महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू पूर्व राष्ट्रपति डॉ ज़ाकिर हुसैन, जमीयते उलेमा के संस्थापक मौलाना सय्यद हुसैन एहमद, मौलाना अताउल्लाह शाह बुखारी मौलाना हिफ्जुर्रहमान मौलाना असद मदनी आदि स्वंत्रता संग्राम सेनानियों के नेतृत्व …

ग्यास फारूख, अमृत विचार। वफाउर्रहमान जामई एक ऐसी शख्सियत थे जिनकी वफादारी और ईमानदारी से इंदिरा गांधी भी कायल थीं। वे महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू पूर्व राष्ट्रपति डॉ ज़ाकिर हुसैन, जमीयते उलेमा के संस्थापक मौलाना सय्यद हुसैन एहमद, मौलाना अताउल्लाह शाह बुखारी मौलाना हिफ्जुर्रहमान मौलाना असद मदनी आदि स्वंत्रता संग्राम सेनानियों के नेतृत्व में देश की आज़ादी के लिए अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़े, देश की आज़ादी आंदोलन के दौरान कई बार जेल तो कई बार अंग्रेजी हुक्मरानो की लाठियां भी खाईं, देश की आज़ादी के लिए 10 अगस्त 1942 को बड़े नेताओ और आंदोलनकारियों संग दिल्ली करोल बाग़ से जुलूस निकाल कर अंग्रेज़ो भारत छोड़ो नारा बुलंद किया।

भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आज़ादी दिलाने के लिए बहुत से स्वतंत्रता सेनानियों और क्रांतिकारियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अंग्रेजों को झुकने पर मजबूर करने वालों में महात्मा गांधी का नाम सबसे पहले आता है। इनके अलाव वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई ने भी अपनी बहादुरी के दम पर ब्रिटिश सरकार को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। क्रांतिकारी भगत सिंह, नेता सुभाष चन्द्र बोस, लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक और क्रांतिकारी अशफ़ाक़ुल्ला खां के अलावा आखिरी मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद, खान अब्दुल गफ्फार खां, जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी आदि ने आज़ादी की लड़ाई में पूरे दिल-ओ-जान से हिस्सा लिया।

वफाउर्रहमान जामई

वफाउर्रहमान जामई का जन्म टांडा के हकीम मौलाना अब्दुर्रहमान साहब के यहां 10 मार्च 1915 को हुआ था, इन्होने देवबंद, जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी दिल्ली व पंजाब से स्नातक के समकक्ष शिक्षा ग्रहण की, इनका 1935 से 1947 तक जामिया मिल्लिया इस्लामिया दिल्ली से संबंध रहा। वह रामपुर स्टेट असम्बली से एमएलए और 25 साल तक लगातार टाउन एरिया टांडा के चेयरमैन रहे। वह टांडा की तरक्की के लिए निरन्तर प्रयासरत रहे। उन्होंने अपनी राजनैतिक और सामाजिक सेवाओं के ज़रिए अपने नगर टांडा का दूर तक नाम रोशन किया। रियासत के दौर में एमएलए और 25 साल लगातार टाउन एरिया टांडा चेयरमैन रहने के बावजूद ईमानदारी का आलम यह था कि अपने खपरैल पोश खस्ताहाल मकान को अपनी ज़िंदगी में पुख्ता न बनवा सके।

रग-रग में कूट-कूटकर भरी थी मेहमानबाजी
मेहमानबाजी उनकी रग-रग में कूट कूटकर भरी थी। मेहमानों से इस कदर मुहब्बत करते कि बाहर से घर पर आने वाला कोई मेहमान खाना खाये बगैर वापस न जाता। वफाउर्रहमान साहब हमेशा शैक्षिक, सामाजिक और खेलकूद की गतिविधियों में पूरी लगन और दिलचस्पी के साथ हिस्सा लेते। आपसी विवादों और झगड़ों को पंचायत के ज़रिए पूरी मुहब्बत और ख़ुलूस के साथ हल करने पर यकीन रखते। पंचायत के राजीनामे भी खुद अपने हाथ से तहरीर करते। वफ़ा साहब ने अपनी चेयरमैनी के दौर में अपने परिवार या परिचितों को नियम विरुद्ध कोई लाभ कभी नहीं पहुंचाया और न अपने परिवार के किसी सदस्य के नाम कोई सरकारी आराजी का आवंटन किया। अपने वतन हिंदुस्तान से बेपनाह मुहब्बत करने वाले, एक ईमानदार और विभिन्न खूबियों के मालिक स्वतंत्रता सेनानी वफाउर्रहमान जामई का 5 जून 1990 को निधन हो गया।

आज़ादी के बाद बेटो संग जेल भी गए वफाउर्रहमान जामई
वफ़ा साहब के तीन साहबज़ादे हुए जिनमें सबसे बड़े डाक्टर मसूदुज़्ज़फ़र रहमानी जो आखिरी वक्त तक जमीयत उलेमा से वाबस्ता रहे, मंझले साहबजादे महमूदुज़्ज़फ़र रहमानी जो 10 साल नगरपालिका परिषद टांडा के चेयरमैन रहे और दोनों का ही निधन हो चुका है। वफ़ा साहब के तीसरे साहबजादे सईदुज़्ज़फ़र रहमानी नगर के सनराइज इंटर कालेज के संस्थापक होने के साथ ही परिषदीय विद्यालय में प्रधानाध्यापक भी हैं। वर्ष 1979 में जनता सरकार मैं जमीयते उलेमा हिंद की मुल्को मिल्लत बचाओ अभियान आंदोलन में भाग लिया और 10 दिन तिहाड़ जेल में काटे, जिसमे तीन बेटे डॉ मसऊद ज़फर रहमानी, मेहमूद ज़फर रहमानी, सईद ज़फर रहमानी भी शामिल रहे।

जीवन और कृतित्व पर प्रकाशित किताब का नहीं हो सका विमोचन
स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय वफाउर्रहमान के जीवन और कृतित्व पर हाल ही में उनके बेटे सईद रहमानी ने अपने दोस्तों ज़ाहिद टांडवी और लईक सैफ़ी के सहयोग से एक पुस्तक प्रकाशित की है। जिसका उनकी पुण्यतिथि पर 5 जून को विमोचन होना था। किंतु रामपुर जनपद में लोकसभा उपचुनाव के चलते आचार संहिता लागू होने के कारण प्रशासन द्वारा कार्यक्रम की अनुमति न दिए जाने पर कार्यक्रम स्थगित करना पड़ा। चुनाव पश्चात सम्बंधित पुस्तक के विमोचन की नई तिथि की घोषण की जाएगी।

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