बरेली: हर साल 10 फीसद बढ़ रहे सांस रोगी

बरेली, अमृत विचार। कोरोना की दूसरी लहर ने जब जिले में दस्तक दी तो बड़ी संख्या में मरीजों में ऑक्सीजन का स्तर कम देखने को मिला था। तमाम मरीजों ने ऑक्सीजन के अभाव में दम तोड़ दिया था। विभागीय आंकड़ों के अनुसार पिछले कई सालों से जिले में सांस रोगियों का ग्राफ बढ़ रहा है। …
बरेली, अमृत विचार। कोरोना की दूसरी लहर ने जब जिले में दस्तक दी तो बड़ी संख्या में मरीजों में ऑक्सीजन का स्तर कम देखने को मिला था। तमाम मरीजों ने ऑक्सीजन के अभाव में दम तोड़ दिया था। विभागीय आंकड़ों के अनुसार पिछले कई सालों से जिले में सांस रोगियों का ग्राफ बढ़ रहा है।
जिला अस्पताल की ओपीडी में भी रोजाना बड़ी संख्या में सांस से जुड़े रोगियों को परामर्श दिया जा रहा है। कोरोना के दूसरी लहर के बाद अस्थमा मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। शहर के विभिन्न अस्पतालों का आंकड़ा देखा जाए तो हर माह 200 से अधिक अस्थमा के मरीज मिल रहे हैं।
विभागीय अधिकारियों के अनुसार हर साल 10 फीसद सांस रोगियों की संख्या में वृद्धि हो रही है। चिंता का विषय यह है कि अगर अस्थमा रोगी की पहचान सही समय पर नहीं हुई तो यह बीमारी आगे चलकर क्रानिक आब्सट्रेक्टिव प्लमोनरी (सीओपीडी) में तब्दील हो जाती है।
जिससे मरीज की स्थिति गंभीर हो जाती है। ऐसे में इस बीमारी का सही समय पर पहचान कर उसका इलाज शुरू करना जरूरी है। जागरुकता के अभाव में अधिकांश लोग काफी देर से चिकित्सक के पास पहुंचते हैं। उसके बाद उनका इलाज शुरू होता है।
अनदेखी बांट रही अस्थमा
कोरोना काल के दौरान प्रदूषण का स्तर काफी कम हो गया था। वहीं, लोग मास्क व सैनिटाइजर का भी नियमित उपयोग करते थे लेकिन अब ये सब छूट रहा है। जिससे अस्थमा के मरीज बढ़े हैं। अस्थमा न सिर्फ प्रदूषण की वजह से होता है बल्कि इसके कई कारण हैं। मौसम में बदलाव, धुएं, जेनेटिक, वायरल इंफेक्शन सहित अन्य कारणों से भी अस्थमा होता है।
इनहेलर से बीमारी होती है नियंत्रित
इनहेलर को लेकर लोगों में भ्रम की स्थिति है, लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि अस्थमा में इनहेलर काफी कारगर है। इससे सीधे लाभ मिलता है, लेकिन इसके उपयोग के तरीके आने चाहिए। अधिकांश लोगों को इसके उपयोग के तरीके नहीं पता हैं। परिणाम स्वरूप इनहेलर का लाभ सही ढंग से नहीं मिल पाता। इनहेलर से बीमारी को पूरी तरह से नियंत्रण में रखा जा सकता है। उसके बाद इनहेलर का उपयोग करने की जरूरत नहीं होती।
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