अहिंसा से नहीं क्रांतिकारियों के खून से अर्जित हुई है स्वतंत्रता : संजय

अहिंसा से नहीं क्रांतिकारियों के खून से अर्जित हुई है स्वतंत्रता : संजय

लखनऊ। इस देश भारत को स्वतंत्रता अहिंसा के बल पर नहीं मिली है,यह गलतफहमी एक वर्ग मे जरिए देश के लोगों में फैलायी गयी कि अहिंसा के बल पर देश को आजादी मिली है, यह वही वर्ग था, जो अंग्रेजों के साथ मिलकर काम करता था। इस देश को अंग्रेजों से आजादी सैन्यबल व क्रांतिकारियों …

लखनऊ। इस देश भारत को स्वतंत्रता अहिंसा के बल पर नहीं मिली है,यह गलतफहमी एक वर्ग मे जरिए देश के लोगों में फैलायी गयी कि अहिंसा के बल पर देश को आजादी मिली है, यह वही वर्ग था, जो अंग्रेजों के साथ मिलकर काम करता था। इस देश को अंग्रेजों से आजादी सैन्यबल व क्रांतिकारियों के खून से मिली है। यह कहना है इतिहास संकलन समिति के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री संजय का।राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री संजय आज राजधानी स्थित विश्व संवाद केंद्र परिसर में सावरकर विचार मंच द्वारा आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। सावरकर विचार मंच ने आज यानी दो मई को काले पानी मुक्ति दिवस के रूप में मनाया।

इस अवसर पर इतिहास संकलन समिति के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री संजय ने लोगों को संबोधित करते हुये कहा कि जल्द ही देश का सही इतिहास लोगों के सामने आयेंगे। यह पाठयक्रम में भी शामिल होगा। उन्होंने कहा कि देश में दो समूह काम कर रहे हैं,एक सावरकर जी को मसीहा बना रहे हैं, दूसरे उन्हें खलनायक बना रहा है। लेकिन जो सच है वह यह है कि अंग्रेज सरकार ने सावरकर को 50 वर्ष की सजा दी, उनके भाई को भी उम्रकैद की सजा सुनाई। इतना ही नहीं उनकी संपत्ति जब्त कर ली गयी। उन्हें जेल में घनघोर प्रताड़ना दी गयी। जिसको जानने भर से मन विचलित हो उठता है। उसके बाद भी वह अपने पथ से नहीं डिगे।

सावरकर गांधी के नहीं शिवाजी के अनुयायी थे

सावरकर पर प्रश्नचिन्ह वह लोग उठा रहे हैं,जिनके जेल जाने से पहले पेरिस से गीजर आता था। सुख सुविधाओं की व्यवस्था दुरूस्त होने के बाद जो लोग जेल जाते थे,वह सवाल उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वीर सावरकर रणनीतिकार थे, उन्होंने यह जानते हुये कि अंग्रेज उन्हें गिरफ्तार कर लेंगे,उसके बाद वह अंग्रेजों का सामना करने पहुंचे।

वह गांधी के नहीं शिवाजी के अनुयायी थे। इस देश को स्वतंत्रता सैन्यबल के जरिए मिली है। जिसमें नेताजी सुभाषचंद्र बोस, सावरकर, चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह समेत सैकड़ो क्रांतिकारियों ने अपने प्राणों की आहुति दी है। इस अवसर पर हाई कोर्ट के पूर्व जज सुधीर कुमार सक्सेना, मेजर जनरल अजय कुमार चतुर्वेदी, डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के चिकत्सा अधिक्षक डॉ. विक्रम सिंह मौजूद रहे।

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