सेना की ताकत को स्टार्टअप से बढ़ाएगा आईआईटी कानपुर, रक्षामंत्री की मौजूदगी में इस संगठन के साथ हुआ करार

सेना की ताकत को स्टार्टअप से बढ़ाएगा आईआईटी कानपुर, रक्षामंत्री की मौजूदगी में इस संगठन के साथ हुआ करार

कानपुर। सेना की ताकत को स्टार्टअप के माध्यम से और बढ़ाने की तैयारी है। आईआईटी कानपुर और रक्षा मंत्रालय के रक्षा नवाचार संगठन (डीआईओ) ने हाथ मिलाया है। दोनों के बीच रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में करार हुआ है। इसके अंतर्गत रक्षा क्षेत्र में उत्कृष्टता के लिए नवाचार (आईडीईएक्स) कार्यक्रम की शुरूआत की गई …

कानपुर। सेना की ताकत को स्टार्टअप के माध्यम से और बढ़ाने की तैयारी है। आईआईटी कानपुर और रक्षा मंत्रालय के रक्षा नवाचार संगठन (डीआईओ) ने हाथ मिलाया है। दोनों के बीच रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में करार हुआ है। इसके अंतर्गत रक्षा क्षेत्र में उत्कृष्टता के लिए नवाचार (आईडीईएक्स) कार्यक्रम की शुरूआत की गई है, जिसमें जल, वायु और थल सेना से संबंधित 38 क्षेत्रों में आ रही समस्याओं को स्टार्टअप के माध्यम से दूर किया जाएगा।

यह समस्याएं उपकरण, मशीन, रक्षा उपकरण और अन्य संसाधनों से संबंधित हैं। रक्षा नवाचार संगठन के माध्यम से स्टार्टअप के आवेदन आएंगे, जबकि आईआईटी के विशेषज्ञ न सिर्फ उसकी गहनता से जांच करेंगे, बल्कि नवाचार को विकसित करने में तकनीकी सहयोग देंगे। कार्यक्रम में हर स्टार्टअप को प्रोटोटाइप बनाने और तकनीक को चालू हालत तक लाने में 1.5 करोड़ रुपये का सहयोग दिया जाएगा।

आईआईटी की ओर से स्टार्टअप इनोवेशन एंड इंक्यूबेशन सेंटर के प्रो. अंकुश शर्मा, सीओओ पीयूष मिश्रा और डिफेंस की ओर से एडिश्नल सेक्रेटरी संजय जाजू समेत अन्य अधिकारी मौजूद रहे। यह एमओयू साइन 22 अप्रैल को दिल्ली के विज्ञान भवन में हुआ।आईआईटी निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने बताया कि यह कार्यक्रम रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता कायम करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

इन क्षेत्रों में होगा काम

जमीन में बिछी माइन्स की पहचान, अत्याधिक ऊंचाई पर सिग्नल की समस्या, ड्रोन को पकड़ने की तकनीक, आर्टिफिशियल सिस्टम पर आधारित मानव रहित वाहन विकसित करना, टी-90 टैंक की तकनीकी दिक्कत, पड़ोसी देशों की ओर से सुरंग खोदने की समस्या, यूएवी की तुरंत पहचान करना आदि शामिल हैं।

अन्य संस्थान करेंगे सहयोग

प्रो. शर्मा के मुताबिक स्टार्टअप के चयन के लिए आईआईटी दिल्ली, बांबे, मद्रास और हैदराबाद का भी सहयोग लिया जाएगा। उनके विशेषज्ञ कई क्षेत्रों के बेहतर स्टार्टअप की तलाश करेंगे।

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