प्रो.राजेश हर्षवर्धन ने कहा- ‘ब्रेन डेड’ व्यक्ति के दिल, फेफड़े समेत कई अंग दूसरे जरूरतमंद व्यक्तियों की बचा सकते हैं जान

प्रो.राजेश हर्षवर्धन ने कहा- ‘ब्रेन डेड’ व्यक्ति के दिल, फेफड़े समेत कई अंग दूसरे जरूरतमंद व्यक्तियों की बचा सकते हैं जान

लखनऊ। अब जरूरतमंद मरीजों में समय से अंग प्रत्यारोपण हो सकेगा। व्यक्ति के ‘ब्रेन डेड’ होने पर अस्पताल अब पुलिस थानों के बजाय सीधे 112 सेवा पर जानकारी देंगे और पुलिस कम समय में अपनी कार्रवाई पूरी कर सकेगी। इस सिलसिले में स्टेट ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांटेशन ऑर्गनाइजेशन की ओर से भेजे गये प्रस्ताव को …

लखनऊ। अब जरूरतमंद मरीजों में समय से अंग प्रत्यारोपण हो सकेगा। व्यक्ति के ‘ब्रेन डेड’ होने पर अस्पताल अब पुलिस थानों के बजाय सीधे 112 सेवा पर जानकारी देंगे और पुलिस कम समय में अपनी कार्रवाई पूरी कर सकेगी। इस सिलसिले में स्टेट ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांटेशन ऑर्गनाइजेशन की ओर से भेजे गये प्रस्ताव को शासन ने मंजूरी दे दी है।

स्टेट ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांटेशन ऑर्गनाइजेशन के नोडल अधिकारी व एसजीपीजीआई अस्पताल प्रशासन के विभागाध्यक्ष प्रो.राजेश हर्षवर्धन ने शनिवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्रस्ताव के मंजूर होने पर इसका लाभ प्रदेश के जरूरतमंद मरीजों को मिल सकेगा।

इससे पहले पुलिस महानिदेशक कार्यालय में ‘अंग और ऊतक दान में पुलिस की भूमिका’ पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि ‘ब्रेन डेड’ व्यक्ति के दिल, फेफड़े समेत कई अंग दूसरे जरूरतमंद व्यक्तियों की जान बचा सकते हैं। उन्होंने कहा कि देश में करीब 60 लाख लोग ऐस हैं, बीमारी के कारण जिनके अंगों ने काम करना बंद कर दिया है।

उत्तर प्रदेश में ऐसे मरीजों की तादाद भारी संख्या में है। ऐसे लोगों को समय पर अंग मिल जाये तो उनकी जांन बचायी जा सकती है। डॉ. राजेश हर्षवर्धन ने कहा कि अंगदान को बढ़ावा मिले इसको लेकर लगातार जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है, ट्रांसप्लांटेशन ऑर्गनाइजेशन इसके लिए लगातार काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि इसी के तहत आज पुलिस को भी जागरूक करने का काम किया गया।

अंगदान प्रक्रिया में अहम रोल

प्रो. राजेश हर्षवर्धन ने बताया कि अंग दान की प्रक्रिया में पुलिस का अहम रोल है। इसी के चलते आज पुलिस मुख्यालय में डीजीपी मुकुल गोयल के नेतृत्व में प्रदेश के जितने भी अस्पताल हैं, जहां पर अंग प्रत्यारोपण होते हैँ, साथ ही उन जिले के पुलिस अधिकारी के साथ एक ऑनलाइन वार्ता की गयी। जिससे पुलिस नियत समय पर कानूनी कार्रवाई पूरी कर सके। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में मृतक दान की दर व अच्छी कार्यप्रणाली को बनाए रखने के लिए पुलिस अहम भूमिका निभा सकती है। इतना ही नहीं मृत अंग दाताओं और अंग प्रत्यारोपण करने वाले अस्पतालों के बीच संबंध बेहतर हो सकते हैं।

दो तरह का होता है अंग दान

प्रो.राजेश हर्षवर्धन ने बताया कि अंग दान दो तरह का होता है, एक जीवित और एक मृत शख्स द्वारा किया गया अंगदान ,उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में जीवित अंग दान खूब हो रहा है,लेकिन दूसरे प्रकार का अंग दान नहीं हो रहा है ,जीवित व्यक्तियों द्वारा किया गया अंग दान सीमित है,जैसे कि किडनी व लीवर प्रत्यारोपण में अंग दान हो रहा है। लेकिन हार्ट जैसे अंग का दान जीवित व्यक्ति द्वारा नहीं किया जा सकता, इसमें मृत व्यक्ति यानी की ब्रेन डेड शख्स के अंगो का उपयोग किया जा सकता है,लेकिन जागरुकता की कमी व समय पर कानूनी कार्रवाई में देरी के चलते यह प्रक्रिया नहीं हो पाती है।

इस प्रक्रिया को नियत समय में पूरा करने में पुलिस अहम भूमिका निभा सकती है। इसलिए डिसीस्ड आर्गन डोनेश बहुत जरूरी है। जिनका ब्रेन डेड हुआ हो उनके ही अंग निकाले जाने लायक होते हैं और जरूरतमंदों को लगाये जा सकते हैं। उत्तर प्रदेश में हर साल सड़क दुर्घटना के चलते 22 हजार लोगों की मौत हो जाती है,एम्स की एक स्टडी में सड़क दुर्घटना में हुयी करीब 22 हजार मौतों में से 50 प्रतिशत मौतें ब्रेन डेड होने की वजह से होती है,उनके अंग काम कर रहे होते हैं,ऐसे मरीजों का जिनका ब्रेन डेड हुआ है,उनका अंग दान हो सकता है,जिससे लाखों उन मरीजों का फायदा हो सकता है,जिन्हें अंग की जरूरत है।

सड़क पर जब भी दुर्घटना होती है तो सबसे पहले पुलिस ही मौके पर पहुंचती है, ज्यादातर मामलों में घायल को पुलिस ही अस्पताल पहुंचाती है। इसी के चलते पुलिस की भूमिका अंगदान की प्रक्रिया में काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है। यदि सड़क दुर्घटना में घायल मरीज अस्पताल पहुंचता है और सारे प्रयास के बाद भी उसकी मौत हो जाती है, साथ ही वह मौत ब्रेन डेड घोषित होती है, तो पुलिस का दायित्व बढ़ जाती है, पुलिस नियत समय यानी की सक्रिय अंगों के जीवित रहने तक कानूनी कार्रवाई कर कई जरूतमंदों की जान बचाने में मदद कर सकती है।

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