मुरादाबाद : रास नहीं आई नौकरी, पुश्तैनी धंधा बन रहा सहारा

अविक सिंह/अमृत विचार । जहां लोग अपने पारंपरिक पेशे से दूर होते जा रहे हैं, वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो उच्च शिक्षा पाने के बाद भी अपने पुश्तैनी कारोबार के लिए नौकरी छोड़ दी। वह नौकरी छोड़कर अपने पुश्तैनी काम को आगे बढ़ा रहे हैं। ऐसा कर वह इस सीजन में प्रतिमाह 25-30 …
अविक सिंह/अमृत विचार । जहां लोग अपने पारंपरिक पेशे से दूर होते जा रहे हैं, वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो उच्च शिक्षा पाने के बाद भी अपने पुश्तैनी कारोबार के लिए नौकरी छोड़ दी। वह नौकरी छोड़कर अपने पुश्तैनी काम को आगे बढ़ा रहे हैं। ऐसा कर वह इस सीजन में प्रतिमाह 25-30 हजार रुपये कमा रहे हैं। जबकि सामान्य माह में 10-15 हजार रुपये कमाते हैं।
ताड़ीखाना निवासी सुनील बताते हैं कि 19 के दशक से उनके घर में चाक पर मिट्टी के बर्तन बनाने का काम हो रहा है। इस काम में पहले उनके दादा, फिर पिता और अब वह खुद इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। अब उनका पूरा परिवार इसी काम में ढल गया है। हर कोई दीये बनाने से लेकर घड़े बना रहा है।
बताया कि उन्होंने बीएएसी बायो से की है। इसके बाद 20 हजार वेतन पर नौकरी शुरू की, लेकिन पुश्तैनी कारोबार को बढ़ाने के लिए नौकरी छोड़ दी। इसके बाद से अपने परिवार के पुश्तैनी पेशे में हाथ बंटाना शुरू किया, ताकि अपनी परंपराओं से जुड़े रहे। इन दिनों लोग बढ़ती गर्मी में प्यास बुझाने के लिए घड़े की खरीदारी कर रहे हैं। इन घड़ों की बिक्री का सीजन अप्रैल से जुलाई तक रहता है। सीजन में हर माह 25-30 हजार रुपये कमा लेते हैं। बताया कि एक दिन में 20-22 घड़े बिक रहे हैं। घड़ा 100-250 रुपये तक का है।
बदलते वक्त के साथ लुप्त हो रही परंपरा
बदलते वक्त के साथ पारंपरा लुप्त होती जा रही है। अब लोग भी अपने पुस्तेनी काम से लेकर पारंपराओं से दूरी बना रहे है, क्योंकि अच्छी शिक्षा प्राप्त कर नौकरियां पा रहे हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी है जो अपने पुश्तैनी को आगे बढ़ा रहे, ताकि अपनी परंपराओं से जुड़े रहे।
पांच माह में कमा रहे इतने पैसे
मार्च से जुलाई तक गर्मी अपना प्रचंड रूप दिखाती है। इन दिनों गर्मी का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। ऐसे में लोग अपने स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए घंडे में पानी पीना उचित समझ रहे हैं। यही वजह है कि मांग अधिक हो गई है। हर माह 25-30 हजार रुपये कमा रहे हैं। अगर, हम बात करें पांच माह की तो करीब 1 लाख से 20 हजार कमा रहे हैं। जबकि नौकरी तो केवल 80 हजार ही कमा पाते थे।
लॉकडाउन के बाद बढ़ी मांग
कोरोना संक्रमण में चिकित्सकों ने लोगों को फ्रीज का पानी न पीने की हिदायद दी, जिसके बाद से लोगों ने इसे गंभीरता से लिया और फ्रीज के पानी से दूरी बना ली। ऐसे में लोगों ने ठंडे पानी से अपनी प्यास बुझाने के लिए विकल्प के रूप में घंडे को तालाशा। इसक बाद से मांग अधिक हो गई।
प्रदर्शनी में ले चुके हिस्सा
तीन साल पहले रामलीला ग्राउंड में प्रदर्शनी लगाई थी। इसमें हाथ से बने उत्पादों पर जोर दिया गया था। उस दौरान उन्होंने भी हिस्सा लिया था। इसके माध्यम से तीन से चार दिनों में सात से आठ हजार रुपये कमा सके थे। अब वह इसी काम अलग-अलग आइटमों को बनाने के लिए तैयारी कर रहे हैं।
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