मुरादाबाद : विकास का कागजी शोर, रैंक बेहतरी को गिना रहे बड़ी योजनाएं

मुरादाबाद : विकास का कागजी शोर, रैंक बेहतरी को गिना रहे बड़ी योजनाएं

मुरादाबाद,अमृत विचार। 70 वार्ड वाले स्मार्ट सिटी में नागरिक मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं, लेकिन विकास का कागजी शोर अधिक है। 2021 में स्मार्ट सिटी की रैकिंग में प्रदेश में सातवीं रैंक मिली थी। इस बार नंबर एक पर आने की कसरत बड़ी योजनाओं के नाम पर हो रही है, लेकिन वार्डों में …

मुरादाबाद,अमृत विचार। 70 वार्ड वाले स्मार्ट सिटी में नागरिक मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं, लेकिन विकास का कागजी शोर अधिक है। 2021 में स्मार्ट सिटी की रैकिंग में प्रदेश में सातवीं रैंक मिली थी। इस बार नंबर एक पर आने की कसरत बड़ी योजनाओं के नाम पर हो रही है, लेकिन वार्डों में टूटी सड़क व नाली, हर ओर पसरी गंदगी स्मार्ट सिटी की पोल खोल रही है। मुरादाबाद दूसरे चरण में स्मार्ट सिटी में शामिल हुआ। कागज में तो इसे यह दर्जा मिल गया, लेकिन सुविधाओं के मामले में यह इसके करीब नहीं है।

तैयारी

  • कूड़ा निस्तारण प्लांट नहीं हुआ सक्रिय, घरों से कूड़ा उठान में चार कंपनी, फिर भी हर मोहल्ले में निजी सफाईकर्मी
  • सिटीजन फीडबैक को नागरिकों को नहीं है पोर्टल की जानकारी
  • विभिन्न मानकों पर होनी है 500 अंकों की रैंकिंग

हालांकि अब स्मार्ट सिटी मिशन में करोड़ों रुपये से महत्वाकांक्षी परियोजनाएं चल रही हैं, लेकिन अभी मंजिल तक एक भी परियोजना नहीं पहुंच पाई है। इन परियोजनाओं में नगर आयुक्त के शिविर कार्यालय परिसर स्थित 202 करोड़ से बन रहे सिटी कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम, जिसमें लगे सीसीटीवी कैमरे की जद में पूरा महानगर है। इसके जरिए पूरे महानगर में यातायात व्यवस्था की निगरानी होगी। मुफ्त वाई-फाई के लिए 20 स्टेशन, एयर क्वालिटी कंट्रोल बेस स्टेशन, 25 ई-बसों का संचालन आदि है, लेकिन एक भी परियोजना ऐसी नहीं, जिसे पूरा करने के नाम पर निगम प्रशासन अपनी उपलब्धि गिना सके। विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने के दो दिन पहले ही सभी का शिलान्यास व कुछ का लोकार्पण कर तो दिया गया, लेकिन चुनाव में सभी के काम ठप रहे।

वहीं, वार्डों में मूलभूत सुविधाओं में शामिल सड़क, नाली, पार्क का सौंदर्यीकरण, सफाई व्यवस्था, घर-घर कूड़ा उठान की लचर स्थिति से बुनियादी सुविधाओं का रोना नागरिक रो रहे हैं। सबसे अधिक सफाई व्यवस्था की लाचारी नागरिकों की परेशानी का सबब है। न तो सफाईकर्मी नाली व सड़क की सफाई नियमित कर रहे हैं और न चार कंपनी को ठेका देने के बाद घर-घर कूड़ा उठान की सुविधा ही वार्डों में सुचारू है।

यहां तक कि भाजपा के कई पार्षद, जिसमें नगर निगम कार्यकारिणी के उप सभापति और पार्षद दल के वरिष्ठ नेता भी घर-घर कूड़ा उठान व्यवस्था को बकवास और निगम प्रशासन द्वारा सरकारी पैसे की बर्बादी बताकर इसे कटघरे में खड़ा किया है। हर वार्ड में निजी स्तर पर सफाई कर्मी कूड़ा उठान कर रहे हैं। नागरिक सुविधाओं की पड़ताल में कमोवेश हर वार्ड में सफाई व्यवस्था बदतर मिली। कूड़ा निस्तारण प्लांट भी अब तक सक्रिय नहीं हो पाया। हालांकि महापौर शहर के चतुर्दिक विकास का दावा करते नहीं थकते हैं।

स्मार्ट सिटी की रैंकिंग के प्रमुख आधार सिटीजन फीडबैक में किस पोर्टल पर फीडबैक देना यह भी शहर के नागरिकों को नहीं पता है। जबकि 7500 अंकों की रैंकिंग विभिन्न मानकों पर होनी है। अपर नगर आयुक्त अनिल कुमार सिंह का कहना है कि वार्डों में घर-घर कूड़ा उठान के लिए चार एजेंसी नामित हैं। मार्च बाद इनके कार्य की समीक्षा होगी। निरीक्षण में कमियां मिलने पर कई को नोटिस दिया गयाा है। नये सिरे से इनके कार्य का निर्धारण मार्च के बाद किया जाएगा।

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