मुरादाबाद पुलिस में जबरिया रिटायर का संदेश सोशल मीडिया पर वायरल, यूपी पुलिस ने बताया अफवाह

मुरादाबाद पुलिस में जबरिया रिटायर का संदेश सोशल मीडिया पर वायरल, यूपी पुलिस ने बताया अफवाह

सौरभ सिंह/अमृत विचार। सोशल मीडिया पर एक संदेश तेजी से वायरल हो रहा है। इसमें मुरादाबाद पुलिस में 50 साल से अधिक उम्र के पुलिसकर्मियों को जबरन रिटायर करने की बात कही गई है। हालांकि सोशल मीडिया पर तैर रही इस खबर पर खुद यूपी पुलिस ने संज्ञान लिया है और साफ कर दिया है …

सौरभ सिंह/अमृत विचार। सोशल मीडिया पर एक संदेश तेजी से वायरल हो रहा है। इसमें मुरादाबाद पुलिस में 50 साल से अधिक उम्र के पुलिसकर्मियों को जबरन रिटायर करने की बात कही गई है। हालांकि सोशल मीडिया पर तैर रही इस खबर पर खुद यूपी पुलिस ने संज्ञान लिया है और साफ कर दिया है कि वायरल संदेश फर्जी है। वहीं यूपी पुलिस के इसी ट्वीट को अब स्थानीय अधिकारियों ने अपने हैंडल से रीट्वीट किया है।

जानकारी के मुताबिक रविवार की सुबह सोशल मीडिया पर उत्तर प्रदेश सरकार का एक आदेश तेजी से वायरल होना शुरू हुआ। इसमें कहा गया है कि उत्तर प्रदेश में योगी सरकार-2 के गठन से पहले ही 50 साल की उम्र पूरी कर लेने वाले पुलिस कर्मियों की स्क्रीनिंग शुरू हो गई है। जल्द ही इन सभी पुलिसकर्मियों को जबरन रिटायर कर दिया जाएगा। इसके लिए सरकार ने स्क्रीनिंग कमेटी का गठन कर दिया है। वायरल संदेश में एडीजी कार्मिक का आदेश भी चश्पा किया गया है।

डिजीटल प्लेटफार्म पर यह संदेश आते ही लोगों ने इसे योगी सरकार का रिटर्न गिफ्ट बताते हुए खूब शेयर, लाइक और रीट्वीट किया। इधर, मामला संज्ञान में आते ही यूपी पुलिस ने सफाई दी है। पुलस ने अपने ट्वीटर हैंडल से इस संदेश का खंडन करते हुए सफाई दी है कि 50 वर्ष में पुलिस कर्मियों को सेवानिवृत्त करने की अफवाह फैलाई जा रही है। इस तरह का आदेश पूरी तरह तथ्यहीन हैं। सरकार के स्तर से ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया गया है। यूपी पुलिस के इस ट्वीट को स्थानीय अधिकारियों ने अपने व्यक्तिगत और सरकारी हैंडल से लाइक और रीट्वीट किया है।

वर्ष 1985 में जारी हुआ था शासनादेश
यूपी पुलिस ने अपने टि्वटर हैंडल से दिए जवाब में बताया है कि अक्षम पुलिस कर्मियों की अनिवार्य सेवानिवृत्ति के लिए 26 अक्टूबर 1985 को एक शासनादेश जारी हुआ था। इसके तहत सभी विभागों में अक्षम सरकारी कर्मचारियों की अनिवार्य सेवानिवृत्ति के प्रक्रिया की जाती है। इस प्रक्रिया के अंतर्गत ऐसे कार्मिकों की स्क्रीनिंग की जाती है, जिनकी आयु 50 वर्ष हो गई है और उनकी सत्य निष्ठा संदिग्ध है तथा कार्य एवं आचरण भी शासन व विभागीय हित के अनुकूल नहीं है। शासनादेश के क्रम में गठित स्क्रीनिंग कमेटी द्वारा विचारोपरांत ऐसे नामों पर विचार किया जाता है, जिनका सेवा में बने रहना विभाग के हित में नहीं हैं और जिन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति के योग्य समझा गया है।

हर साल होती है समीक्षा
यूपी पुलिस ने बताया है कि इस शासनादेश के क्रम में ही पुलिस मुख्यालय द्वारा इस तरह की सूचना हर साल मंगाई जाती है। यह एक रुटीन प्रक्रिया है। लेकिन कुछ जनपदों और विभिन्न शाखाओं से सूचना समय रहते नहीं मिल पाने की दशा में यह पुलिस मुख्यालय द्वारा सूचना मांगी गई थी। इस सूचना को आधार बनाते हुए भ्रामक खबरें फैलाई जा रही हैं, जिसका पुलिस मुख्यालय खंडन करता है।

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