मुरादाबाद : अतीत कितना भी सुंदर हो, वर्तमान नहीं बन सकता….गजल सुनाकर लूटी वाहवाही

मुरादाबाद, अमृत विचार। महानगर की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम के तत्वावधान में मिलन विहार स्थित धर्मशाला में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें कवियों ने रचनाएं सुनाकर सभी को मंत्र-मुग्ध कर दिया। गोष्ठी की शुरुआत राजीव प्रखर ने मां शारदे की वंदना के साथ की। मुख्य अतिथि के रूप में ओंकार सिंह और …
मुरादाबाद, अमृत विचार। महानगर की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम के तत्वावधान में मिलन विहार स्थित धर्मशाला में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें कवियों ने रचनाएं सुनाकर सभी को मंत्र-मुग्ध कर दिया। गोष्ठी की शुरुआत राजीव प्रखर ने मां शारदे की वंदना के साथ की। मुख्य अतिथि के रूप में ओंकार सिंह और विशिष्ट अतिथि के रूप में केपी सिंह सरल मौजूद रहे।
इसके बाद नवगीतकार योगेंद्र वर्मा व्योम ने…राजनीति में देखकर छलछंदों की रीत, कुर्सी भी लिखने लगी अवसरवादी गीत…और …तनिक भी नहीं संवेदना का जिनमें उल्लेख, राजनीति लिखती रही स्वार्थ पगे आलेख…सुनाकर मौजूदा राजनीतिक हालातों पर कटाक्ष किया। जितेंद्र कुमार जौली ने…चाहे एक खरीदिए चाहें लीजै चार, डिग्री अब यूं बिक रही, ज्यों सब्जी बाजार…सुनाकर शिक्षा व्यवस्था पर कटाक्ष किया।
राजीव प्रखर ने….फांसे बैठा है मुझे यह माया का जाल। चावल मुझसे छीन लो, आकर अब गोपाल..सुनाकर बढ़ रहे भ्रष्टाचार का हवाला दिय। प्रशान्त मिश्र ने …जिन्दगी एक शाम बन जाती हैं, जो सवेरा होने के इन्तजार में ढलती जाती हैं.. सुनाकर सभी को मंत्र-मुग्ध कर दिया। नकुल त्यागी ने ….अतीत कितना भी सुन्दर हो वर्तमान बन नहीं सकता, मधुर कितना भी स्वप्न हो यथार्थ बन नहीं सकता.. सुनाकर सभी को तालियां बजाने के लिए मजबूर कर दिया।
इन्दु रानी …. गौरा पलकें खोलती, बोली भरकर शान। शिव जी की बारात में, ही मेरा सम्मान…सुनाकर शिव जी को नमन किया। ओंकार सिंह ओंकर’ ने…नफरत को मुहब्बत में बदलने नहीं देते, हैं कौन जो दुनिया को संभलने नहीं देते…गजल सुनाकर वाहवाही लूटी। वहीं केपी सिंह सरल, रामदत्त द्विवेदी, मीनाक्षी ठाकुर और डॉ. मनोज रस्तोगी ने भी अपनी कविताएं सुनाकर सभी को मंत्र-मुग्ध कर दिया।
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