आगरा: 15 मिनट देर से खुली शाहजहां और मुमताज की असली कब्रें, दक्षिणी गेट खोलने की उठी मांग

आगरा। संगमरमरी हुस्न की अनूठी स्मारक ताजमहल का निर्माण कराने वाले मुगल बादशाह शाहजहां और उनकी बेगम मुमताज महल की असली कब्रें देखने का मौका रविवार से मिलने जा रहा था। पूरे साल में सिर्फ एक बार तीन दिन के लिये इन कब्रों को जनता के अवलोकनार्थ खोला जाता है। उर्स के दौरान पहले दिन …
आगरा। संगमरमरी हुस्न की अनूठी स्मारक ताजमहल का निर्माण कराने वाले मुगल बादशाह शाहजहां और उनकी बेगम मुमताज महल की असली कब्रें देखने का मौका रविवार से मिलने जा रहा था। पूरे साल में सिर्फ एक बार तीन दिन के लिये इन कब्रों को जनता के अवलोकनार्थ खोला जाता है।
उर्स के दौरान पहले दिन दोपहर 2 बजे ग़ुस्ल की रस्म अदायगी होती है और दूसरे दिन संगदल होती है। अंतिम तीसरे दिन यहां सुबह से ही लंगर और चादरपोशी शुरू हो जाती है। इस दौरान पहले और दूसरे दिन दोपहर 2 बजे से और तीसरे दिन सुबह से ही ताजमहल पर निशल्क प्रवेश की व्यवस्था रहती है।
मुमताज महल की असली कब्रें देखने का मौका रविवार से मिलने जा रहा था। इस दौरान भीड़ ने सारे रिकार्ड तोड़ दिए। 60 हजार के लगभग अकीदतमंदों ने ताजमहल का निशुल्क दीदार किया है।
इस दौरान भीड़ के चलते अव्यवस्थाओं का अम्बार लग गया और लोगों को लम्बी लाइन में घंटों खड़े रहकर कब्र देखने का मौक़ा मिल पाया। उर्स में असली कब्र का दीदार कर लोगों को काफी सुखद अनुभूति हुई।
शाहजहां की असली कब्रगाह का दरवाजा तय समय 2 बजे से 15 मिनट पर खोला गया। कमेटी के अध्यक्ष तहीरुद्दीन ताहिर ने इस पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है की उर्स के आगाज का समय हमेशा तय रहता है पर विभाग के लोग कमेटी को ध्यान नहीं दे रहे हैं।
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