हल्द्वानी: तीसरी बार सायरन बजता है तो तुरंत बंकर में पहुंच जाते हैं

हल्द्वानी, अमृत विचार। नैनीताल जनपद के 18 से ज्यादा युवक-युवतियां यूक्रेन के विभिन्न शहरों में फंसे हुए हैं। ये सभी डर के साए में रात-दिन गुजारने को विवश हैं तो यहां परिजनों की हालत खराब है। हालांकि अभी सभी युवक-युवतियां सुरक्षित हैं लेकिन हमले की आशंका ने यूक्रेन से उत्तराखंड तक लोगों के दिलों में …
हल्द्वानी, अमृत विचार। नैनीताल जनपद के 18 से ज्यादा युवक-युवतियां यूक्रेन के विभिन्न शहरों में फंसे हुए हैं। ये सभी डर के साए में रात-दिन गुजारने को विवश हैं तो यहां परिजनों की हालत खराब है। हालांकि अभी सभी युवक-युवतियां सुरक्षित हैं लेकिन हमले की आशंका ने यूक्रेन से उत्तराखंड तक लोगों के दिलों में बेचैन बढ़ा दी है। जब अमृत विचार की टीम ने यूक्रेन में फंसे युवक-युवतियों के परिजनों से वार्ता की तो उन्होंने अपनी आशंका जताने के साथ केंद्र व राज्य सरकार से मदद की गुहार भी लगाई। पेश हैं उनसे बातचीत के कुछ अंश :
दिन हॉस्टल के ऊपरी तल और रात बंकर में गुजर रही
‘भारत, चीन समेत कई देशों के 250 से ज्यादा विद्यार्थी कीव में फंसे हुए हैं। हम सभी छात्र-छात्राएं दिन में खाना पकाने के लिए हॉस्टल के ऊपरी तल पर जा रहे हैं। जैसे सायरन बजता है तो हम अलर्ट हो जाते हैं और तीसरी बार सायरन बजने पर भागकर बंकर में पहुंच जाते हैं। हमारी रात तो बंकर में ही गुजर रही है। भारतीय दूतावास की ओर से अभी तक कोई मदद नहीं मिली है’ यह कहना है श्रुति मेहरा का। उन्होंने मदद के लिए सरकार से गुहार लगाई है।
गौजाजाली उत्तर निवासी प्रमोद मेहरा व गीता मेहरा की इकलौती बेटी श्रुति मेहरा कीव में फंसी हुई है। उन्होंने बताया कि श्रुति ने 2018 में एमबीबीएस के लिए एक मेडिकल यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया था। श्रुति का चौथा साल है। उन्होंने बताया कि यूनिवर्सिटी प्रशासन ने कहा कि रूस हमला नहीं करेगा और 18 मार्च से ऑफलाइन क्लास शुरू हो जाएंगी। इसलिए रूस-यूक्रेन विवाद पर भी बच्चों को नहीं बुलाया। बच्ची सुरक्षित है लेकिन फिर भी दिल में आशंका है। केंद्र सरकार को बच्चों को निकालने के लिए पहल करनी चाहिए।
हमारे फ्लैट्स के आसपास बमबारी हुई, पूरा शहर धमाकों से दहल गया
‘ओडेसा में हमारे फ्लैट्स के आसपास बमबारी हुई थी, पूरा शहर धमाकों से दहल गया था तब से हम सभी विद्यार्थी डरे और सहमे हुए हैं। भारतीय दूतावास से सिर्फ नोटिफिकेशन ही जारी हो रहे हैं। हमारी केंद्र सरकार से गुहार है कि यूक्रेन के अलग-अलग शहरों में फंसे हुए युवाओं को बचाया जाए’ यह कहना है कि हल्द्वानी के अंबा विहार निवासी टिम्सी मेहरा का।
टिम्सी के जीजा पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष संजय रावत ने बताया कि टिम्सी का एमबीबीएस का चौथा साल है। वह रूस-यूक्रेन विवाद के बाद से टिम्सी की वापसी के लिए फ्लाइट बुक कराने का प्रयास कर रहे थे। उन्होंने बताया कि वीडियो कॉल के जरिए टिम्सी से बात कर हिम्मत बंधाई है हालांकि टिम्सी की मां सरोज मेहरा बहुत घबरा रही है। हमारी राज्य व केंद्र सरकार से मांग करते हैं कि यूक्रेन में फंसे भारतीयों को सुरक्षित वतन वापसी कराई जाए।
छह मार्च का टिकट बुक था लेकिन इससे पहले हमला हो गया
‘हम सभी कीव में फंसे हुए हैं, खाने पीने का सामान भी खत्म हो रहा है, सबसे ज्यादा समस्या पीने के पानी की है। हॉस्टल के बाहर पूरा शहर, बाजार सब बंद है, शहर में कर्फ्यू लगा हुआ है। रुपये-पैसे सब हैं लेकिन सामान खरीदने का कुछ इंतजाम नहीं है बहुत ज्यादा परेशानी हो रही है। भारतीय दूतावास को जल्दी कुछ करना चाहिए’ यह कहना है हल्द्वानी के छड़ायल निवासी सृष्टि गुप्ता का। उन्होंने आपबीती मां रीना गुप्ता को बताई।
बनभूलपुरा सरकारी अस्पताल में तैनात डॉ. संजय गुप्ता व रीना गुप्ता की इकलौती बेटी सृष्टि ने वर्ष 2019 में कीव की एक यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस के लिए एडमिशन लिया था यह उनका तीसरा वर्ष है। वह पिछले साल फरवरी में यूक्रेन गई थीं। डॉ. गुप्ता ने बताया कि रूस-यूक्रेन विवाद पर बेटी को बुलाने के लिए बात की थी लेकिन तब यूनिवर्सिटी ने क्रॉक परीक्षा के लिए रोक लिया। अब छह मार्च की फ्लाइट थी लेकिन इससे पहले युद्ध शुरू हो गया। उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन को इसकी जानकारी दे दी है। उन्होंने कहा कि सरकार से उम्मीद है कि बच्चों को सुरक्षित वापस ले आएगी।