बरेली: महानगर कॉलोनी के बाशिंदे बोले-विकास नहीं तो वोट नहीं

बरेली, अमृत विचार। पॉश इलाका होने के बावजूद पीलीभीत बाईपास पर करीब 20 साल पहले विकसित की गई महानगर कॉलोनी आज भी नगर निगम में शामिल नहीं हो सकी है, जबकि महानगर के आसपास बसे क्षेत्र नगर निगम सीमा क्षेत्र में काफी पहले ही शामिल हो चुके हैं। बीडीए ने भी यहां विकास कराने से …
बरेली, अमृत विचार। पॉश इलाका होने के बावजूद पीलीभीत बाईपास पर करीब 20 साल पहले विकसित की गई महानगर कॉलोनी आज भी नगर निगम में शामिल नहीं हो सकी है, जबकि महानगर के आसपास बसे क्षेत्र नगर निगम सीमा क्षेत्र में काफी पहले ही शामिल हो चुके हैं। बीडीए ने भी यहां विकास कराने से हाथ खड़े कर दिए। ग्राम पंचायत धौरेरा माफी में आने वाली इस कॉलोनी में विकास के लिए कोई फंड नहीं है।
यहां करीब ढाई हजार घरों के लोगों को बिजली, पानी, सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए खुद ही रकम एकत्र कर खर्च करनी पड़ रही है। नेताओं की बार-बार वादाखिलाफी से नाराज होकर कॉलोनी के लोगों ने इस बार विधानसभा चुनाव में मतदान न करने की घोषणा की है। उनका कहना है कि जब जनप्रतिनिधियों को कॉलोनी की समस्याओं से वास्ता ही नहीं है तो फिर वे मतदान करने क्यों जाएं?
वर्ष 2002 में निजी बिल्डरों ने महानगर कॉलोनी को विकसित किया था। इसका ज्यादातर हिस्सा ग्राम पंचायत धौरेरा माफी में शामिल है। करीब दो दशक बीत जाने के बाद भी यह कॉलोनी नगर निगम क्षेत्र में शामिल नहीं हो सकी है। कॉलोनी को शहरी सीमा में शामिल करने का प्रस्ताव कई बार भेजा जा चुका है, लेकिन इसकी फाइल शासन में जाते ही डंप हो जाती है। यहां की ज्यादातर सड़कें खस्ताहाल हैं। गड्ढे होने के साथ उनकी बजरी भी उखड़ गई है। पानी की आपूर्ति के लिए ट्यूबवेल के रखरखाब और बिजली के बिल का खर्च, सफाई व्यवस्था आदि का काम नगर निगम नहीं करा रहा।
ऐसे में लोगों को हर महीने निर्धारित रकम जमा करके फंड एकत्र करना पड़ रहा है। इसी धनराशि से सड़कों की मरम्मत, स्ट्रीट लाइट को ठीक कराने, पानी आपूर्ति सहित दूसरी जन सुविधाएं, जो सरकारी संस्था को करना चाहिए, उसके लिए कॉलोनी के लोगों को अपनी जेब से रकम खर्च करनी पड़ रही है। बुनियादी जरूरतों के लिए बाशिंदे तरस रहे हैं। नेता बार-बार कॉलोनी को नगर निगम में शामिल करने और शहर जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराने का वादा हर चुनाव में करते हैं, लेकिन चुनाव बीतने के साथ ही जनप्रतिनिधि इस मुद्दे से मुंह फेर लेते हैं। इसलिए इस बार कॉलोनी के लोगों ने मतदान बहिष्कार करने का फैसला लिया है। रविवार को कॉलोनी के लोगों ने बैनर और तख्तियों पर लिखी मांगों के साथ मतदान न करने को लेकर प्रदर्शन भी किया।
शहरी क्षेत्र में होती कॉलोनी तो स्मार्ट सिटी का भी मिल जाता फायदा
महानगर कॉलोनी के लोगों का कहना है कि स्मार्ट सिटी के तहत जहां दूसरी कॉलोनी-मोहल्लों में पार्कों के सौंदर्यीकरण सहित दूसरे कामों के लिए मोटी रकम खर्च हो रही है लेकिन महानगर जैसी बड़ी कॉलोनी में स्मार्ट सिटी परियोजना का कोई लाभ नहीं मिल पा रहा। महानगर कॉलोनी अगर शहर का हिस्सा होती तो उसे स्मार्ट सिटी परियोजना का लाभ मिलने की संभावना भी होती।
महानगर कॉलोनी के लोग लंबे समय से कॉलोनी के नगर निगम में शामिल होने का इंतजार कर रहे हैं लेकिन इसे लेकर अब तक कोई निर्णय न लिए जाने से कॉलोनी वासियों को काफी दिक्कत हो रही है। इसलिए चुनाव बहिष्कार करने का निर्णय लिया गया है।
-भगवान सिंह पोखरिया
नगर निगम में शामिल न होने से महानगर कॉलोनी की सड़कें दिन प्रतिदिन बदहाल होती जा रही हैं। स्ट्रीट लाइटों को ठीक कराने से लेकर दूसरी जनसुविधाओं का खर्च कॉलोनी के लोगों को वहन करना पड़ रहा है। नेताओं की पैरवी न करने से यह समस्या बनी है।
-प्रदीप कुमार अग्रवाल
महानगर कॉलोनी शहरी सीमा में न होने से शहरी विकास की योजनाएं यहां नहीं क्रियान्वित हो पा रही हैं। ऐसे में इस कॉलोनी का वर्षों से विकास नहीं हो पा रहा है। इसलिए कॉलोनी के लोग मतदान क्यों करें। -रिटायर्ड प्रोफेसर डॉ. एनबी सिंह
सुरक्षा इंतजामों का अभाव है। कॉलोनी खुली हुई है। यहां आए दिन चोरी की घटनाएं हो रही हैं। इसके अलावा कॉलोनी के पार्कों के रखरखाव की स्थिति भी दयनीय है। जनप्रतिनिधियों के ध्यान न देने से समस्याएं खत्म नहीं हो रही हैं। -अजय शर्मा
यह कॉलोनी अगर शहरी सीमा में आ जाए तो काफी हद तक समस्याएं खुद ही समाप्त हो जाएंगी, लेकिन लंबे प्रयाय के बाद भी महानगर कॉलोनी को नगर निगम की सीमा में शामिल नहीं किया जा पा रहा है। -उमाकांत शर्मा
वर्षों से विकास कार्य न होने से कॉलोनी के लोग काफी दिक्कतों से जूझ रहे हैं, जो काम सरकार को कराने चाहिए, उसके लिए कॉलोनी के लोगों को खुद रकम खर्च करनी पड़ रही है। नेता सुन नहीं रहे। -सतीश चंद्र शर्मा
महानगर कॉलोनी के लोग अर्से से तमाम समस्याओं का सामना कर रहे हैं। पार्क बदहाल हैं। सड़कें बन नहीं रही हैं। साफ व्यवस्था का पता नहीं तो लोग मतदान क्यों करें। -केबी जौहरी
कॉलोनी के लोग विकास कार्य न होने से नाराज हैं। जनप्रतिनिधियों के दावे सपने बनकर रह गए हैं। इसलिए, चुनाव में बहिष्कार का निर्णय लिया गया है, ताकि सिस्टम की आंखें खुल सकें। -विनीत कपूर
कॉलोनी में ज्यादातर सेवानिवृत्त अफसर और बड़े व्यवसायी रहते हैं। कॉलोनी से टैक्स के रूप से मोटी रकम सरकार के खाते में जाती है, लेकिन नगर निगम में शामिल न होने से यहां विकास कार्य नहीं हो पा रहे हैं। -सुधीर उपाध्याय