उत्तराखंड की इस झील से जुड़ा है महाभारत के सबसे बलशाली पात्र भीम का नाम, दीदार को पहुंचते हैं देशी-विदेशी सैलानी

उत्तराखंड की इस झील से जुड़ा है महाभारत के सबसे बलशाली पात्र भीम का नाम, दीदार को पहुंचते हैं देशी-विदेशी सैलानी

देवभूमि उत्तराखंड की वादियां प्राकृतिक नजारों से भरी हुई हैं। यहां प्रकृति की सौगात कदम पर कदम पर देखने को मिलती है। कुमाऊं क्षेत्र में स्थित एक ऐसा ही मनोहारी स्थान है भीमताल, जहां मानो प्रकृति जमीं पर ही उतर गई हो। यही वजह है कि देश-विदेश के सैलानी यहां बरबस ही खींचे चले आते …

देवभूमि उत्तराखंड की वादियां प्राकृतिक नजारों से भरी हुई हैं। यहां प्रकृति की सौगात कदम पर कदम पर देखने को मिलती है। कुमाऊं क्षेत्र में स्थित एक ऐसा ही मनोहारी स्थान है भीमताल, जहां मानो प्रकृति जमीं पर ही उतर गई हो। यही वजह है कि देश-विदेश के सैलानी यहां बरबस ही खींचे चले आते हैं।

भीमताल झील समुद्र तल से 1370 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। यह झील नैनीताल की झील से बड़ी है। यहां का एक और आकर्षण झील के मध्य स्थित टापू पर बना मछलीघर है। पर्यटक इस मछलीघर पर नाव से आ जा सकते हैं। झील तट से टापू की दूरी 98 मीटर है। यहां पर 17वीं शताब्दी का बना भगवान भीमेश्वर महादेव का मंदिर है। इस झील की भौगोलिक स्थित और खूबसूरती को देख कश्मीर की डल झील की छवि सामने आती है।

भीमताल झील के बीचों बीच स्थित टापू।

स्कंदपुराण के मानस खंड में सबसे पहले भीमताल झील का वर्णन मिलता है। भीमसरोवर झील को तृषि सरोवर भी कहा जाता है। मानस खंड के अनुसार सनत कुमार सरोवर, नल सरोवर, दमयंती सरोवर राम सरोवर, और सीता सरोवर के मध्य भीमताल है। कहा जाता है कि एक बार भीम हिमालय में अकेले ही आए थे। रास्ते में उन्हें रानीबाग के समीप चित्रशिला तीर्थ के दर्शन हुए। चित्रशिला की पूजा अर्चना करने के बाद भीम ने पहाड़ी की चढ़ाई शुरू की।

भीमताल झील पर नौकायन के लिए तैयार नावें।

अभी भीम कुछ ही ऊंचाई पर हिमालय की ओर चढ़े थे कि भीम को भगवान शंकर की आराधना करने को आकाशवाणी ने निदेशित किया। आकाशवाणी ने भीम को शंकर की आराधना के साथ साथ अंजलिदान कर शिवतत्व को प्राप्त करने को निदेशित किया।

माना जाता है कि आकाशवाणी का अनुसरण करते हुए भीम ने अपनी गदा जमीन पर रखी और नैवेद्य वस्त्रादि से शिव की आराधना शुरू की। गदा से गंगा का आहवान करते हुए एक गड्डा खोदा और गड्डे पर जल भर जाने पर जलांजलि शिव को दी। इससे वह जलाशय जलाचरों से भर गया। और बाद में मानवों के बसने पर इस स्थान का नाम भीमताल पड़ा है। भीमेश्वर झील का विशेष महत्व है। मान्यता है कि जो लोग झील में स्नान करते हैं वह देव लोक में आनंदित होते हैं।

सर्द मौसम में बादलों की ओट से ढकी भीमताल झील।

कैसे पहुंचे भीमताल
भीमताल के प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने के लिए आप सड़क, ट्रेन और हवाई सेवा की मदद ले सकते हैं। नजदीकी स्टेशन नैनीताल से भीमताल की दूरी करीब 22 किलोमीटर है। हल्द्वानी से भीमताल की सड़क दूरी करीब 28 किलोमीटर है। पंतनगर एयरपोर्ट से भीमताल की दूरी 58 किमी है। काठगोदाम रेलवे स्टेशन से भीमताल की दूरी करीब 22 किमी है। देश के किसी भी हिस्से से हल्द्वानी आसानी से पहुंचा जा सकता है। हल्द्वानी से टैक्सी अथवा बस से भीमताल आसानी से पहुंचा जा सकता है। इस स्थान की दूरी भवाली से 11 किलोमीटर है।

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