स्वामी प्रसाद मौर्य ने विधायकों साथ की सपा सुप्रीमो से मुलाकात, आज हो सकता है बड़ा ऐलान

स्वामी प्रसाद मौर्य ने विधायकों साथ की सपा सुप्रीमो से मुलाकात, आज हो सकता है बड़ा ऐलान

लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी से बगावत कर मंत्री पद छोड़ने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य ने गुरुवार को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात की। उनके साथ भारतीय जनता पार्टी छोड़ चुके अन्य विधायक भी साथ थे। अब शुक्रवार को स्वामी प्रसाद मौर्य औपचारिक रूप से ऐलान करेंगे। माना जा रहा है कि …

लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी से बगावत कर मंत्री पद छोड़ने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य ने गुरुवार को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात की। उनके साथ भारतीय जनता पार्टी छोड़ चुके अन्य विधायक भी साथ थे। अब शुक्रवार को स्वामी प्रसाद मौर्य औपचारिक रूप से ऐलान करेंगे।

माना जा रहा है कि अब कुछ और विधायक व मंत्री भारतीय जनता पार्टी का दामन छोड़ने की तैयारी में है। यह सब स्वामी प्रसाद मौर्य के संपर्क में है। मकर संक्रांति के दिन समाजवादी पार्टी और स्वामी प्रसाद मौर्य की ओर से संयुक्त घोषणा होगी।

मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य पहली बार अखिलेश यादव से मिले और प्रचार अभियान, रणनीति व टिकट वितरण समय कई मुद्दों पर बात की। उन्होंने अपने संग गए विधायकों व अन्य नेताओं का परिचय भी कराया।

इनमें विनय शाक्य, मुकेश वर्मा, धर्म सिंह सैनी, रोशन लाल, बाला प्रसाद अवस्थी और भगवती सागर शामिल थे। या सभी पहले स्वामी प्रसाद मौर्य के आवास पर एकत्र हुए बाद में अखिलेश से मिलने जनेश्वर मिश्र ट्रस्ट भवन पहुंचे।

इससे पहले मीडिया से बातचीत में स्वामी प्रसाद मौर्य ने भाजपा को सांप नाथ व आरएसएस को नागनाथ बताया, कहा कि वह नेवला के रूप में भाजपा को नेस्तनाबूद कर देंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा अब चुनाव की उसी स्थिति में आ जाएगी जो स्थिति साल 2107 की पहले की थी यानी भाजपा को 45 सीट तक सिमटा देंगे।

स्वामी प्रसाद के संकेत पर धर्म सिंह सैनी, विधायक मुकेश वर्मा, विधायक विनय शाक्य और बाला प्रसाद अवस्थी ने गुरुवार को ही इस्तीफा दिया है। बाला प्रसाद अवस्थी ने इससे पहले सपा विधायक मनोज पांडेय संग जाकर अखिलेश यादव से मुलाकात की।

बाद में उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार में सपा सरकार के मुकाबले काम नहीं हुआ। विधायक मुकेश वर्मा ने भाजपा सरकार द्वारा 5 वर्ष के कार्यकाल में दलित, पिछड़ों और अल्पसंख्यक समुदाय के नेताओं व जनप्रतिनिधियों को कोई तवज्जो नहीं दी गई व दलित, पिछड़ों किसानों व बेरोजगारों की उपेक्षा की गई।

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