मुरादाबाद: टाट-पट्टी की जगह मेज-कुर्सी पर होगी पढ़ाई, फर्नीचर खरीद को मिले 1.56 करोड़ रुपये

विनोद श्रीवास्तव/अमृत विचार। बेसिक शिक्षा परिषद के सरकारी प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, कंपोजिट विद्यालयों में जमीन पर टाट पट्टी पर बैठकर पढ़ने वाले हजारों बच्चों के दिन बहुरने वाले हैं। जिले के 156 स्कूलों के बच्चे जल्द कुर्सी, मेज, बेंच पर बैठ पढ़ाई करेंगे। सरकार ने सर्व शिक्षा अभियान के तहत कुर्सी, मेज, बेंच की खरीद …
विनोद श्रीवास्तव/अमृत विचार। बेसिक शिक्षा परिषद के सरकारी प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, कंपोजिट विद्यालयों में जमीन पर टाट पट्टी पर बैठकर पढ़ने वाले हजारों बच्चों के दिन बहुरने वाले हैं। जिले के 156 स्कूलों के बच्चे जल्द कुर्सी, मेज, बेंच पर बैठ पढ़ाई करेंगे।
सरकार ने सर्व शिक्षा अभियान के तहत कुर्सी, मेज, बेंच की खरीद के लिए 1.56 करोड़ रुपये जारी किया है। इससे 156 स्कूलों में फर्नीचर की खरीद की जाएगी। जिले के 1408 परिषदीय प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और कंपोजिट विद्यालय हैं। इन सरकारी स्कूलों में 1.85 लाख छात्र-छात्राएं पढ़ाई करते हैं। डिजिटल इंडिया के दौर में भी 700 से अधिक स्कूलों के बच्चे जमीन पर टाट पट्टी पर बैठ आज भी पढ़ाई करते हैं। दर्द यह है कि इन बच्चों को कड़ाके की ठंड में भी जमीन पर बैठकर भविष्य संवारने की जद्दोजहद
करनी पड़ रही है।
स्कूल स्मार्ट, जमीन पर बैठते हैं छात्र : नगरीय क्षेत्र के 24 स्कूल भले ही स्मार्ट श्रेणी में शामिल हो गए थे। लेकिन, इसमें से कई में बच्चे अभी भी टाट पट्टी पर बैठ कर शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं। पुलिस लाइंस में संचालित स्कूल में ऐसा ही नजारा है। इस स्कूल में डिजिटल स्क्रीन पर पढ़ाई तो होती है लेकिन, बच्चे
टाट पट्टी पर ही बैठते हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में अभी स्मार्ट क्लास का इंतजार: जिले में नगरीय क्षेत्र के 24 स्कूलों में डिजिटल स्क्रीन पर पढ़ाई होने की सौगात मिली तो वह नगर निगम के स्मार्ट सिटी मिशन के तहत। ग्रामीण क्षेत्र में ऐसी कोई पहल अभी विभाग के एजेंडे में ही नहीं है।
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी बुद्ध प्रिय सिंह ने बताया कि सरकारी स्कूलों में सुविधाएं बेहतर बनाने की पहल हो रही है, जहां तक फर्नीचर की बात है अभी 700 से अधिक स्कूलों में फर्नीचर नहीं हैं। अब सरकार ने 1.56 करोड़ रुपये दिये हैं। इसे 156 स्कूलों में बच्चों के लिए कुर्सी, मेज, बेंच पर खर्च किया जाएगा। स्मार्ट क्लास के लिए विभाग के पास कोई स्वयं का प्रस्ताव नहीं है।