बरेली: जख्म में टांके लगाए बिना जबरन कर दी अस्पताल से छुट्टी, हुआ इन्फेक्शन

बरेली: जख्म में टांके लगाए बिना जबरन कर दी अस्पताल से छुट्टी, हुआ इन्फेक्शन

बरेली, अमृत विचार। शासन भले ही गरीबों को मुफ्त इलाज देने की तमाम योजनाएं चलाए लेकिन स्वास्थ्य विभाग के कुछ लापरवाह कर्मचारी सरकार की मंशा को फेल करने में जुटे हैं। जिला अस्पताल से बेहतर इलाज के लिए लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) रेफर की गई मरीज की वहां के स्टाफ की लापरवाही …

बरेली, अमृत विचार। शासन भले ही गरीबों को मुफ्त इलाज देने की तमाम योजनाएं चलाए लेकिन स्वास्थ्य विभाग के कुछ लापरवाह कर्मचारी सरकार की मंशा को फेल करने में जुटे हैं। जिला अस्पताल से बेहतर इलाज के लिए लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) रेफर की गई मरीज की वहां के स्टाफ की लापरवाही से जान पर बन आई है। आरोप है कि परिजनों से नोकझोंक के बाद लखनऊ के स्टाफ ने खुले जख्म के साथ उसकी अस्पताल से जबरन छुट्टी करा दी। घाव में टांके तक नहीं लगाए। इस कारण इंफेक्शन हो गया। दिक्कत बढ़ने पर परिजनों ने उसे दोबारा जिला अस्पताल में भर्ती कराया है।

बारादरी थाना क्षेत्र के पुराना शहर निवासी शहनाज ने बताया कि उनकी बेटी खुशबू (17) को पेट दर्द की शिकायत थी। इस पर 11 नंबवर को वह खुशबू को जिला अस्पताल लेकर आई जहां डाक्टरों ने खुशबू को देखकर हायर सेंटर किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज लखनऊ रेफर कर दिया। 13 नवंबर को खुशबू को लेकर वह लखनऊ पहुंची जहां पता चला कि उसकी आंत फट गई थी।

14 नवंबर को डाक्टरों ने उसका ऑपरेशन किया। ऑपरेशन के दौरान डाक्टरों ने खुशबू के जख्म पर टांके नहीं लगाए। शहनाज के मुताबिक खुशबू के शरीर के कई हिस्सों में नली पड़ी थी। बावजूद स्टाफ की ओर से गले में नली डालने की बात कही गई जिसको लेकर शहनाज व स्टाफ की नोकझोंक हो गई। इस पर स्टाफ ने शहनाज से अंगूठा लगवाकर जबरन छुट्टी दे दी।

स्टाफ बोला-सुई पकड़ो और खुद लगा लो टांके
जबरन छुट्टी दिए जाने से पहले परिजनों की स्टाफ से खूब नोकझोंक भी हुई। इस दौरान केजीएमयू के स्टाफ ने खुशबू की मां के हाथ में टांके लगाने वाली सुई थमाकर कहा कि आप खुद ही मरीज के टांके लगा लो। इसके बाद मजबूरन शहनाज लखनऊ से बरेली तक खुले जख्म के साथ ही खुशबू को लेकर बरेली लौट आई।

शनिवार को तबियत बिगड़ने पर खुशबू को एक बार फिर जिला अस्पताल में भर्ती कराया जहां डाक्टरों ने बताया कि ज्यादा दिनों तक जख्म खुले होने से इन्फेक्शन हो गया है। जख्म के अंदर की परत जुड़ गई है लेकिन इंफेक्शन के चलते बाहर की परत खुल गई है, जिसमें टांके नहीं लगाए जा सकते। इसलिए खुशबू की एंटी बायोटिक दवाएं चलाई जा रही है। इन्फेक्शन कम होने के बाद जख्म पर टांके लगाए जाएंगे।

इलाज की वजह से मकान तक गिरवी
खुशबू के पिता रिक्शा चलाते हैं। इलाज में आर्थिक तंगी सामने आई तो मां शहनाज ने बेटी के बेहतर इलाज के लिए मकान तक गिरवी रख दिया। बावजूद स्टाफ ने इलाज में लापरवाही बरती। बावजूद, खुशबू को तड़पता देख शहनाज की आंख भर आती है।

अभी लिखित शिकायत नहीं आई है
इस संबंध में मंडलीय अपर निदेशक एवं प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डा. सुबोध शर्मा ने बताया कि मरीज के तीमारदारों की ओर से इस मामले में कोई लिखित शिकायत नहीं आई है। मरीज को बेहतर उपचार उपलब्ध कराने के लिए डाक्टरों को निर्देशित किया गया है।

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