मुरादाबाद: श्रीकेश की हालत अभी भी गंभीर, डॉक्टरों ने ऑपरेशन टाला

मुरादाबाद, अमृत विचार। जिले के सरकारी और निजी अस्पताल में मृत घोषित किए गए नगर निगम में कार्यरत लैंप लाइटर श्रीकेश का मेरठ मेडिकल कॉलेज में सोमवार को भी इलाज जारी है। उसकी हालत में थोड़ा सुधार मगर हालत गंभीर होने की जानकारी उसके बहनोई दीसोंधी लाल ने सोमवार को हुई बातचीत में दी। बहनोई …
मुरादाबाद, अमृत विचार। जिले के सरकारी और निजी अस्पताल में मृत घोषित किए गए नगर निगम में कार्यरत लैंप लाइटर श्रीकेश का मेरठ मेडिकल कॉलेज में सोमवार को भी इलाज जारी है। उसकी हालत में थोड़ा सुधार मगर हालत गंभीर होने की जानकारी उसके बहनोई दीसोंधी लाल ने सोमवार को हुई बातचीत में दी।
बहनोई का कहना है कि श्रीकेश ने आज होंठ हिलाया, आंख में भी प्रतिक्रिया थी, लेकिन अभी होश में नहीं है। चिकित्सक लगातार निगरानी कर रहे हैं। रविवार को आपरेशन के लिए चिकित्सकों ने पहले कहा था फिर हालत गंभीर बताते हुए आपरेशन टाल दिया था।
उन्होंने बताया कि मेरठ मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों का कहना है कि स्थिति में और सुधार होने, होश में आने पर आपरेशन के बारे में निर्णय लिया जाएगा। सिर में गंभीर चोट की वजह से होश आने के बारे में अभी कुछ कह नहीं सकते।
वहीं जिला अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक डाँ शिव सिंह का कहना है कि चार निजी अस्पताल के प्रबंधन से उनके यहां श्रीकेश के इलाज में क्या किया और स्थिति की पूरी रिपोर्ट मांगी है, अभी मिली नहीं है। जिला अस्पताल के इमरजेंसी और मोर्चरी के स्टाफ का बयान बोर्ड में शामिल चिकित्सक ले रहे हैं। चिकित्सकों के गठित बोर्ड और निजी अस्पताल के प्रबंधन की रिपोर्ट मिलने के बाद ही अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचेंगे।
बता दें कि नगर निगम कर्मी श्रीकेश गुरुवार की रात मंडी समिति के पास वाहन दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए थे, जिन्हें शहर के निजी हास्पिटल के अलावा जिला अस्पताल के ईएमओ ने भी मृत घोषित कर रात भर शव गृह में रखवा दिया था। पंचनामा भरने के समय सांस, पल्स चलने की जानकारी पर चिकित्सकों के होश उड़ गए थे।
बाद में एक घंटे चालीस मिनट जिला अस्पताल की इमरजेंसी में बेड नंबर दो पर इलाज करने के बाद शुक्रवार को दिन में 12.45 बजे चिकित्सकों ने उसे मेडिकल कॉलेज मेरठ के लिए रेफर कर दिया था। उसे एएलएस एंबुलेंस से भेजा गया था। प्रमुख अधीक्षक डाॅ. शिव सिंह के द्वारा गठित चार सदस्यीय बोर्ड ने अपनी प्रारभिक रिपोर्ट में इसे सस्पेंडेड एनीमेशन का विरल केस बताया है। अभी जांच चल रही है।
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