भगवान पकवान से नहीं बल्कि शुद्ध भाव से होते हैं प्रसन्न : अजय शास्त्री

भगवान पकवान से नहीं बल्कि शुद्ध भाव से होते हैं प्रसन्न : अजय शास्त्री

बाराबंकी। पत्नी वही है जो अपने पति को पतन के मार्ग पर जाने से रोके और उसे सही मार्ग दिखाएं। उक्त बातें युवा मानस मर्मज्ञ अजय शास्त्री ने बाबा लालता दास जी ने ब्रह्मलीन बाबा प्रेमदास जी की कुटी पर आयोजित श्रीरामचरितमानस सम्मेलन के पांचवे दिन कहीं। श्री शास्त्री ने बताया कि पत्नी को धर्मपत्नी …

बाराबंकी। पत्नी वही है जो अपने पति को पतन के मार्ग पर जाने से रोके और उसे सही मार्ग दिखाएं। उक्त बातें युवा मानस मर्मज्ञ अजय शास्त्री ने बाबा लालता दास जी ने ब्रह्मलीन बाबा प्रेमदास जी की कुटी पर आयोजित श्रीरामचरितमानस सम्मेलन के पांचवे दिन कहीं। श्री शास्त्री ने बताया कि पत्नी को धर्मपत्नी इसीलिए कहा गया है कि वह अपने पति को धर्म के मार्ग पर ले जाए एवं उसे पतन के पथ पर जाने से रोके।

उन्होंने कहा कि भगवान तो वास्तव में प्रेम के भूखे हैं। भगवान पकवान नहीं बल्कि शुद्व भावो से प्रसन्न होते हैं। क्योंकि जीवन में संबंधी भी स्वार्थ बस ही प्रेम करते हैं। जबकि भगवान का प्रेम अपने भक्तों पर अलौकिक होता है। अजय शास्त्री ने आज श्रीरामचरितमानस कथा में भगवान भोलेनाथ व माता सती के विवाह का वर्णन किया। जिसे सुनकर श्रोता जन भाव-विभोर हो गए। इस दौरान शास्त्री जी एवं पन्नालाल प्रेमी जी के भजनों पर भी श्रोता जन झूम उठे।

इस दौरान महंत बाबा लालता दास जी महाराज ने उपस्थित भक्तजनों का आवाहन किया कि वह यज्ञ मंडप की परिक्रमा एवं हवन जरूर करें। उन्होंने सभी भक्तजनों से आग्रह किया कि वह कार्यक्रम में अपना यथासंभव श्रम सहयोग भी प्रदान करें।