अमृत विचार की ग्राउंड रिपोर्ट: बरेली में रामगंगा का जलस्तर बढ़ा तो टूटने लगे बांध, गांवों में घुसने लगा पानी, कई घरों में खाना तक नहीं बना, बोले- अधिकारी कह गए ट्रैक्टर-ट्रॉली में सामान भर लो

अमृत विचार की ग्राउंड रिपोर्ट: बरेली में रामगंगा का जलस्तर बढ़ा तो टूटने लगे बांध, गांवों में घुसने लगा पानी, कई घरों में खाना तक नहीं बना, बोले- अधिकारी कह गए ट्रैक्टर-ट्रॉली में सामान भर लो

रजनेश सक्सेना, बरेली। भीषण बारिश से उत्तराखंड में तबाही के बाद जब नदियों, डैम का पानी छोड़ा गया तो बरेली के भी कई गांव बाढ़ की चपेट में आ गए। रामगंगा का जलस्तर अलर्ट प्वाइंट को छू गया। गुरुवार दोपहर मैं इसकी रिपोर्टिंग के लिए रामगंगा बैराज तक गया था। वहां पर तेज गति से …

रजनेश सक्सेना, बरेली। भीषण बारिश से उत्तराखंड में तबाही के बाद जब नदियों, डैम का पानी छोड़ा गया तो बरेली के भी कई गांव बाढ़ की चपेट में आ गए। रामगंगा का जलस्तर अलर्ट प्वाइंट को छू गया। गुरुवार दोपहर मैं इसकी रिपोर्टिंग के लिए रामगंगा बैराज तक गया था। वहां पर तेज गति से बहते पानी की फोटो वीडियो शूट करने के दौरान ही लोगों की भीड़ वहां पर इक्टठी हो गई। लोगों ने कहा कि भईया, यहां से ज्यादा खराब हालात तो खजुहाई गांव के है। गांव के पास वाला बांध टूट गया है। जिसकी वजह से गांव में पानी भरना शुरू हो गया है। मैनें पूछा कि खजुहाई गांव यहां से कितनी दूरी पर है। तो लोगों ने बताया कि बस सात आठ किलोमीटर ही दूर होगा। लोगों की बात सुनने के बाद मैने अपनी गाड़ी खजुहाई गांव की तरफ मोड़ दी।

रामगंगा ओवरब्रिज से करीब सात आठ किलोमीटर दूर गाड़ी चलाने के बाद मैं खजुहाई गांव में पहुंच गया। पता चला कि यह गांव क्यारा ब्लॉक में पड़ता है। गांव के अंदर जाने वाली सड़क पर मैं अपनी गाड़ी मोड़ पाता उससे पहले ही देखा कि वहां पर सड़क के नीचे तेज स्पीड में पानी बह रहा था। लग रहा था मानो कुछ ही देर में हालात डरावने हो जाएंगे। मैनें लोगों से पूछा कि यह पानी कहां से आ रहा है। तो उन्होंने बताया कि भईया गांव के बीचो-बीच एक बड़ा तालाब है। यह तालाब सीधा रामगंगा से ही जुड़ा हुआ है। मगर सुबह ही रामगंगा का बांध टूट गया। जिसकी वजह से रामगंगा का पानी गांव में आने लगा है। मैनें पूछा कि जहां पर बांध टूटा है क्या वहां तक पहुंचा जा सकता है। इस पर गांव के नेमचंद्र ने कहा कि हां, खेतों के रास्ते वहां पहुंचा जा सकता है। मैने कहा कि ठीक है, फिर मुझे वहां पर ले चलिए… इसके बाद नेमचंद्र मैरी बाइक पर बैठे और टूटे हुए बांध की ओर चल दिए।

मैं नेमचंद्र के साथ टूटे हुए बांध की ओर पहुंच गया। मगर पानी इतनी दूर तक बढ़ चुका था कि बांध के आस-पास भी पहुंचना मुश्किल हो रहा था। इसी बीच वहां आस-पास के किसान भी एकत्र हो गए। कहने लगे पहले कोरोना ने हम लोगों को मारा, फिर बारिश में पूरी फसल बर्बाद कर दी। और अब बचा कुचा इस बाढ़ ने बर्बाद कर दिया। इस साल हमारे पास खाने तक के लाले हो जाएंगे। उर्द, धान की फसल में तो इस बार एक भी दाना न मिला है। जब उनसे पूछा गया कि इस बार आप लोग क्या करेंगे, कैसे इस नुकसान की भरपाई होगी? तो सभी कहने लगे इस सरकार के बारे में बहुत सुना था, मगर हम तो तब जानें जब यह सरकार हमारे इस नुकसान के लिए कुछ करे। वरना हमें तो बच्चों के साथ भूखा ही मरना पड़ेगा। इसी बीच कुछ बच्चों और किसानों ने कहा, गांव में झुग्गी झोपड़ी ढूबना शुरू हो गई है। यह बात सुनते ही मैं वापस नेमचंद्र के साथ गांव की ओर चल दिया।

गांव में जब वापस पहुंचे तो महिलाएं अपनी झोपड़ियों में सामान को हटाने में जुटी हुई थीं। क्योंकि तालाब का पानी झोड़पियों में भरना शुरू हो चुका था। मुझे देखने के बाद महिलाएं बोली- कुछ अधिकारी आए थे, बोले ट्रैक्टर में अपना सामान भर लो, अगर पानी बड़ा तो यहां से भागने में आसानी होगी। इसलिए हम सभी अपना सामान इक्टठा कर रहे हैं। मैंने जब गांव में घूमना शुरू किया तो देखा कि गांव में तालाब का पानी धीरे-धीरे घरों की ओर बढ़ना शुरू हो रहा था। कुछ झोपड़ियां तो डूब भी चुकी थीं। गांव वालों के पास अपने जानवर बांधने के लिए भी जगह नहीं बची थी। इसके बाद मैनें लोगों से बातचीत करना शुरू की।

तो रामश्री ने बताया कि झोपड़ियों में पानी भरने की वजह से उनके घर में आज खाना तक नहीं बना है। बच्चे सुबह से भूखे घूम रहे हैं। मैनें जब उनसे पूछा कि पानी तो अभी भी भरा हुआ है तो फिर बच्चे आज खाना कैसे खाएंगे। तो उन्होंने कहा कि किसी और के घर जाकर आज खाना बनाएंगे। अब एक-दो दिन तो कोई बनवा देगा। मगर हर रोज थोड़ी बनवाएगा। इसी बीच नन्हीं देवी ने बताया कि सुबह से न तो उनके यहां खाना बना है, न ही उनके जानवरों को चारा मिल सका है। आगे उन्होंने कहा कि उनकी धान और उर्द की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई। शासन से अब वह केवल यही चाहती हैं, कि उनकी इस बर्बादी के लिए सरकार कुछ ऐसा करे, जिससे उनके इस नुकसान की भरपाई हो सके। इसी बीच लोग आते गए और अपने-अपने नुकसान के बारे में मुझे बताते गए। कहने लगा कि हम तो बर्बाद हो चुके है… यह सरकार कुछ करे तो हमारी मदद हो जाए।

बांध के लिए हर बार खर्च होता है करोड़ों रुपए, तो फिर कैसे टूट रहे?
गांव के लोगों की माने तो सिर्फ खजुहाई गांव का ही बांध नहीं टूटा, इससे आगे के गांव में भी जहां बांध बना है वो भी टूट गया है। जिसकी वजह से दूसरे गांवों में भी पानी भरना शुरू हो गया। ऐसे में सवाल यह है कि हर वार इन बांध की मरम्मत और निर्माण के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए जाते है। आखिर उन पैसे से मरम्मत की जगह होता क्या है?

यह भी पढ़े –

बरेली में बाढ़: रामगंगा के आस-पास तीन तहसीलों में खतरा, जलस्तर बढ़ने से कटान शुरू, करीब 500 गांव आ सकते हैं बाढ़ की चपेट में

ताजा समाचार

IPL 2025 RCB vs RR :  रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु ने राजस्थान को 11 रन से हराया, विराट की दमदार बल्लेबाजी आई काम
Lucknow News : तीन दिन से खड़ी कार में मिला चालक का शव, फॉरेंसिक टीम ने की जांच, जुटाए साक्ष्य
प्रयागराज : न्याय व्यवस्था में आमजन का विश्वास बनाए रखने के लिए दोषी न्यायिक अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही आवश्यक
Etawah के सफारी पार्क में दूसरे शावक की मौत: शेरनी रूपा अपने ही शावक के ऊपर बैठी, बचे शावकों को दूसरे स्थान पर शिफ्ट किया गया
प्रयागराज : पहलगाम में हुई आतंकवादी घटना में मृत जनों की स्मृति में रखा जाएगा दो मिनट का मौन
Lucknow fire incident : झुग्गी बस्ती में लगी आग, 40 झोपड़ी जलकर राख, दमकल की 12 गाड़ियों ने चार घंटे में पाया आग पर काबू