बरेली: रिसर्च सेल से जुड़कर को-गाइड बन सकते हैं एलुमिनी

बरेली, अमृत विचार। एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय के ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट सेल के सभागार में शनिवार को एलुमनी एसोसिएशन के तहत रुआ-उवाच कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इसमें इंजीनियरिंग संकाय के 1997 -1998 बैच के 03 पूर्व छात्रों यानी एलुमनी को आमंत्रित किया गया था। पहले एलुमिनी आनंद श्रीवास्तव ने 1998 में बी.टेक. इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग से पूर्ण …
बरेली, अमृत विचार। एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय के ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट सेल के सभागार में शनिवार को एलुमनी एसोसिएशन के तहत रुआ-उवाच कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इसमें इंजीनियरिंग संकाय के 1997 -1998 बैच के 03 पूर्व छात्रों यानी एलुमनी को आमंत्रित किया गया था। पहले एलुमिनी आनंद श्रीवास्तव ने 1998 में बी.टेक. इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग से पूर्ण की थी। वर्तमान में वह प्रोग्राम मैनेजर के रूप में एक कंपनी में कार्यरत हैं।
दूसरे एलुमनी प्रतीक सिंह चीफ मैनेजर के रूप में एक कंपनी में कार्यरत है। उन्होंने 1997 में विश्विद्यालय में बी टेक में एडमिशन लिया था। तीसरे कुनीक स्वरूप नेटवर्क और प्लानिंग मैनेजर हैं। इन्होंने 1997 में बी.टेक में एडमिशन लिया था। तीनों ने ही एलुमनी ने अपने पढ़ाई के दौरान विश्वविद्यालय के अनुभव शेयर किए। इसके साथ उन्होंने वर्तमान समय में नौकरियों और उसकी चुनौतियों पर चर्चा की। कार्यक्रम की अध्यक्षता माननीय कुलपति प्रो. के.पी.सिंह ने की।
कुलपति ने कहा कि विदेशों में छात्रों के सभी संस्थान एलुमनी ही चलाते हैं। भारत मे विश्वविद्यालय में सरकार की ग्रांट पर पर सब निर्भर होता है, इसमें परिवर्तन की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय छह लाख छात्र प्रतिवर्ष उत्पन्न करती है। किसी भी विश्वविद्यालय की पहचान उसके एलुमनी से होती है।
यह उसके प्रोड्क्ट होते हैं। एलुमनी एसोसिएशन भविष्य में चाहे तो अपने एलुमिनी के फण्ड से स्कॉलरशिप आरम्भ कर सकते हैं। यह पूर्व छात्रों के माता-पिता के नाम पर कर सकते हैं। आगे चलकर इसके अलग अलग शहरों में चैप्टर्स हो सकते हैं। एलुमिनी विश्वविद्यालय की रिसर्च सेल से जुड़कर को -गाइड बन सकते हैं। कार्यक्रम में प्रो. संजय मिश्रा, प्रो. संजय गर्ग, प्रो. आलोक श्रीवास्तव, प्रो. विनय ऋ षीवाल, डा. अमित सिंह , डॉ अतुल सरोजवाल व छात्र उपस्थित रहे।