हल्द्वानी: डेढ़ सौ गड्ढों से गुजरकर प्रतिदिन जोखिम उठाते हैं चालीस हजार मुसाफिर

हल्द्वानी: डेढ़ सौ गड्ढों से गुजरकर प्रतिदिन जोखिम उठाते हैं चालीस हजार मुसाफिर

हल्द्वानी, अमृत विचार। इंदिरानगर पश्चिम के वार्ड संख्या 33 में गौजाजाली रोड के मात्र एक किमी सड़क पर ही डेढ़ सौ गड्ढे हैं। हैरानी की बात तो इसलिए है कि प्रतिनिधि तकरीबन 40 हजार से ज्यादा मुसाफिर जोखिम भरी इस सड़क से होकर गुजरते हैं, लेकिन जिम्मेदारों की आंखें नहीं खुलती हैं। यही नहीं सड़क की …

हल्द्वानी, अमृत विचार। इंदिरानगर पश्चिम के वार्ड संख्या 33 में गौजाजाली रोड के मात्र एक किमी सड़क पर ही डेढ़ सौ गड्ढे हैं। हैरानी की बात तो इसलिए है कि प्रतिनिधि तकरीबन 40 हजार से ज्यादा मुसाफिर जोखिम भरी इस सड़क से होकर गुजरते हैं, लेकिन जिम्मेदारों की आंखें नहीं खुलती हैं। यही नहीं सड़क की यह दुर्दशा प्रतिदिन कइयों को नुकसान भी पहुंचाती है, लेकिन जिम्मेदारों को इसकी परवाह नहीं।

शहर के इस वार्ड में दस हजार से ज्यादा की आबादी बताई जाती है। इसमें भी ज्यादातर मकान गौजाजाली रोड पर बने हैं। इस रोड का करीब एक किमी का हिस्सा इसी वार्ड में आता है। इतने से क्षेत्र में गड्ढों का डेढ़ शतक होना, अधिकारियों की गंभीरता को प्रकट करता है। गौजाजाली के हजारों की संख्या में लोग बाजार के लिए शहर इसी रास्ते से आते हैं। ऐसे में वाहनों की आवाजाही भी इस मार्ग पर बहुत ज्यादा है।

वहीं इस सड़क पर बसे लोग भी काफी संख्या में यहां रहते हैं, जो अक्सर कई बार इस रोड से गुजरते हैं। एक आंकलन के अनुसार सामान्य स्थिति में चालीस हजार से भी ज्यादा लोग इस रोड से गुजरते हैं। इनमें कई ऐसे हैं जो इस बदहाली के कारण जख्म लेकर घर लौटते हैं।

नहीं हो रही सफाई, खुद उठाते हैं झाड़ू
करीब चार सौ से पांच सौ परिवार इस वार्ड में रहते हैं। आबादी भी दस हजार से ज्यादा बताई जाती है। बावजूद इसके यहां की सफाई व्यवस्था धड़ाम है। लोग इस कदर तंग आ चुके हैं कि अब उन्होंने शिकायत करने से अच्छा खुद ही झाड़ू उठाकर सफाई में जुटना मान लिया है। वार्ड में कई गलियों के लोग खुद ही सफाई कर गंदगी से बचने की कोशिश करते हैं।

नाली में गिरकर हो चुकी है मासूम की मौत
इस वार्ड की गौजाजाली जाने वाली मुख्य सड़क पर बनी नाली जान लेवा भी साबित हो चुकी है। सड़क बिछने से जहां रोड जितनी ऊंची हुई, नाली उतनी ही गहरी हो गई। यहां के रहने वाले तौफीक अहमद बताते हैं कि करीब छह साल पहले एक बच्चा इस गहरी नाली में गिर गया था। उसकी मौत हो गई थी। उसके बाद भी निगम नहीं जागा और नाली उसी स्थिति में कहर बरपाती है।

हलक सुखा देती है पेयजल व्यवस्था
पेयजल संकट से लोग बेहद परेशान है। पुरानी लाइनें घरों तक पानी पहुंचाने में सक्षम नहीं रह गई हैं। गर्मियों में नलकूप भी हाफ जाता है। नतीजा यह कि लोगों को पानी के लिए भटकने को मजबूर होना पड़ता है। वाहनों से सिर पर रखकर उन्हें पानी जुटाना पड़ता है। नई लाइनों को लेकर की गई मांगे भी पूरी नहीं हुई हैं।