पीलीभीत: चार बीघा जमीन के विवाद में पिता और भाई ने की थी अशोक की हत्या

पीलीभीत: चार बीघा जमीन के विवाद में पिता और भाई ने की थी अशोक की हत्या

पीलीभीत, अमृत विचार। ग्यारह महीने बाद आखिरकार अज्ञात युवक की गला दबाकर हत्या करने के मामले में जहानाबाद पुलिस ने खुलासा कर दिखाया। इंस्पेक्टर नरेश कश्यप ने सुरागरसी के बाद सामने आये साक्ष्यों पर जांच की तो शव की पहचान क्षेत्र के ही शातिर अपराधी के रूप में हुई। उसके बाद हत्या की गुत्थी भी …

पीलीभीत, अमृत विचार। ग्यारह महीने बाद आखिरकार अज्ञात युवक की गला दबाकर हत्या करने के मामले में जहानाबाद पुलिस ने खुलासा कर दिखाया। इंस्पेक्टर नरेश कश्यप ने सुरागरसी के बाद सामने आये साक्ष्यों पर जांच की तो शव की पहचान क्षेत्र के ही शातिर अपराधी के रूप में हुई। उसके बाद हत्या की गुत्थी भी सुलझ गई। पिता और बड़े भाई ने ही चार बीघा जमीन को लेकर चल रहे झगड़े में हत्या की थी। पिता को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। आरोपी भाई अभी फरार है।

जहानाबाद थाना क्षेत्र के बालपुर पट्टी नहर पुलिया के बायीं तरफ सात अक्टूबर 2020 को अज्ञात शव बरामद हुआ था। चौकीदार विशनलाल ने इसकी सूचना पुलिस को दी थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गला दबाकर हत्या की पुस्टि हुई थी। इसी आधार पर हत्या कर साक्ष्य मिटाने की धाराओं में अज्ञात पर रिपोर्ट दर्ज दर्ज की गई थी। अभी तक पुलिस छानबीन करती रही, मगर शिनाख्त तक नहीं हो सकी थी। इंस्पेक्टर नरेश कश्यप ने जहानाबाद थाना प्रभारी पद पर कार्यभार संभाला तो विवेचना उन्हें मिली। इसे टास्क के रूप में लेते हुए उन्होने सुरागरसी की।

जिसके बाद शव की शिनाख्त सुंदरनगर गांव निवासी अशोक पुत्र छोटेलाल के रूप में हुई। मृतक के बारे में जानकारी जुटाने पर पता लगा कि वह शातिर हिस्ट्रीशीटर है। सुनगढ़ी थाने में उसके खिलाफ गैंगस्टर की रिपोर्ट भी दर्ज निकली। परिजन से संपर्क किया तो चार बीघा जमीन का झगड़ा पता चला। करीब एक साल से युवक लापता था, फिर भी कोई सूचना पुलिस को परिवार ने नहीं दी। इसे लेकर पुलिस का शक गहराता चला गया। फिर खुलासे तक पहुँचने में देर नहीं लगी। पिता और बड़े भाई बेचेलाल ने ही गमछे से गला दबाकर हत्या की और फिर शव फेंक दिया था। उन्होंने बताया कि पिता की गिरफ्तारी कर जेल भेज दिया है। गमछा भी बरामद हुआ है।

17 जिलों में घूमकर एफआर लगा चुकी थी पुलिस
इस घटना को एक साल पूरा होने को था। इससे पहले विवेचना इंस्पेक्टर हरीश वर्धन सिंह पर थी। शव की पहचान के लिए पुलिस 17 जनपद घूम आई थी। इसके बाद भी सफलता नहीं मिली थी। एक बार एफआर भी लगाकर पल्ला झाड़ लिया था। मगर, सीओ सदर ने उसे वापस कर दिया था।

परिजन गुमशुदगी की तहरीर देने पर फंसे
सुरागरसी के बाद पुलिस को परिजन पर पहले ही शक था। गोपनीय तरीके से छानबीन चल रही थी। उधर, हत्या के बाद भी जब पिता और भाई को जमीन नहीं मिल सकी। तो वह तहरीर देने के लिए आगे आये। हड़बड़ाहट में घटनास्थल का भी जिक्र कर दिया। फिर फंसते चले गए।

पिछले साल अज्ञात शव मिला था। उसकी हत्या पिता और भाई ने ही की थी। खुलासा करके पिता को जेल भेज दिया है। फरार भाई की धरपकड़ को निर्देश दिए हैं। – डॉ. पवित्र मोहन त्रिपाठी, एएसपी