विधानसभा चुनाव से पहले कैबिनेट मंत्री भगत के गढ़ में गजराज ने ठोकी ताल, दी चेतावनी

कालाढूंगी,अमृत विचार। उत्तराखंड विधानसभा चुनाव को महज कुछ ही महीने बचे हैं। ऐसे में राजनेताओं के बीच टिकट पाने और विधायक बनने की लालसा पनपने लगी है। अब भाजपा नेता गजराज सिंह बिष्ट ने कालाढूंगी विधानसभा सीट से विधायक और कद्दावर कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत के गढ़ में फिर अपनी ताल ठोकी है। उन्होंने एक …
कालाढूंगी,अमृत विचार। उत्तराखंड विधानसभा चुनाव को महज कुछ ही महीने बचे हैं। ऐसे में राजनेताओं के बीच टिकट पाने और विधायक बनने की लालसा पनपने लगी है। अब भाजपा नेता गजराज सिंह बिष्ट ने कालाढूंगी विधानसभा सीट से विधायक और कद्दावर कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत के गढ़ में फिर अपनी ताल ठोकी है। उन्होंने एक बार फिर से विस टिकट के लिए अपनी दावेदारी की है। उनकी दावेदारी से कालाढूंगी में सियासी पारा चढ़ गया है।
कालाढूंगी के नयागांव स्थित एक होटल में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान उन्होंने दावेदारी पेश की। कहा कि वह सालों से विधानसभा की समस्याओं के निस्तारण और विकास के लिए काम कर रहे हैं। वह वर्ष 2002 से इस सीट पर दावेदारी कर रहे हैं। विश्वास जताते हुए कहा कि इस बार पार्टी उनके साथ अन्याय नहीं करेगी। विधायक बंशीधर भगत द्वारा अपने पुत्र के लिए इस सीट से टिकट मांगने के सवाल पर बिष्ट ने कहा कि वह मेरे भी पितातुल्य हैं। हो सकता है कि वह मेरे लिए ही टिकट मांग रहे हों। इधर, चुनाव से पहले एक बार फिर गजराज की दावेदारी से सीट पर सियासी पारा चढ़ गया है। मंत्री भगत के समर्थकों के अलावा इस सीट से टिकट की आस लगाए बैठे अन्य दावेदारों के बीच हलचल बढ़ गई है।
संघर्ष गिनाए, सरकार के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी
बिष्ट ने कहा कि कोटाबाग में डिग्री कॉलेज का निर्माण, कालाढूंगी के पर्यटक स्थलों को पहचान दिलाने, तहसील में एसडीएम की स्थाई तैनाती समेत तमाम मुद्दों को लेकर संघर्ष किया है। गजराज बिष्ट ने कहा कि कालाढूंगी में खेल स्टेडियम का काम रुका है। जल्द काम शुरू नहीं हुआ तो वह अपनी सरकार के खिलाफ आंदोलन करने से भी गुरेज नहीं करेंगे।
बोले भगत- कोई भी कर सकता है दावेदारी
कालाढूंगी सीट से विधायक और कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत ने गजराज की दावेदारी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मौजूदा विधायक होने के नाते वह सिटिंग दावेदार हैं। पार्टी में लोकतंत्र है। कोई भी कार्यकर्ता टिकट के लिए दावेदारी कर सकता है। टिकट का निर्णय हाईकमान और संगठन के रणनीतिकारों को करना है।