बरेली: कर्बला के शहीदों कों याद कर 40 साल रोए इमाम सज्जाद
बरेली, अमृत विचार। मोहल्ला गढ़ैया के फूटा दरवाजा स्थित हकीम आगा साहब पर एक मजलिस आयोजित हुई। जिसमें मौलाना शम्स अली बिजनौरी ने खिताब किया। उन्होनें कहा कि इस्लाम धर्म जान लेना नहीं, बल्कि इंसानियत की हिफाजत करना सिखाता है। इमाम हुसैन 28 सफर को कर्बला के लिए रवाना हुए दो मोहर्रम को कर्बला के …
बरेली, अमृत विचार। मोहल्ला गढ़ैया के फूटा दरवाजा स्थित हकीम आगा साहब पर एक मजलिस आयोजित हुई। जिसमें मौलाना शम्स अली बिजनौरी ने खिताब किया। उन्होनें कहा कि इस्लाम धर्म जान लेना नहीं, बल्कि इंसानियत की हिफाजत करना सिखाता है। इमाम हुसैन 28 सफर को कर्बला के लिए रवाना हुए दो मोहर्रम को कर्बला के मैदान में पहुंचे तो यजीदी फौज ने सात मोहर्रम से उनका पानी बंद कर दिया।
खानवादा-ए-रसूल पर ढाए गए जुल्म की दास्तां का जिक्र किया तो अकीदमंदों की आंखे नम हो गईं। गमगीन मसाएब सुनकर लोग सिसकियां लेने लगे। वहीं मौलाना शम्स अली ने कहा कि चौथे इमाम जैनुल आबेदीन अपने पिता इमाम हुसैन समेत 72 शहीदों की याद में 40 वर्ष तक रोए। जब भी इमाम आंख बंद करते थे उन्हें शाम के बाजार का मंजर याद आ जाता था।
बीमारे कर्बला को जंजीरों में जकड़ कर जुल्म ढाए गए। बता दें कि अंजुमन गुलदस्ता-ए-हैदरी, अंजुमन आल इंडिया, कारवांने हुसैन ने नौहाखानी कर कर्बला के शहीदों को पुरसा पेश किया। मजलिस में डा. अकील जैदी, हसन अहमद, अतहर अहमद, नवेद, यासीन मेहंदी, जवाद,कामिल, मौलाना तकी सज्जाद, इमरान, गुलरेज तुराबी, राजा, समेत अन्य लोग मौजूद रहे।