बागेश्वर: केएमवीएन की जमीन पर नहीं फूटा पर्यटन विकास का अंकुर

बागेश्वर: केएमवीएन की जमीन पर नहीं फूटा पर्यटन विकास का अंकुर

अमृत विचार, बागेश्वर। प्रदेश में नए पर्यटन स्थल विकसित करने के उददेश्य से बनी 13 जिले, 13 डेस्टीनेशन योजना कछुवा गति से चल रही है। इसके लिए चयनित कार्यदायी संस्था केएमवीएन अब तक इसका आंगणन तैयार करके शासन को नहीं भेज पाई है। गांव में इस योजना में कार्य न होने पर ग्रामीण मायूस हैं। …

अमृत विचार, बागेश्वर। प्रदेश में नए पर्यटन स्थल विकसित करने के उददेश्य से बनी 13 जिले, 13 डेस्टीनेशन योजना कछुवा गति से चल रही है। इसके लिए चयनित कार्यदायी संस्था केएमवीएन अब तक इसका आंगणन तैयार करके शासन को नहीं भेज पाई है। गांव में इस योजना में कार्य न होने पर ग्रामीण मायूस हैं। वहीं जनपद में पर्यटन विकास को धक्का लगा है।

पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह के कार्यकाल में प्रदेश में पर्यटन विकास के लिए 13 जिले, 13 डेस्टीनेशन योजना चलाई गई थी। जिसके तहत जिला मुख्यालय के नजदीकी गांव जौलकांडे में केएमवीएन की वर्षों से पड़ी भूमि का चयन किया गया।

जिलाधिकारी विनीत कुमार ने भी भूमि का निरीक्षण करके जगह को फाइनल किया था। योजना के तहत यहां पर माउंटेन बाइकिंग सेंटर, हट, रिजॉर्ट बनाने की योजना का जिम्मा लघु सिंचाई विभाग को सौंपा गया। परंतु कुछ दिनों बाद ही योजना के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी केएमवीएन को ही सौंप दी।

केएमवीएन के दो सहायक अभियंता बदल चुके हैं, परंतु अब तक इस योजना का आंगणन ही अंतिम रूप नहीं ले पाया है। जिससे योजना प्रभावित हो रही है। वहीं जनपद के पर्यटन विकास को धक्का लगा है तथा योजना में प्र्रगति न होने पर ग्रामीण मायूस हैं।

अंग्रेजों का पसंदीदा स्थान रहा जौलकांडे
बागेश्वर। जौलकांडे ब्रिटिश काल से ही अंग्रेजों का पसंदीदा स्थान रहा है। यहां पर पूर्व में रेंज कार्यालय स्थित था, अब पुनः यहां पर वन विभाग द्वारा क्रू स्टेशन, रैंज कार्यालय व लीसा डिपो बनाने की तैयारी चल रही है।

मार्ग में व्यू प्वाइंट बनाने की मांग
बागेश्वर। ग्रामीण अशोक लोहनी, नरेश उप्रेती, गणेश नौर्गी, हेमंत बलसूनी, नंदन सिंह आदि ने गांव के लिए पैदल मार्ग हुआ करता था। जिसमें कई लोग ट्रैकिंग करते हैं। उन्होंने इस मार्ग तथा मोटर मार्ग में व्यू प्वाइंट का निर्माण किए जाने की मांग की है। कहा कि इसके लिए जिला योजना से कार्य प्रारंभ किया जाना चाहिए।

जौलकांडे का पर्यटन स्थल से विकास होने पर ग्रामीणों में उम्मीद थी कि गांव का विकास होगा, परंतु अब तक यह प्रयास सार्थक रूप नहीं ले सका है, जिससे ग्रामीण मायूस हैं। गांव का विकास होगा तो पलायन को रोका जा सकता था।
– प्रिया उप्रेती, ग्राम प्रधान जौलकांडे

केएमवीएन अब तक इसका आंगणन नहीं बना पाया है, जिससे ग्रामीण मायूस हैं। विभाग ने दो अभियंता बदल दिए तथा नैनीताल से केएमवीएन के अधिकारी यहां कई दौरा करके गए, परंतु अब तक कार्यवाही न होना विभाग की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह लगाता है।
– नैना लोहुमी, उप प्रधान जौलकांडे

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