बरेली: जन्माष्टमी स्पेशल- हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की जयकारों से गूंजे मंदिर

बरेली: जन्माष्टमी स्पेशल- हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की जयकारों से गूंजे मंदिर

बरेली, अमृत विचार। शहर के प्रमुख मंदिरों में सोमवार को कृष्ण जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। जन्माष्टमी पर शहर के कई मंदिरों को रंग-बिरंगी लाइट से सजाया गया था। रात 12 बजे मंदिरों घंटी बजाकर, शंखनाद कर हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की जयकारों के साथ जन्मोत्सव मनाया गया। जन्माष्टमी के पर्व पर शहर …

बरेली, अमृत विचार। शहर के प्रमुख मंदिरों में सोमवार को कृष्ण जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। जन्माष्टमी पर शहर के कई मंदिरों को रंग-बिरंगी लाइट से सजाया गया था। रात 12 बजे मंदिरों घंटी बजाकर, शंखनाद कर हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की जयकारों के साथ जन्मोत्सव मनाया गया।

जन्माष्टमी के पर्व पर शहर के मंदिरों में सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम किए गए थे। सभी प्रमुख मंदिरों में पुलिस फोर्स तैनात रही। किसी भी प्रकार की कोई अप्रिय घटना से निपटने के लिए मंदिर की सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की गई। इस दौरान कोविड गाइड लाइन का पालन किया गया।

प्रमुख मंदिरों में कोविड गाइडलाइन का पालन करते सुबह से ही भक्त दर्शन और प्रसाद चढ़ाने के लिए पहुंची। दोपहर में मंदिरों के कपाट श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए गए थे। इस बीच मंदिरों में साज-सज्जा का कार्य चलता रहा। शाम को मंदिरों में श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला शुरू हो गया।

शहर के प्रमुख मंदिर श्री बांके बिहारी मंदिर, श्री हरि मंदिर, श्री त्रिवटी नाथ, आनंद आश्रम, पशुपति नाथ, अलख नाथ, लक्ष्मी नारायण, धोपेश्वर नाथ, मढ़ीनाथ, तपेश्वर नाथ, वनखंडी नाथ, बड़ा बाग स्थित हनुमान मंदिर में खूबसूरत सजावट की गई। रंगबिरंगी लाइट और फूलों की सजावट के साथ ही भगवान श्रीकृष्ण की सुंदर झांकियां बनाई गईं। मंदिरों को सजावट को भक्त निहारते रह गए। वे सेल्फी और फोटो लेते रहे। सभी मंदिरों में कोरोना गाइड लाइन का पालन करते हुए भगवान के दर्शन की व्यवस्था की गई थी।

बिना मास्क के नहीं करने दिया प्रवेश
राजेंद्र नगर स्थित बांके बिहारी मंदिर में सुबह से श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। सुरक्षा व्यवस्था के लिए मंदिर के बाहर पुलिस तैनात रही और कोविड के बारे में लाउडस्पीकर पर अनाउंस भी किया जा रहा था। बिना मास्क के मंदिर में परिसर में किसी को जाने नहीं दिया जा रहा था। दोपहर 12 बजे मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए। मंदिर के पुजारियों ने ठाकुर जी के वस्त्र बदले। उसके बाद शाम 5 बजे से मंदिर के द्वार श्रद्धालुओं के लिए दर्शन के लिए खोल दिए गए।

रात 12 बजे हुआ कान्हा का जन्म
श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर शाम से ही मंदिरों में पूजा-अर्चना और भजन का सिलसिला शुरू हो गया। महिलाओं ने ढोल और मंजीरे की थाप पर भजन गाए। रात 12 बजे कान्हा का जन्म हुआ तो मंदिर परिसर शंख और घंटे की आवाज से गूंज उठे। हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल के जयकारों के साथ लोगों ने एक-दूसरे को कान्हा के जन्म की बधाइयां दीं।

अभिषेक के बाद प्रभु की मंगल आरती की
मॉडल टाउन स्थित श्री हरि मंदिर के आचार्य सुनील हरि ने बताया कि सुबह से श्रद्धालु मंदिर में आते रहे। दोपहर 12 बजे मंदिर के कपाट बंद कर शाम 6 बजे से द्वार खोला गया। इसके बाद श्रद्धालु ठाकुर जी के दर्शन-पूजन व प्रसाद चढ़ाने आते रहे। मंदिर में ठाकुर जी को पालने में लिटाया गया। भक्तों ने नंदलाल को झूला झुलाया। आचार्य ने बताया कि कोविड के कारण मंदिर में ज्यादा भीड़ जमा नहीं की गई इसलिए एक-एक कर श्रद्धालु दर्शन करते रहे।

रात में 12 बजे ठाकुर जी का प्राकट्य हुआ। दूध, दही, गंगाजल, शहद, घी से अभिषेक करने के बाद नूतन वस्त्र पहनाकर मुकुट-बांसुरी, पगड़ी आदि वस्त्रों और आभूषणों से सजाया गया। उसके बाद मंगल आरती की गई। तत्पश्चात कतली, मक्खन, नारियल की कतली और पंजीरी का भोग लगाकर प्रसाद भक्तों में बांटा गया।

व्रत रखकर घरों सजाई झांकिया, भोग लगाकर बांटा प्रसाद
जन्माष्टमी पर मंदिरो में भगवान के दर्शन करने के बाद लोगों नेअपने घरों में भी प्रभु श्रीकृष्ण की आकर्षक झांकियां सजाईं। भक्तों ने पूरे दिन व्रत रखकर कान्हा के जन्म का इंतजार किया। किसी ने रात 8 बजे तो किसी ने 12 बजे रोहिणी नक्षत्र में कान्हा का जन्मोत्सव मनाया। पूजा-अर्चना के बाद प्रभु को भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण किया।