तालिबान के ये पांच खूंखार अफगानिस्तान में चलाएंगे हुकूमत, जानें सब कुछ…

नई दिल्ली। काबुल पर कब्जा करने के बाद तालिबान का पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा हो चुका है। नए झंडे की घोषणा के बाद अफगानिस्तान का नाम बदलकर इस्लामिक अमीरात करने का ऐलान भी किया जा चुका है। वहीं, मौलवी हिब्तुल्लाह अखुंदजादा इसका अमीर अल मोमिनीन घोषित हुआ है। अब इसकी नई हुकूमत की कमान पांच …
नई दिल्ली। काबुल पर कब्जा करने के बाद तालिबान का पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा हो चुका है। नए झंडे की घोषणा के बाद अफगानिस्तान का नाम बदलकर इस्लामिक अमीरात करने का ऐलान भी किया जा चुका है। वहीं, मौलवी हिब्तुल्लाह अखुंदजादा इसका अमीर अल मोमिनीन घोषित हुआ है। अब इसकी नई हुकूमत की कमान पांच लोगाें को दी गई है। ये पांचों लोग काफी खूंखार माने जाते हैं। इनमें से कोई कोई आत्मघाती हमलों का मास्टरमाइंड है, तो कोई महिलाओं के हक का दुश्मन। जाने इनके बारे में सब कुछ…
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मौलवी हिब्तुल्लाह अखुंदजादाः फतवों का मास्टर
अरबी में हिब्तुल्लाह का मतलब होता है ईश्वर का तोहफा। अपने नाम के उलट हिब्तुल्लाह अखुंदजादा ऐसा क्रूर कमांडर है जिसने कातिलों और अवैध संबंध रखने वालों की हत्या करवा दी और चोरी करने वालों के हाथ काटने की सजा दी। हिब्तुल्लाह अखुंदजादा 1961 के आस-पास अफगानिस्तान के कंधार प्रांत के पंजवई जिले में पैदा हुआ। वह नूरजई कबीले से ताल्लुक रखता है।
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मुल्ला अब्दुल गनी बरादरः शांति वार्ता का हिमायती
मुल्ला अब्दुल गनी बरादर उन चार लोगों में से एक है जिन्होंने तालिबान का गठन किया था। वो तालिबान के फाउंडर मुल्ला उमर का डिप्टी था। 2001 में अमेरिकी हमले के वक्त वो देश का रक्षामंत्री था। 2010 में अमेरिका और पाकिस्ता ने एक ऑपरेशन में बरादर को गिरफ्तार कर लिया। उस वक्त शांति वार्ता के लिए अफगानिस्तान सरकार बरादर की रिहाई की मांग करती थी।
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मुल्ला मोहम्मद याकूबः तालिबान के फाउंडर का बेटा
तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर की पाकिस्तान में टीबी की वजह से मौत हो गई। इसके बाद माना जाने लगा कि तालिबान में मुल्ला उमर के परिवार का दखल खत्म हो जाएगा। 2016 में मुल्ला उमर का बेटा मुल्ला मोहम्मद याकूब सामने आया। उसने अखुंदजादा को तालिबान चीफ बनाए जाने का समर्थन किया और फिर गायब हो गया।
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सिराजुद्दीन हक्कानीः आत्मघाती हमलों का मास्टमाइंड
सिराजुद्दीन हक्कानी मुजाहिदीन कमांडर जलालुद्दीन हक्कानी का बेटा है। वो अपने पिता के बनाए हक्कानी नेटवर्क को चलाता है। ये नेटवर्क पाकिस्तान सीमा पर तालिबान के फाइनेंशियल और मिलिट्री प्रॉपर्टी की देखरेख करता है।
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मुल्ला अब्दुल हकीमः शरीयत का जानकार और चीफ जस्टिस
अब्दुल हकीम हक्कानी तालिबान के शांति वार्ता टीम का एक सदस्य है। तालिबान के शासन के दौरान मुख्य न्यायधीश रहा धार्मिक स्कॉलर्स की पावरफुल परिषद का प्रमुख है। ऐसा माना जाता है कि तालिबान सरगना हिबतुल्लाह अखुंदजादा अब्दुल हकीम हक्कानी पर सबसे ज्यादा भरोसा करता है।