आईटीबीपी में सहायक कमाडेंट बन दीक्षा ने बढ़ाई चंबल की शान, साफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी छोड़ चुना अपना रास्ता

आईटीबीपी में सहायक कमाडेंट बन दीक्षा ने बढ़ाई चंबल की शान, साफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी छोड़ चुना अपना रास्ता

इटावा। कुख्यात डकैतों के प्रभाव वाले चंबल इलाके की रहने वाली दीक्षा इंडो-तिब्बत बार्डर पुलिस(आईटीबीपी) में सहायक कमाडेंट बनने की वजह से उत्तर प्रदेश के इटावा की हर ओर चर्चा हो रही है। आइटीबीपी में अधिकारी बनने के लिए इस लड़की ने साफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी को भी तिलांजली दे दी। इंडो-तिब्बत बार्डर पुलिस (आइटीबीपी) …

इटावा। कुख्यात डकैतों के प्रभाव वाले चंबल इलाके की रहने वाली दीक्षा इंडो-तिब्बत बार्डर पुलिस(आईटीबीपी) में सहायक कमाडेंट बनने की वजह से उत्तर प्रदेश के इटावा की हर ओर चर्चा हो रही है। आइटीबीपी में अधिकारी बनने के लिए इस लड़की ने साफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी को भी तिलांजली दे दी। इंडो-तिब्बत बार्डर पुलिस (आइटीबीपी) में सहायक कमाडेंट के पद पर तैनात हुई दीक्षा इटावा जिले के पछायगांव की मूल निवासी है।

रविवार को दीक्षा को अन्य प्रतिभागियो के साथ उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने परेड सलामी के बाद बैज लगाकर अधिकारी बनने का तोहफा प्रदान किया। मंसूरी की इंडो-तिब्बत बार्डर पुलिस एकेडमी में पासिंग आउट परेड पास करके पहली बार महिला अधिकारी बनने का गौरव हासिल हुआ। सेना अधिकारी बनने के लिए दीक्षा ने चेन्नई में साफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी छोड़ दी थी।

अधिकारी बनने के बाद दीक्षा अपने गृह जिले इटावा पहुंची जहां पर एक स्कूल मे दीक्षा और उनके परिवार को स्वागत किया गया। दीक्षा ने बताया कि वह शुरू से ही फील्ड जॉब करना चाहती थीं। इसके लिए उन्होंने आइटीबीपी को चुना। उनके पिता कमलेश कुमार ने भी प्रेरणा दी। वह आइटीबीपी पिथौरागढ़ उत्तराखंड में इंस्पेक्टर के पद पर तैनात हैं।

दीक्षा ने संघ लोक सेवा आयोग की सेंट्रल आर्म्ड पुलिसबल की परीक्षा वर्ष 2018 में दी थी। वर्ष 2019 में परीक्षा परिणाम आने के बाद जुलाई 2020 में मसूरी में ट्रेनिंग शुरू हुई थी। दीक्षा ने बताया कि उसने दिल्ली के केंद्रीय विद्यालय सेक्टर-8 आरकेपुरम से कक्षा सात तक पढ़ाई की थी।

उसके बाद कक्षा आठ से 11 तक केंद्रीय विद्यालय लवासना मंसूरी, कक्षा 12 केंद्रीय विद्यालय इंडियन मेडिकल एकेडमी देहरादून से किया। वर्ष 2011 से 2015 तक बीटेक एनआइआइटी श्रीनगर गढ़वाल उत्तराखंड से कंप्यूटर साइंस से किया। उसके बाद चेन्नई की एक कंपनी में नौकरी लग गई थी। दो साल बाद ही वर्ष 2017 में नौकरी छोड़कर दिल्ली में यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी थी। दीक्षा मसूरी एकेडमी में एक साल की ट्रेनिंग का अनुभव बेहद शानदार रहा। वह इसका उपयोग जनता की सेवा में करेंगी।

आईटीबीपी की नवनियुक्त असिस्टेंट कमांडेंट दीक्षा ने कहा कि इस सेवा में जाने की प्रेरणा उन्हें इंस्पेक्टर पिता कमलेश कुमार से मिली। वह 32 साल से आईटीबीपी में बतौर इंस्पेक्टर नौकरी कर रहे हैं। इस समय वह पिथौरागढ़ में तैनात हैं। पिता कमलेश कुमार ने कहा बेटी को मिली कामयाबी को जिंदगी भर नहीं भूल सकते। बेटी पर बेहद गर्व है। उनका बचपन संघर्ष भरा रहा। आईटीबीपी में जाना सौभाग्य रहा। वह जो न कर सके उसे बेटी दीक्षा ने कर दिखाया। बेटियां किसी से कम नहीं हैं। बेटियों का जो मन करे उन्हें करने दिया जाए, ताकि बेटियां आगे बढ़ती रहें। मां ऊषा देवी ने कहा कि दीक्षा ने पूरे परिवार का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है।

दीक्षा को मिली इस बड़ी कामयाबी से इटावा के लोग खुश हैं। इस छोटे से जिले की एक बेटी के देश की सीमा की रखवाली करने की जिम्मेदारी करने से लोगों का सीना गर्व से ऊंचा हो गया है। दीक्षा के गांव पछायगांव के अलावा शहर की विकास कालोनी के लोगों में हर्ष व्याप्त है।

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