पीएम मोदी के तीन कृषि कानून वापस लेने के ऐलान के बाद विपक्ष में मचा घमासान, जानें
लखनऊ। आगामी विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर प्रधानमंत्री ने किसानों को लुभाने के लिए और किसान वोट बैंक मजबूत करने के लिए बड़ा ऐलान किया है। यहां पीएम ने किसानों के तीनों कानून वापस होने के ऐलान के बाद किसानों के चेहरे खिलखिला उठे हैं। बता दें कि 5 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव …
लखनऊ। आगामी विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर प्रधानमंत्री ने किसानों को लुभाने के लिए और किसान वोट बैंक मजबूत करने के लिए बड़ा ऐलान किया है। यहां पीएम ने किसानों के तीनों कानून वापस होने के ऐलान के बाद किसानों के चेहरे खिलखिला उठे हैं।
बता दें कि 5 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरु नानक देव जयंती के प्रकाश उत्सव पर कृषि के तीनों कानून वापस लेकर किसानों को एक बड़ा तोहफा दिया है। पीएम मोदी ने शुक्रवार को तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने का फैसला लिया और विरोध करने वाले किसानों से आंदोलन समाप्त करने का आग्रह किया है।
वहीं, पीएम के इस फैसले के बाद विपक्ष की प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गईं हैं। आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद व यूपी प्रभारी संजय सिंह ने कहा कि, ये मोदी के अन्याय पर किसान आंदोलन की जीत की ढेरों बधाई।
संजय सिंह ने दिया ये बयान…
संजय सिंह ने कहा कि भारत के अन्नदाता किसानों पर एक साल तक घोर अत्याचार हुआ है। जिसमे सैंकड़ों किसानों की शहादत हुई। अन्नदाताओं को आतंकवादी कहकर अपमानित किया गया। आखिर इसपर मौन क्यों रहे प्रधानमंत्री मोदी ? देश समझ रहा है, ये तीनों कानून इसलिए वापस लिए गए हैं। ताकि चुनाव दर चुनाव भारतीय जनता पार्टी को किसान सबक सिखा रहे थे। इसलिए हार के डर से ये कानून वापस लिया गया है। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से यह सबसे लंबा चलने वाला किसान आंदोलन रहा। जिसमें तमाम तरह की यातनाएं उनके ऊपर की गई। इस आंदोलन के दौरान 750 किसानों ने अपनी शहादत दी।
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वहीं, समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अनुराग भदौरिया ने तंज कसते हुए कहा कि कमाल है, भारतीय जनता पार्टी का जब किसी किसान आंदोलन में सैकड़ों किसानों की जान चली गई, तब उनकी उनके तरफ ध्यान नहीं गया। लेकिन अब जब उन्हें एहसास हो गया है कि उत्तर प्रदेश में उनकी सत्ता जा रही है। किसान उनके विरोध में खड़ा है और सत्ता जाने का डर जब सताने लगा तब, उन्होंने तीनों कृषि कानून वापस लेने का फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि यह होती है लोकतंत्र की ताकत, इसलिए बीजेपी भूल जाए तानाशाही। इस हिंदुस्तान में सिर्फ लोकतंत्र चलेगा।