यूपी चुनाव 2022: भाजपा की तीसरी सूची में मिली दलबदलुओं को तरजीह

यूपी चुनाव 2022: भाजपा की तीसरी सूची में मिली दलबदलुओं को तरजीह

लखनऊ। प्रदेश के विधानसभा चुनावों के लिए शुक्रवार को जारी भाजपा के 85 प्रत्याशियों की सूची में दूसरे दलों से आए दावेदारों को ज्यादा तरजीह दी गई हैं। इसी कड़ी में हरदोई नितिन अग्रवाल, रायबरेली से अदिति सिंह, सादाबादा से रामबीर उपाध्याय और मुलायम सिंह के समधी तथा सितारगंज विधानसभा सीट से तीन बार विधायक …

लखनऊ। प्रदेश के विधानसभा चुनावों के लिए शुक्रवार को जारी भाजपा के 85 प्रत्याशियों की सूची में दूसरे दलों से आए दावेदारों को ज्यादा तरजीह दी गई हैं। इसी कड़ी में हरदोई नितिन अग्रवाल, रायबरेली से अदिति सिंह, सादाबादा से रामबीर उपाध्याय और मुलायम सिंह के समधी तथा सितारगंज विधानसभा सीट से तीन बार विधायक रहे हरिओम यादव के नाम हैं।

कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुईं अदिति सिंह को रायबरेली से टिकट दिया गया है। अदिति रायबरेली से कई बार के विधायक रहे स्व. अखिलेश सिंह की पुत्री हैं। इसी प्रकार बसपा से भाजपा में आए पूर्व मंत्री रामवीर उपाध्याय को पार्टी ने सादाबाद विधानसभा सीट मैदान में उतारा है। तीन दिन पहले ही विधानसभा उपाध्यक्ष और समाजवादी पार्टी से इस्तीफा देने वाले नितिन अग्रवाल को हरदोई से मैदान में उतारा गया है।

नितिन अग्रवाल हरदोई के कद्दावर नेता नरेश अग्रवाल के पूत्र हैं और सपा की अखिलेश सरकार में वह राज्यमंत्री भी रहे हैं। मुलायम सिंह के समधी हरिओम यादव को भी टिकट दिया गया है। उन्हें सिरसागंज से मैदान में उतारा गया है। तीन बार से सपा के विधायक रहे हरिओम यादव दस दिन पूर्व ही भाजपा से जुड़े हैं। इसी प्रकार हरचंदपुर सीट से कांग्रेस के टिकट पर पिछला चुनाव जीतने वाले राकेश सिंह काे पार्टी ने टिकट दिया है। पांच दिन पहले भाजपा की सदस्यता लेने वाले शिकोहाबाद से सपा के विधायक ओमप्रकाश वर्मा पर पार्टी ने दांव लगाया है।

ओबीसी व एससी प्रत्याशियों को 60 फीसदी टिकट

सूची में भाजपा ने 60 प्रतिशत टिकट ओबीसी और दलितों को दिये हैं। इससे पहले जारी सूची में भी करीब 60 प्रतिशत ओबीसी और दलितों को टिकट दिये गए थे। 85 उम्मीदवारों की इस सूची में पिछड़ा, दलित, महिला, सामान्य सभी वर्गों की पर्याप्त भागीदारी की छाप दिख रही है। 85 में से 60 प्रतिशत यानी 49 टिकट ओबीसी और अनुसूचित समाज को दिया गए हैं। सामान्य वर्ग के 36 उम्मीदवारों को दूसरी सूची में स्थान मिला है। तीन ओबीसी मंत्रियों और कई विधायकों के पार्टी छोड़कर जाने और पिछड़ों-दलितों की उपेक्षा को लेकर लगाए जा रहे आरोपों को इससे जवाब देने की कोशिश की गई है।

विसअध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित की सीट पर फंसा पेंच

विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित उन्नाव जिले की भगवंतनगर सीट से विधानसभा सदस्य हैं। इस बार वह अपने पुत्र के लिए इस सीट पर टिकट चाहते हैं। इसलिए उन्नाव जिले की इसी सीट पर प्रत्याशी की घोषणा नहीं हुई है। इस सीट पर प्रत्याशी के लिए मंथन जारी है। वहीं रायबरेली की सरेनी को लेकर भी पेंच फंसा है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के आशीवार्द से दो बार इस सीट पर धीरेंद्र बहादुर सिंह को टिकट मिल चुका है लेकिन अब सवाल यह खड़ा हुआ है कि इस दफे धीरेंद्र बहादुर पर कृपा होगी या नहीं ।

आठवीं बार मैदान में ताल ठोकेंगे सतीश महाना

प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री सतीश महाना आठवीं बार विधानसभा चुनाव मैदान में ताल ठोकेंगे। कानपुर छावनी विधानसभा क्षेत्र से वह छह बार विधायक रह चुके हैं। परीसीमन के बाद पार्टी ने महराजपुर सीट से उनको पिछली बार मैदान में उतारा था। यहां भी वह मैदान मारने में सफल रहे । वर्ष 2009 में विधानसभा में पार्टी के उपनेता रह चुके हैं। महाना राजनाथ सिंह, रामप्रकाश गुप्ता के साथ ही योगी आदित्यनाथ की सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं।

लखनऊ की विधानसभा सीटों पर गहन मंथन

पार्टी नेताओं को सबसे ज्यादा माथापच्ची राजधानी लखनऊ की विधानसभा सीटों पर करनी पड़ रही है। लखनऊ पूर्व सीट पर कैबिनेट मंत्री आशुतोष टंडन विधायक हैं। भाजपा के कद्दावर नेता लालजी टंडन के पुत्र आशुतोष का घर लखनऊ पश्चिम में है। इसलिए उन पर बाहरी प्रत्याशी होने का स्थानीय नेता आरोप लगाते हैं। इस वजह से उनकी सीट बदलने को लेकर पार्टी में मंथन चल रहा है। इसी प्रकार सरोजनी नगर में राज्य मंत्री स्वाती सिंह मौजूदा विधायक हैं जबकि प्रदेश उपाध्यक्ष व उनके पति दयाशंकर सिंह भी इस सीट पर दावेदार हैं।

लखनऊ पूर्व से कबीना मंत्री बृजेश पाठक को बख्शी का तालाब सीट से चुनाव लड़ने की संभावनाएं जताईं जा रही है तो वहीं लखनऊ पश्चिमी सीट पर दिवंगत विधायक सुरेश श्रीवास्तव के पुत्र सौरभ श्रीवास्वत के अलावा गृह विभाग के पूर्व अधिकारी नेह श्रीवास्तव के बीच टिकट का पेंच फंसा है। वहीं कैंट विधानसभा सीट पर मौजूदा विधायक सुरेश तिवारी के अलावा, पूर्व मंत्री एवं सांसद रीता बहुगणा जोशी के पुत्र मयंक जोशी के अलावा सपा से भाजपा में आई अपर्णा यादव की दावेदारी है। इसीप्रकार मलिहाबाद विधानसभा सीट पर केंद्रीय राज्य मंत्री व सांसद कौशल किशोर पत्नी के स्थान पर पुत्र को चुनाव लड़ाना चाहते हैं। इन सब झंझावतों को लेकर पार्टी में गहन मंथन चल रहा है। जिसकी वजह से तीसरी सूची में भी राजधानी की किसी सीट पर प्रत्याशी के नाम घोषित नहीं हो सके।

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