ब्रिटिश हुकूमत का नायाब नमूना है उत्तराखंड में बनी 52 डांठ वाली ये नहर

ब्रिटिश हुकूमत का नायाब नमूना है उत्तराखंड में बनी 52 डांठ वाली ये नहर

हल्द्वानी, अमृत विचार। हल्द्वानी से सटे फतेहपुर क्षेत्र में बनी बावन डांठ वाली सिंचाई नहर ब्रिटिश शासनकाल के अनूठे निर्माणों में से एक है। यह ऐतिहासिक धरोहर के साथ-साथ पर्यटन का केन्द्र भी है। पत्थरों और चूने की चिनाई से बनी बावन डांठ नहर के नायाब डिजाइन और मजबूती का अंदाजा इस बात से लगाया …

हल्द्वानी, अमृत विचार। हल्द्वानी से सटे फतेहपुर क्षेत्र में बनी बावन डांठ वाली सिंचाई नहर ब्रिटिश शासनकाल के अनूठे निर्माणों में से एक है। यह ऐतिहासिक धरोहर के साथ-साथ पर्यटन का केन्द्र भी है। पत्थरों और चूने की चिनाई से बनी बावन डांठ नहर के नायाब डिजाइन और मजबूती का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सालों बीतने के बाद भी आज भी बावन डांठ पर टिकी सिंचाई नहर का वजूद जस के तस है। यही वजह है कि बावन डांठ नहर के आकर्षक डिजाइन को देखने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं। क्षेत्र के तमाम गांवों में फसलों को बावन डांठ पर टिकी नहर से ही पानी मिलता है। हालांकि सिंचाई विभाग की उदासीनता और लापरवाही के चलते बांवन डांठ और सिंचाई नहर उपेक्षित पड़ी हुई है।

ब्रिटिश काल में बनी बावन डांठ नहर को देखने दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं।

स्थानीय निवासी नारायण गोस्वामी और किशन मेहता बताते हैं कि एक दौर वह भी था जब भांखड़ा क्षेत्र से आने वाली इस सिंचाई नहर के पानी को उपयोग सिंचाई के साथ-साथ पेयजल के तौर पर भी किया जाता था। लेकिन वक्त बीतने के साथ बावन डांठ और सिंचाई नगर उपेक्षा का शिकार हो गई। इसे संवारने की कवायद तो कई बार हुई, सौंदर्यीकरण और मरम्मत के नाम पर लाखों रुपये भी जारी हुए लेकिन आज दिन तक नहर की हालत और गंदगी जस की तस पड़ी हुई है। कई जगह नहर और पुल की दीवारें भी क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। स्थानीय लोगों ने सिंचाई विभाग के अधिकारियों से इस स्थल को फिर से पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने की मांग की है।

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