हल्द्वानी के मिश्र परिवार ने पेश की मिसाल, परिवार के छह सदस्यों ने एम्स दिल्ली को सौंपा अंगदान का शपथ पत्र

हल्द्वानी के मिश्र परिवार ने पेश की मिसाल, परिवार के छह सदस्यों ने एम्स दिल्ली को सौंपा अंगदान का शपथ पत्र

हल्द्वानी, अमृत विचार। समाजसेवा के क्षेत्र में बढ़ बढ़कर योगदान देने वाले मिश्र परिवार ने नवरात्रि के पावन अवसर पर एक ओर मिसाल पेश की है। हल्द्वानी के हिम्मतपुर तल्ला क्षेत्र के कुंतीपुरम निवासी पं. श्रीनिवास मिश्र ने सोमवार को पूरे परिवार के साथ अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स दिल्ली को अंगदान के लिए शपथ …

हल्द्वानी, अमृत विचार। समाजसेवा के क्षेत्र में बढ़ बढ़कर योगदान देने वाले मिश्र परिवार ने नवरात्रि के पावन अवसर पर एक ओर मिसाल पेश की है।

हल्द्वानी के हिम्मतपुर तल्ला क्षेत्र के कुंतीपुरम निवासी पं. श्रीनिवास मिश्र ने सोमवार को पूरे परिवार के साथ अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स दिल्ली को अंगदान के लिए शपथ पत्र दिया है। श्रीनिवास मिश्रा ने कहा कि रक्तदान, अंगदान जीवित श्राद्ध करने के समान है। समाज हित में ऋषि, मुनि की परम्परा का अनुसरण करना है, वसुधैव कुटुम्बकम को चरितार्थ करना है।

अंगदान के शपथ पत्र के साथ मिश्र परिवार के सदस्य।

अंगदान शपथपत्र देने वालों में श्रीनिवास मिश्र की पत्नी कमला मिश्र, उनके पुत्र व पुत्रवधू डॉ. संतोष मिश्र, गीता मिश्र तथा उनकी पौत्री शिवानी मिश्र व हिमानी मिश्र शामिल हैं। तीन पीढ़ियों का एक साथ अंगदान हेतु शपथ देना अनुकरणीय और सराहनीय कदम है। श्रीनिवास मिश्र ने एम्स दिल्ली से आग्रह किया है कि मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी को भी अंगदान चेन में शामिल किया जाए ताकि स्थानीय अंगदानी भी अंगदान कर पुण्य कमा सकें।

डॉ. संतोष मिश्र ने बताया कि एम्स में दो तरीके से अंगदान किया जा सकता है। पहला, जीवित रहते अंगदान की शपथ लेकर और दूसरा, मृत्यु के उपरांत परिवार के सदस्यों की सहमति से। जीवन में कभी भी कोई भी व्यक्ति दो गवाहों की उपस्थिति में जिसमें से एक करीबी रिश्तेदार हो, अंगदान शपथ पत्र भर सकता है।

अंगदान का शपथ पत्र एम्स की वेबसाइट से डाउनलोड किया जा सकता है, यह प्रपत्र निशुल्क है। अंगदान शपथ पत्र के सही पाए जाने पर एम्स दिल्ली द्वारा ऑर्गन डोनर कार्ड प्रदान किया जाता है, एम्स की सलाह होती है कि डोनर कार्ड हर समय जेब में रखना चाहिए।

अंगदान के समय अंग दानी के परिवार पर कोई आर्थिक बोझ नहीं पड़ता है। अंगदान करने से मृत शरीर को बाहर से कोई क्षति नहीं दिखती है, बल्कि सामान्य दिखती है ताकि अंतिम संस्कार कोई असुविधा ना हो।

उन्होंने बताया कि अंग पुनः स्थापन बैंकिंग संस्था आर्बो अंगदान की प्रक्रिया को सुचारु रूप से संचालित करने के लिए देश के विभिन्न भागों में अस्पतालों की चेन बना रहा है ताकि हर जगह से समन्वय स्थापित कर अधिक से अधिक लोगों को लाभ पहुंचाया जा सके।

दिल्ली के सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों के साथ-साथ कैलाश हॉस्पिटल नोएडा, संजय गांधी पीजीआई लखनऊ, पीजीआईएमईआर चंडीगढ़, केयर हॉस्पिटल हैदराबाद, जसलोक हॉस्पिटल मुंबई को भी इस अंगदान नेटवर्क से जोड़ा गया है। इसके सुविधाजनक संचालन के लिए हर संस्था में एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है।