हरिद्वार में मां गंगा में विसर्जित हुईं सियाचिन के योद्वा शहीद चंद्रशेखर हर्बोला की अस्थियां

हरिद्वार में मां गंगा में विसर्जित हुईं सियाचिन के योद्वा शहीद चंद्रशेखर हर्बोला की अस्थियां

हल्द्वानी, अमृत विचार। ऑपरेशन मेघदूत के नायक और 19 कुमाऊं के योद्वा लांसनायक चंद्रशेखर हर्बोला का पार्थिव शरीर 38 साल बाद बुधवार को उनके डहरिया स्थित आवास पर पहुंचा जिसके बाद पूरे सैन्य सम्मान के साथ चित्रशिला घाट में अंतिम संस्कार कर दिया गया। गुरुवार सुबह परिजनों ने शहीद की अस्थियां हरिद्वार के कुशा घाट …

हल्द्वानी, अमृत विचार। ऑपरेशन मेघदूत के नायक और 19 कुमाऊं के योद्वा लांसनायक चंद्रशेखर हर्बोला का पार्थिव शरीर 38 साल बाद बुधवार को उनके डहरिया स्थित आवास पर पहुंचा जिसके बाद पूरे सैन्य सम्मान के साथ चित्रशिला घाट में अंतिम संस्कार कर दिया गया। गुरुवार सुबह परिजनों ने शहीद की अस्थियां हरिद्वार के कुशा घाट पर मां गंगा के पावन जल में प्रवाहित कीं। इस दौरान शहीद के भतीजे ललित हर्बोला, राजेंद्र हर्बोला और भुवन हर्बोला ने पूरे विधि विधान से संस्कार संपन्न कराया।

डहरिया स्थित आवास पर शहीद चंद्रशेखर हर्बोला के पार्थिव शरीर के पास नम आंखों से खड़ीं वीरांगना शांति देवी, बेटियां सुनीता और बबीता। (फाइल फोटो)

बताते चलें कि 38 साल बाद 19 कुमाऊं के जाबांज लांसनायक चंद्रशेखर हर्बोला का पार्थिव शरीर मिलने की सूचना के बाद ही उनका परिवार दुख और गर्व से भर गया था। परिवार में पत्नी शांति देवी और बेटियां सुनीता और बबीता के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। बुधवार को हजारों लोग शहीद के अंतिम दर्शनों के लिए उनके डहरिया स्थित आवास पर पहुंचे थे। सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, मंत्री गणेश जोशी, रेखा आर्य समेत नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, मेयर जोगेंद्रपाल सिंह रौतेला, विधायक सुमित हृदयेश समेत अनकों गणमान्य जनों ने शहीद चंद्रशेखर को श्रद्धांजलि दी। जिसके बाद पूरे सैन्य सम्मान के साथ चित्रशिला घाट में उनकी भाई पूरन चंद्र हर्बोला, बेटियां सुनीता और बबीता समेत अन्य परिजन की उपस्थिति में शहीद के पार्थिव शरीर को मुखाग्नि दी गई। इस दौरान हर आंख नम हो गई।

शहीद चंद्रशेखर हर्बोला की तस्वीर के साथ वीरांगना शांति देवी और बड़ी बेटी सुनीता।

परिवार और कॉलोनीवासियों ने मुख्यमंत्री से शहीद के पैतृक गांव और कॉलोनी की सड़क का नाम शहीद चंद्रशेखर हर्बोला के नाम पर किए जाने की मांग की है। भाई पूरन चंद्र हर्बोला और भतीजे राजेंद्र हर्बोला ने अल्मोड़ा के पैतृक निवास स्थल पर वर्ष 2018 में सर्वे के बावजूद नहीं बनी हाथीखुर बिंता गांव तक की चार किमी की सड़क बनाने व शहीद का नाम देने की मांग की है।