Sahitya
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Nirmal Verma: निर्मल वर्मा की कहानी 'कव्वे और काला पानी' से चुनिंदा कोट्स
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By Deepak Mishra
ज्योंही कोई व्यक्ति हमें छोड़कर चला जाता है, हम उसे अतीत में फेंक कर बदला चुका लेते हैं। बिना यह जाने कि वह अब भी मौजूद है, जीवित है अपने वर्तमान में जी रहा है लेकिन हमारे समय से बाहर...
शोषित वर्ग की कहानी बताती है सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' की कविता- वह तोड़ती पत्थर
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By Jagat Mishra
वह तोड़ती पत्थर;देखा मैंने उसे इलाहाबाद के पथ परवह तोड़ती पत्थर। कोई न छायादारपेड़ वह जिसके तले बैठी हुई स्वीकारश्याम तन, भर बंधा यौवन,नत नयन, प्रिय-कर्म-रत मन,गुरु हथौड़ा हाथ,करती बार-बार प्रहार:-सामने तरु-मालिका...
बेजोड़ कवि 'हरिवंश राय बच्चन' की इन पंक्तियों को जरूर पढ़ें
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By Jagat Mishra
मृदु भावों के अंगूरों की आज बना लाया हाला,प्रियतम, अपने ही हाथों से आज पिलाऊँगा प्याला,पहले भोग लगा लूँ तेरा फिर प्रसाद जग पाएगा,सबसे पहले तेरा स्वागत करती मेरी मधुशाला। प्यास तुझे तो, विश्व तपाकर पूर्ण निकालूँगा...
पढ़िए जूही शुक्ला की ये मार्मिक कविता
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By Jagat Mishra
उन्होंने मुझसे कहाआप अपनी ईमानदारी बचाए रखिएमैंने कहा आवरण रहित तो पहले से ही थीनंगेपन को हज़म नहीं कर पा रहे हैं सब आंख वालेअब क्या खाल भी उतार दूं?बचेगा क्या?ज़ख्म न!वह मैं...
पढ़िए मनीषा सिन्हा की कविता- 'बहुत मामूली सी चीज है प्यार, इसे इतना खास न बनाओ'
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By Jagat Mishra
बहुत मामूली सी चीज है प्यारइसे इतना खास न बनाओकाफी आसान है इसका लेन-देननामुमकिन न बनाओ— हजारों तूफान में संयमभी रखती हूंबच्चों की तरह अक्सरमचल भी उठती हूंकभी कभी खुद कोमैं...
प्रेम के अवसाद को भी साहस में बदल देते थे हरिवंश राय 'बच्चन', पढ़िए ये रचना
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By Jagat Mishra
छायावादी कवि हरिवंश राय बच्चन ने प्रेम के अवसाद को साहस मेें बदलने की पुरजोर कोशिश की है। उनकी रचनाएं आशा का दीपक जलाए हुए हैं। पढ़िए ये सुन्दर रचना - ओ गगन के जगमगाते दीप!दीन जीवन के दुलारे...
अदम गोंडवी: आज भी प्रासंगिक हैं ये मशहूर अल्फाज
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By Jagat Mishra
बूढ़ा बरगद साक्षी है किस तरह से खो गईरमसुधी की झोपड़ी सरपंच की चौपाल में घर में ठंडे चूल्हे पर अगर खाली पतीली हैबताओ कैसे लिख दूँ धूप फागुन की नशीली जो उलझ कर रह गई है फाइलों...
आज का शब्द: निरोग और नरेश सक्सेना की कविता ‘नीम की पत्तियां’
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By Amrit Vichar
हिंदी हैं हम शब्द-श्रृंखला में आज का शब्द है निरोग जिसका अर्थ है 1. जिसे कोई रोग न हो; स्वस्थ। कवि नरेश सक्सेना ने अपनी कविता नीम की पत्तियां में इस शब्द का प्रयोग किया है। कितनी सुन्दर होती हैं पत्तियाँ नीम की ये कोई कविता क्या बताएगी जो उन्हें मीठे दूध में बदल देती …
बरेली: साहित्य भूषण सुरेश बाबू मिश्रा एक्सीलेंस अवार्ड 2020 से सम्मानित
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By Amrit Vichar
बरेली, अमृत विचार। हिंदी पखवाड़े के तहत मां गंगा बचाओ वेलफेयर सोसायटी एवं ऑल इंडिया रियल फॉर कल्चरल, एजुकेशनल, वेलफेयर सोसायटी परिवार ने साहित्य भूषण सुरेश बाबू मिश्रा को हिंदी साहित्य जगत में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिये ऐक्सीलेंस अवार्ड 2020 से सम्मानित किया है। संस्था के संस्थापक/राष्ट्रीय अध्यक्ष रजनीश सक्सेना एवं प्रदेश उपाध्यक्ष मुकेश …
