Lakshmi Jal
साहित्य 

तुलसीदास निराला की सूक्ष्म और जटिल कलाकारिता का अन्तिम सोपान है…

तुलसीदास निराला की सूक्ष्म और जटिल कलाकारिता का अन्तिम सोपान है… तुलसीदास निराला की सूक्ष्म और जटिल कलाकारिता का अन्तिम सोपान है। इसका प्रारंभ सूर्यास्त से होता है और अन्त सूर्योदय से , जहाँ शारदा कमल दलों के खोलती हुई और लक्ष्मी जल में तैरती हुई उद्भाषित होती है। प्रकृति जहाँ रवि के पुष्कल रेखाओं से जगमगा उठती है। सूर्यास्त और सूर्योदय के इन्हीं दो बिन्दुओं …
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