शारदीय नवरात्रि: आज होगी मां स्कंदमाता की आराधना, जानिए कैसे मुरादें पूरी करेगा आज का व्रत
लखनऊ, अमृत विचार। आज नवरात्रि का पांचवां दिन मां स्कंदमाता को समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि मां दुर्गा के पंचम स्वरूप देवी स्कंदमाता की उपासना से महिलाओं की सूनी गोद भर जाती है और जीवन खुशहाली से परिपूर्ण रहता है। मां स्कंदमाता का निवास पहाड़ों पर माना जाता है। सिंह पर सवार मां स्कंदमाता …
लखनऊ, अमृत विचार। आज नवरात्रि का पांचवां दिन मां स्कंदमाता को समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि मां दुर्गा के पंचम स्वरूप देवी स्कंदमाता की उपासना से महिलाओं की सूनी गोद भर जाती है और जीवन खुशहाली से परिपूर्ण रहता है। मां स्कंदमाता का निवास पहाड़ों पर माना जाता है। सिंह पर सवार मां स्कंदमाता की गोद में भगवान कार्तिकेय विराजमान हैं। देवी की चार भुजाएं हैं जिनमें कमल सुशोभित है और एक हाथ वरदमुद्रा में हैं, देवी स्कंदमाता सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी मानी गई हैं इसलिए इनके चारों ओर सूर्य सा तेज दिखाई देता है। इन्हें पद्मासना देवी भी कहते हैं।
मां स्कंदमाता की पूजा
सूर्योदय से पूर्व स्नान के बाद हरे रंग के वस्त्र पहने और देवी को हरी चूड़ी, हरी साड़ी, मेहंदी, सिंदूर, रौली, अक्षत अर्पित करें। इस दिन हरी चुनरी में नारियल रखकर नन्दगोपगृहे जाता यशोदागर्भ सम्भवा, ततस्तौ नाशयिष्यामि विन्ध्याचलनिवासिनी” इस मंत्र का 108 बार जाप करें और नारियल को बांधकर हमेशा अपने सिरहाने रखें। इससे सूनी गोद जल्द हरी-भरी हो जाती है अर्थात संतान सुख के योग बनते हैं।
भोग
मान्यता है देवी को पूजा में केले का नेवैद्य लगान से स्वास्थ लाभ मिलता और संतान प्राप्ति होती हैं।
मंत्र
बीज मंत्र – ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:
ध्यान मंत्र – सिंहासना गता नित्यं पद्माश्रि तकरद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।।
पूजा मंत्र – या देवी सर्वभूतेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
फूल
देवी स्कंदमाता को भी पीले रंग का फूल पसंद है, देवी की पूजा करने से स्वंय भगवान कार्तिकेय की उपासना भी हो जाती है।
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