स्कूली छात्र बन सकेंगे एक दिन के लिए वैज्ञानिक, लखनऊ विश्वविद्यालय की ये है खास पहल

स्कूली छात्र बन सकेंगे एक दिन के लिए वैज्ञानिक, लखनऊ विश्वविद्यालय की ये है खास पहल

अमृत विचार लखनऊ। लखनऊ विश्वविद्यालय (Lucknow University) की पहल पर स्कूली छात्रों को एक दिन का वैज्ञानिक बनने का मौका मिल सकेगा। विश्वविद्यालय की ओर से छात्र केंद्रित कार्यक्रमों के तहत इंस्टिट्यूट ऑफ़ फार्मास्यूटिकल साइंसेज प्रदेश काउंसिल ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित होने जा रहे ‘वन डे साइंटिस्ट’ कार्यक्रम के माध्यम …

अमृत विचार लखनऊ। लखनऊ विश्वविद्यालय (Lucknow University) की पहल पर स्कूली छात्रों को एक दिन का वैज्ञानिक बनने का मौका मिल सकेगा। विश्वविद्यालय की ओर से छात्र केंद्रित कार्यक्रमों के तहत इंस्टिट्यूट ऑफ़ फार्मास्यूटिकल साइंसेज प्रदेश काउंसिल ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित होने जा रहे ‘वन डे साइंटिस्ट’ कार्यक्रम के माध्यम से स्कूल बच्चों को मौका मिलेगा। इसमें केंद्रीय विद्यालय एवं सरकारी विद्यालयों के 200 से अधिक छात्रों को ‘वन डे साइंटिस्ट’ कार्यक्रम के तहत एक दिन के लिए वैज्ञानिक बनाया जाएगा । इस कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों के अंदर छुपी वैज्ञानिक प्रतिभा को निखारने के प्रयास के साथ-साथ कोविद जैसे महामारी से भारत जैसे देश को लड़ने के लिए तैयार करने के लिए स्कूली छात्रों को औषधि एवं वैक्सीन के क्षेत्र में रूचि एवं अवसर के लिए प्रेरित करना है जिससे उत्तर प्रदेश राज्य को खुशहाल एवं स्वस्थ बनाया जा सकेगा।

कुलपति प्रोफेसर आलोक राय (Vice Chancellor Professor Alok Rai) ने अमृत विचार से बातचीत में कहा इस कार्यक्रम में भैषिजिक संस्थान में नवनिर्मित प्रयोगशालाओं का उपयोग करते हुए सभी छात्रों को ड्रग डिजाइन एंड सिंथेसिस, हर्बल ड्रग डिस्कवरी एंड स्टैंडरडाइजेशन, ड्रग फॉर्मुलेशन, डेवलपमेंट एंड क्वालिटी कंट्रोल एवं ड्रग के मैकेनिज्म, एक्शन की जानकारी दी जाएगी। एस्प्रिन एवं पेरासिटामोल औषधियां आम तौर पर दर्दनिवारक के रूप में तथा बुखार को कम करने में प्रयुक्त होती हैं। छात्र इन औषधियों की सिंथेसिस प्रयोगशाला में करने के साथ ही इनका शुद्धिकरण तथा गुणवत्ता की जांच विभिन्न प्रयोगों के माध्यम से स्वयं करेंगे।

छात्रों को परीक्षण करने की मिलेगी सीख
कुलपति ने बताया कि मानव शरीर में अनेको प्रकार के तत्व पाए जाते है जिनकी कमी से विभिन्न रोग होते हैं। छात्र इन तत्वों का बायोकैमिकल एवं गुणात्मक परीक्षण स्वयं की यूरिन एवं ब्लड में जांच के द्वारा प्रयोगशाला में करेंगे। इन परीक्षणों के माध्यम से वे अपने शरीर में उपस्थित तत्वों की कमी अथवा अधिकता के विषय में जानेंगे। विभिन्न प्रकार की औषधियां बाज़ार में उपलब्ध हैं, जिनका उपयोग रोग के प्रकार के आधार पर किया जाता है। औषधियों के विभिन्न डोसेज फॉर्म जैसे टैबलेट, सिरप, सस्पेंशन एवं ऑइंटमेंट का निर्माण छात्र प्रयोगशाला में करेंगे। इन डोसेज फॉर्म्स की गुणवत्ता की जांच करके वे असली एवं नकली औषधियों की परख करेंगे।

तेजी से बढ़ा औषधियों का उपयोग
कुलपति ने कहा हर्बल औषधियों के कम साइड इफेक्ट्स होने के कारण इनका उपयोग भी आजकल तेज़ी से बढ़ा है। इस को ध्यान में रखते हुए हर्बल औषधियों के निर्माण के लिए उनका निष्कर्षण एवं आइसोलेशन छात्र स्वयं करेंगे। इन हर्बल औषधियों के लक्षणों तथा गुणवत्ता की जांच करते हुए छात्र इनका शुद्धिकरण भी प्रयोग के माध्यम से करेंगे। सभी औषधियाँ रोग के अनुसार अलग -अलग मैकेनिज्म के द्वारा शरीर के विभिन्न अंगों पर प्रभाव डालती हैं जिससे रोग का इलाज होता है। विभिन्न औषधियां किस मैकेनिज्म के द्वारा शरीर की मांसपेशियों, मस्तिष्क, हृदय, आंखो आदि को कैसे प्रभावित करेंगी, कंप्यूटर के माध्यम से छात्र स्वयं औषधियाँ देकर उनका प्रभाव विभिन्न अंगों पर देखेंगे।

छात्रों के ये बनेंगे मार्गदर्शक
– प्रो आलोक कुमार राय, कुलपति
– आलोक कुमार (आई. ए. एस.), डायरेक्टर जनरल, उत्तर प्रदेश कौंसिल ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी
– प्रकाश बिंदु (आई. ए. एस.), सेक्रेटरी, उत्तर प्रदेश कौंसिल ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी
– अनिल यादव, डायरेक्टर, उत्तर प्रदेश कौंसिल ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी
– डॉ अलोक धवन CSIR-CDRI के पूर्व निदेशक व CBMR के निदेशक
– डॉ पीके सेठ बायोटेक पार्क के संस्थापक
– पी के सेठ एवं डॉ जीएन सिंह, विशेष अतिथि, औषधि नियंत्रक भारत सरकार