राज्यसभा में विभिन्न दलों के सदस्यों ने स्वास्थ्य क्षेत्र पर व्यय बढ़ाने पर दिया जोर, कही ये बात

राज्यसभा में विभिन्न दलों के सदस्यों ने स्वास्थ्य क्षेत्र पर व्यय बढ़ाने पर दिया जोर, कही ये बात

नई दिल्ली। राज्यसभा में शुक्रवार को विभिन्न दलों ने उपचार महंगा होने के मद्देनजर जीडीपी की तुलना में स्वास्थ्य क्षेत्र पर होने वाले व्यय को बढ़ाए जानें की आवश्यकता पर बल दिया और सुझाव दिया कि स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार बनाया जाना चाहिए। सत्ता पक्ष के सदस्यों ने कहा कि स्वास्थ्य के अधिकार के बिना …

नई दिल्ली। राज्यसभा में शुक्रवार को विभिन्न दलों ने उपचार महंगा होने के मद्देनजर जीडीपी की तुलना में स्वास्थ्य क्षेत्र पर होने वाले व्यय को बढ़ाए जानें की आवश्यकता पर बल दिया और सुझाव दिया कि स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार बनाया जाना चाहिए।

सत्ता पक्ष के सदस्यों ने कहा कि स्वास्थ्य के अधिकार के बिना ही भारत ने कई खतरनाक रोगों का उन्मूलन किया है और विशाल पैमाने पर कोरोना रोधी टीकाकरण जारी है। स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार बनाने के प्रावधान वाले एक निजी विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के संतोष कुमार पी ने कहा कि यह ऐसा विधेयक है जिसका विरोध किया ही नहीं जा सकता।

उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार स्वास्थ्य संबंधी खर्चों के कारण 5.5 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे चले जाते हैं। उन्होंने कहा कि कई अन्य देशों की तुलना में हमारे देश में इलाज पर खर्च बहुत अधिक है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के मुकाबले बहुत कम खर्च होता है। उन्होंने कहा कि इसे बढ़ाकर जीडीपी का छह-सात प्रतिशत करना होगा।

उन्होंने कहा कि भारत में जो आयुष्मान योजना लाई गई है वह अमेरिका की इसी तरह की ओबामा योजना की नकल है जिस पर पुनर्विचार करने की जरूरत है। यह विधेयक राष्ट्रीय जनता दल के मनोज कुमार झा द्वारा पेश किया गया है। भारतीय जनता पार्टी के अनिल अग्रवाल ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि नागरिकों को केवल अधिकार देने से काम नहीं चलता है। इसके लिए आधारभूत संरचना और सकारात्मक माहौल आवश्यक है। उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्ववर्ती सरकार का स्वास्थ्य क्षेत्र के प्रति बहुत नकारात्मक रुख था।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार का रुख बदल गया है क्योंकि पीएम मोदी स्वयं एक गरीब परिवार से आते हैं। अग्रवाल ने कहा कि सरकार ने जेनरिक दवाओं पर काफी जोर दिया है। उन्होंने कहा कि कुछ जेनरिक दवाओं के दाम 80 प्रतिशत तक कम हो गये हैं। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार चिकित्सा उपकरण के दाम भी काफी घटे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने भाजपा सांसदों से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को गोद लेने को कहा है। उन्होंने कहा कि आज देश में मेडिकल कालेजों की संख्या बढ़कर 612 हो गयी है।

तृणमूल कांग्रेस के जवाहर सरकार ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र पर जीडीपी का एक से डेढ़ प्रतिशत खर्च होता है जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शर्म की बात है। उन्होंने कहा कि इस व्यय को बढ़ाये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भारत में जिस तरह पोलियो का उन्मूलन किया गया और जिस प्रकार कोविड-19 के विरूद्ध टीकाकरण किया गया, वह सभी के लिए गौरव की बात है। उन्होंने कहा कि सरकार को स्वास्थ्य के मामले में सभी पक्षों के विशेषज्ञों से सलाह करनी चाहिए। भाजपा के राधामोहन दास अग्रवाल ने कहा कि स्वास्थ्य का अधिकार दुनिया में कोई अजूबा बात नहीं है।

उन्होंने कहा कि डब्ल्यूएचओ ने स्वास्थ्य के अधिकार की बात तो अभी की है। किंतु भारतीय संस्कृति ने तो ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत्।।” कहकर मनुष्य को सारे अधिकार देने की बात कही है। उन्होंने कहा कि अमेरिका में जहां प्रति व्यक्ति आय 57 लाख रूपये है वहीं भारत में यह मात्र डेढ़ लाख रुपये है। उन्होंने कहा कि क्या कोई भी अमीर देश अभी तक अपने नागरिकों को स्वास्थ्य का मौलिक अधिकार दे पाया है तो फिर भारत जिसकी आबादी 140 करोड़ है, वह अपने नागरिकों को यह अधिकार कैसे दे पायेगा? अग्रवाल ने कहा कि विदेश में उपचार करवाना इतना महंगा है कि लोग बाहर से आकर भारत में इलाज करवाते हैं क्योंकि यह यहां काफी सस्ता है।

उन्होंने आयुष्मान भारत में आने वाले विभिन्न वर्गों की सूची का उल्लेख करते हुए कहा कि इसे देखकर कहा जा सकता है कि इसमें समाज के सभी वंचित लोगों को शामिल कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि एक कार्ड पूरे परिवार पर लागू होता है। इसमें पांच लाख रूपये तक का उपचार करवा सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत दो करोड़ 26 लाख लोगों ने इस साल तक इसका लाभ लिया है। उन्होंने कहा कि योजना इस मामले में एक अजूबा है कि इसमें किसी से एक भी पैसा नहीं लिया जाता है।

अग्रवाल ने कहा कि भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र पर जीडीपी का महज 1.29 प्रतिशत ही खर्च होता है और देश में स्वास्थ्य का अधिकार नहीं है। किंतु इसके बावजूद देश में स्माल पॉक्स, पोलियो, काली खांसी, गला घोंटू, धनुष टंकार, जापानी बुखार आदि को पूरी तरह खत्म कर दिया गया। उन्होंने कहा कि ब्राजील में स्वास्थ्य का अधिकार है किंतु ब्राजील में इसी कोरोना महामारी के दौरान एक लाख की आबादी पर 315 लोगों की मौत हुई। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय आंकड़ों के हवाले से कहा कि कोरोना के कारण रूस में एक लाख की आबादी पर 260 लोग मरे और भारत में एक लाख पर मरने वालों की संख्या 37 रही।

उन्होंने इसे ‘‘मोदीनोमिक्स’’ करार दिया। भाजपा सदस्य ने कहा कि स्वास्थ्य पर कितना खर्च होता है, यह उतना महत्वपूर्ण नहीं है जितना यह आवश्यक है कि खर्च होने वाले धन का कितना सदुपयोग हो रहा है? अग्रवाल जब बोल रहे तो द्रमुक के तिरुचि शिवा ने इस बात पर आपत्ति व्यक्त की कि भाजपा सदस्य को निर्धारित समय से अधिक बोलने की अनुमति दी जा रही है। इस पर पीठासीन उपाध्यक्ष पीठासीन चव्हाण ने कहा कि सभापति का यह निर्देश आया है कि सदन बहुत दिनों बाद सामान्य ढंग से चर्चा कर रहा है, अत: सदस्य चाहें तो निर्धारित समय से अधिक बोल सकते हैं।

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