मथुरा : श्रीकृष्ण जन्मभूमि मालिकाना हक मामले की पूरी हुई सुनवाई, अदालत 19 मई को सुनाएगी फैसला

मथुरा : श्रीकृष्ण जन्मभूमि मालिकाना हक मामले की पूरी हुई सुनवाई, अदालत 19 मई को सुनाएगी फैसला

मथुरा। मथुरा की एक अदालत में श्रीकृष्ण जन्मभूमि की जमीन के एक हिस्से में बनी शाही मस्जिद ईदगाह को हटाने संबंधी दायर किये गए वाद में जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने फैसले के लिए 19 मई निर्धारित की है। इस वाद में दोनो पक्षों द्वारा बहस गुरुवार को पूरी कर दी गई है। डीजीसी सिविल …

मथुरा। मथुरा की एक अदालत में श्रीकृष्ण जन्मभूमि की जमीन के एक हिस्से में बनी शाही मस्जिद ईदगाह को हटाने संबंधी दायर किये गए वाद में जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने फैसले के लिए 19 मई निर्धारित की है। इस वाद में दोनो पक्षों द्वारा बहस गुरुवार को पूरी कर दी गई है।

डीजीसी सिविल संजय गौड़ ने बताया कि लखनऊ निवासी अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री एवं छह अन्य ने भगवान केशवदेव को भी पार्टी बनाकर तथा अपने आपको भगवान केशव देव का मित्र बताते हुए 25 सितम्बर 2020 को एक वाद दायर किया था जिसमें शाही मस्जिद ईदगाह, यूपी सेन्ट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड, श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान एवं श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट को विपक्षी पार्टी बनाया गया था तथा श्रीकृष्ण जन्मभूमि के 13.37 एकड़ में बनी शाही मस्जिद ईदगाह को हटाने की मांग की गई थी।

रंजना अग्निहोत्री की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने वाद दायर किया था। बहस का मुख्य मुद्दा था कि सूट चले या न चले। जैन ने बताया कि उनकी बहस का मुख्य मुद्दा यह था कि बिना उन्हें सुने हुए सिविल जज को सूट को खारिज नही करना चाहिए था। इसके अलावा श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान को ईदगाह ट्रस्ट से समझौता करने का अधिकार नही था। उनकी दलील यह भी थी कि जो मस्जिद बनी है उसके नीचे जन्मस्थान है ओर उसमें उन्हें पूजा करने की इजाजत देनी चाहिए।

उधर शाही मस्जिद की ओर से पेश किये गए मुख्य बिन्दुओं की जानकारी देते हुए बचाव पक्ष के अधिवक्ता नीरज शर्मा ने बताया कि निचली अदालत द्वारा वाद को खारिज करने के बाद उसकी अपील तो हो सकती है पर रिवीजन नही हो सकता। दूसरा प्लेसेज आफ वर्शिप ऐक्ट के कारण यह स्वीकार करने योग्य नही है चूंकि जिसका मुकदमा ही दायर नही किया जा सकता उसका रिवीजन भी खारिज करने योग्य है।

उन्होंने वादी पक्ष की उस दलील को भी इस मुकदमे में लागू होने से इसलिए इंकार किया कि वहां पर तो सेवायत सेवा नही कर रहे थे और ट्रस्ट भी काम नही कर रहा था जब कि यहां पर ऐसा कुछ नही है। दोनों पक्षों की बहस पूरी हो जाने के कारण जिला जज ने इस मुद्दे पर फैसले के लिए 19 मई निधारित की है।

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