820 करोड़ की संपत्ति के मालिक राहुल बजाज के दादा को महात्मा गांधी मानते थे 5वां बेटा, यहां तक कैसे पहुंचे राहुल जानिए?
70 से 90 के दशक तक बजाज स्कूटर की अलग ही शान थी। इसको खरीदने के लिए लोगों को महीनों तक इंतजार करना पड़ता था। बजाज स्कूटर से चलने वाले की अपनी अलग ही शान होती थी। उसी समय विज्ञापन ‘हमारा बजाज’ हर बच्चे के जुबान पर चढ़ गया था। इस कम्पनी को ऊंचाईयों तक …
70 से 90 के दशक तक बजाज स्कूटर की अलग ही शान थी। इसको खरीदने के लिए लोगों को महीनों तक इंतजार करना पड़ता था। बजाज स्कूटर से चलने वाले की अपनी अलग ही शान होती थी। उसी समय विज्ञापन ‘हमारा बजाज’ हर बच्चे के जुबान पर चढ़ गया था। इस कम्पनी को ऊंचाईयों तक पहुंचाने वाले राहुल बजाज का जन्म 10 जून 1938 को कलकत्ता (अब कोलकाता) में हुआ था।
उनके पिता का नाम था कमलनयन बजाज और माता का नाम था सावित्री बजाज था। कमलनयन के पिता मतलब राहुल बजाज के दादा का नाम जमनालाल बजाज था। राहुल के दादा जमनालाल बजाज (1889-1942) को महात्मा गांधी अपना पांचवां बेटा मानते थे। जमनालाज जी भारत के पहले प्रधानमंत्री बने जवाहरलाल नेहरू के भी अच्छे दोस्त थे।
राहुल ने कैथेड्रल एंड जॉन कॉनन स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से अर्थशास्त्र (ऑनर्स) डिग्री और बंबई विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री ली है और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एमबीए हैं। बजाज ग्रुप के पूर्व चेयरमैन और बजाज मोटर्स के संस्थापक राहुल बजाज का 83 साल की उम्र में निधन हो गया है। वो पिछले काफी समय से कैंसर से जूझ रहे थे।
1965 में बजाज समूह की बागडोर
सन 1965 में बजाज समूह की बागडोर संभाली। उनके कुशल नेतृत्व में कंपनी ने लाइसेंस-राज जैसे कठिन समय में भी सफलता के नयी बुलंदियों को छुआ। सन 1980 के दशक में बजाज दो पहिया स्कूटरों का शीर्ष निर्माता था। समूह के ‘चेतक’ ब्रांड स्कूटर की मांग इतनी ज्यादा थी की इसके लिए 10 साल तक का वेटिंग-पीरियड था।
राहुल कई कंपनियों के बोर्ड के अध्यक्ष भी हैं। आर्थिक क्षेत्र और उद्योग दुनिया में उनके योगदान के लिए उन्हें भारतीय संसद के उच्च सदन राज्यसभा (2006-2010) के लिए चुना गया। उनको आईआईटी रुड़की सहित 7 विश्वविद्यालयों द्वारा डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की गई है। राहुल बजाज के कार्यकाल में कंपनी का टर्नओवर करीब 7.2 करोड़ से 12 हजार करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। उन्होंने ऑटो सेक्टर में नई लहर ला दी थी। फोर्ब्स की रिपोर्ट के मुताबिक, राहुल बजाज की नेट वर्थ करीब 820 करोड़ रुपये है।
50 सालों तक निभाई जिम्मेदारी
बजाज समूह का व्यवसाय दुपहिया वाहन, घरेलू उपकरणों, इलेक्ट्रिक लैम्प, पवन ऊर्जा, विशेष मिश्र धातु और स्टेनलेस स्टील, फोर्जिंग, बुनियादी ढांचे के विकास, सामग्री हैंडलिंग उपकरणों, यात्रा, जनरल और जीवन बीमा और निवेश में वित्तीय सेवाओं जैसे क्षेत्रों में फैला हुआ है। राहुल बजाज देश के सफल उद्योगपतियों में से एक थे।
साल 2006 से लेकर 2010 वह राज्य सभा के सदस्य भी रहे थे। इसके अलावा उन्होंने कंपनी का नेतृत्व करते हुए बजाज चेतक नाम का स्कूटर बनाया। इस स्कूटर को काफी नाम मिला और इसे भारत के मध्यम वर्गीय परिवारों के द्वारा काफी पसंद किया गया। इसके बाद कंपनी ने लगातार नई ऊंचाईंयों को छुआ।
30 अप्रैल को दिया था इस्तीफा
राहुल बजाज ने 30 अप्रैल 2021 को बजाज ग्रुप में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। वह करीब करीब 5 दशक से बजाज ग्रुप ऑफ कंपनीज से जुड़े रहे। राहुल बजाज के बेहतरीन अनुभव और कंपनी में उनकी रुचि के साथ ही एक सलाहकार व मेंटर के तौर पर उन्होंने समय-समय पर कंपनी के कर्मचारियों को काफी गाइड किया और कंपनी को नए मुकाम पर पहुंचाया।
पुरस्कार और सम्मान
आर्थिक और व्यापर के क्षेत्र में उनके बहुमूल्य योगदान को देखते हुए, राहुल को अनेकों पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। सन 2001 में भारत सरकार द्वारा ‘पद्म भूषण’ प्रदान किया। हार्वर्ड बिजनेस स्कूल द्वारा अलुमिनी (पूर्व छात्रों) अचीवमेंट पुरस्कार प्राप्त हुआ।नवभारत टाइम्स, अर्न्स्ट एंड यंग और सीएनबीसी टीवी 18 द्वारा “लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार” से नवाजा गया।
फ्रांस गणराज्य के राष्ट्रपति द्वारा “नाइट इन द आर्डर ऑफ़ द लीजन ऑफ़ ऑनर” नियुक्त किया गया।भारत सरकार ने राहुल बजाज को 1975 से लेकर 1977 तक ऑटोमोबाइल और संबद्ध उद्योगों के विकास परिषद का अध्यक्ष बनाया। साल 1975 में उन्हें राष्ट्रीय गुणवत्ता एश्योरेंस संस्थान द्वारा ‘मैन ऑफ़ द ईयर” के पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
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