मुरादाबाद से पांच गुना महंगा है दिल्ली का ‘पानी’

मुरादाबाद से पांच गुना महंगा है दिल्ली का ‘पानी’

मुरादाबाद, अमृत विचार। गर्मी के दौरान शरीर में पानी की पूर्ति करने के लिए सबसे अच्छा विकल्प माना जाने वाला तरबूज भी शहरों को देखकर भाव खाता है। दिल्ली से आने वाला तरबूज 40-50 रुपये किलोग्राम तक बिक रहा है, जबकि शाहजहांपुर से आने वाले तरबूज के भाव मात्र 10-15 रुपये किलोग्राम है। 40रुपये किलो …

मुरादाबाद, अमृत विचार। गर्मी के दौरान शरीर में पानी की पूर्ति करने के लिए सबसे अच्छा विकल्प माना जाने वाला तरबूज भी शहरों को देखकर भाव खाता है। दिल्ली से आने वाला तरबूज 40-50 रुपये किलोग्राम तक बिक रहा है, जबकि शाहजहांपुर से आने वाले तरबूज के भाव मात्र 10-15 रुपये किलोग्राम है।

  • 40रुपये किलो बिक रहा दिल्ली का आंध्रा पीला तरबूज
  • 10रुपये किलोग्राम है शाहजहांपुर के तरबूज की कीमत

इन दिनों गर्मी चरम पर है। चिलचिलाती धूप ने लोगों का दोपहर में घर से निकलना मुहाल कर दिया है। गर्मी के कहर से बचने के लिए लोग तरबूज और खरबूजे का काफी ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। महानगर में तीन तरह के तरबूज बिक रहे हैं। सबसे ज्यादा बिक्री देसी तरबूज की हो रही है, लेकिन दिल्ली से आने वाले आंध्रा और जाफरानी तरबूज भी लोगों को खूब लुभा रहा है। लाल, पीले और गुलाबी रंग के यह तरबूज लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। तरबूजों की जितनी प्रजातियां हैं, उतने ही जायके भी हैं। गर्मी के मौसम में पानी की कमी हो जाती है। लू लगने का खतरा भी बना रहता है। ऐसे में तरबूज शरीर में पानी की कमी को पूरा करने का अच्छा और सस्ता विकल्प है। तरबूज लू से भी बचाव करता है। गर्भवतियों के लिए तरबूज बेहद मुफीद माना जाता है। उनके अंदर होने वाली पानी की कमी को यह काफी जल्दी से पूरा कर देता है।

कांठ रोड पर हर सीजन में तरबूज की फड़ लगाने वाले नया गांव पीएसी निवासी गोपीचंद ने बताया कि वह एक सीजन में करीब सात टन देसी और एक टन जाफरानी व आंध्रा तरबूज बेचते हैं। आंध्रा और जाफरानी तरबूज देसी के मुताबिक पांच गुना महंगा होता है। जबकि स्वाद और गुणवत्ता में देसी तरबूज ही उत्तम माना जाता है, जिन लोगों को कुछ अलग खाने का शौक होता है, वही जाफरानी और आंध्रा तरबूज खरीदते हैं। इसके अलावा सेंचुरी, सरदा और रामधारी किस्म के तरबूज भी खूब बिकते हैं।

जाफरानी तरबूज का रंग हरा और गूदा पीला
गोपीचंद ने बताया कि आंध्रा और जाफरानी तरबूज दिल्ली से लाते हैं, जबकि सेंचुरी, सरदा और रामधारी किस्म के तरबूज शाहजहांपुर से मंगाए जाते हैं। आंध्रा तरबूज का गूदा गुलाबी होता है। जबकि यह तरबूज पीले रंग का होता है। इसकी यही खूबसूरती लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। जाफरानी तरबूज का रंग हरा होता है, इसका गूदा भी पीला होता है। सड़क किनारे फड़ों पर सजे इन तरबूजों की खूबसूरती देख लोग अपने कदम नहीं रोक पाते।

पीले, गुलाबी रंग के तरबूज मोह रहे मन
इंद्र कुमार गोस्वामी ने बताया कि उन्हें रंग-बिरंगी तरबूज बहुत आकर्षित करते हैं, इसलिए वह मोलभाव के चक्कर में ज्यादा नहीं पड़ते हैं। इनका कहना है कि आसपास के जिलों से आने वाले तरबूज ज्यादा मीठे और सस्ते होते हैं, जबकि पीले, गुलाबी, रंग के तरबूजों की खूबसूरती मन को मोह लेते हैं। इसलिए महंगे होने के बावजूद लोग इन्हें खरीदते हैं।

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