साइरस मिस्त्री का विवादों से रहा नाता ! रतन टाटा के साथ मतभेद से लगा था कॉरपोरेट जगत को झटका
नयी दिल्ली। टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री एक ऐसा नाम था, जो कई सालों से विवादों में घिरा रहा। विवादों के कारण ही लोगों के बीच इनका नाम होने लगा। हलांकि साइरस शांत स्वभाव के माने जाते थे, लेकिन रतन टाटा के साथ उनके विवाद ने उन्हें एक अलग ही पहचान दी और …
नयी दिल्ली। टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री एक ऐसा नाम था, जो कई सालों से विवादों में घिरा रहा। विवादों के कारण ही लोगों के बीच इनका नाम होने लगा। हलांकि साइरस शांत स्वभाव के माने जाते थे, लेकिन रतन टाटा के साथ उनके विवाद ने उन्हें एक अलग ही पहचान दी और वह इस विवाद के बाद से ही अक्सर लाइमलाइट में रहने लगे थे। साइरस भारतीय मूल के सबसे सफल और ताकतवर कारोबारियों में से एक पल्लनजी मिस्त्री के बेटे हैं। उनके पिता ने न केवल उन्हें अपना पल्लनजी ग्रुप दिया बल्कि टाटा संस में अपने शेयर देकर सबसे बड़ा शेयरहोल्ड भी बनाने के साथ ही वह बोर्ड मेंबर भी बन गए थे।
साल 2012 में रतन टाटा के बाद साइरस मिस्त्री को टाटा संस का चेयरमैन नियुक्त किया गया था और साल 2016 में ही उन्हें पद से हटा दिया गया। इसी के बाद दोनों की बीच विवादों की खबरें सामने आने लगी थी और उन्हें हटाने का फैसला टाटा संस के बोर्ड ने ही लिया था। दोनों के बीच विवाद का सबसे बड़ा कारण था कंपनी को लेकर होने वाले फैसले। इनको लेकर मनमुटाव बढ़ने लगा था कि आखिर किन प्रोजेक्ट में निवेश करना है और क्या टाटा ग्रुप को अमेरिकी फास्ट फूड चेन से जोड़ा जाना चाहिए।
वहीं, टाटा ग्रुप ने मिस्त्री के मालिकाना हक वाले एसपी ग्रुप के शेयर को खरीदने और उसे टाटा सन्स में मिलाने का ऑफर दिया था जिसे मिस्त्री परिवार ने नहीं माना था। इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया तो रतन टाटा के पक्ष में फैसला आया। टाटा और साइरस के बीच नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट को लेकर भी बड़ा विवाद रहा है। इसे बनाने के ठेके को लेकर दोनों ही कंपनी होड़ में थीं, लेकिन आखिर में इसका काम टाटा ग्रुप के हाथ लगा था।
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