केवाईसी-लिंक के नाम पर ठगी के मामले तेजी से बढ़े, जालसाज उठा रहे संसाधनों की कमी का फायदा

केवाईसी-लिंक के नाम पर ठगी के मामले तेजी से बढ़े, जालसाज उठा रहे संसाधनों की कमी का फायदा

मुरादाबाद/अमृत विचार। साइबर जालसाज ठगी का रोज नया तरीका अख्तियार कर रहे हैं। इनमें लिंक भेजकर केवाईसी के नाम पर ठगी के मामले तेजी से बढ़े हैं। इसके अलावा फेसबुक पर मिलते जुलते नाम से अकाउंट बनाकर लोगों से रुपये मांगने, वीडियो कॉल पर अश्लील बात करते हुए रिकार्ड कर ब्लैकमेलिंग करने के साथ आईडी …

मुरादाबाद/अमृत विचार। साइबर जालसाज ठगी का रोज नया तरीका अख्तियार कर रहे हैं। इनमें लिंक भेजकर केवाईसी के नाम पर ठगी के मामले तेजी से बढ़े हैं। इसके अलावा फेसबुक पर मिलते जुलते नाम से अकाउंट बनाकर लोगों से रुपये मांगने, वीडियो कॉल पर अश्लील बात करते हुए रिकार्ड कर ब्लैकमेलिंग करने के साथ आईडी हैक कर सोशल मीडिया अकाउंट में छेड़छाड़ की वारदातें भी सामने आने लगी हैं। अब ठगी का एक नया पैटर्न काफी तेजी से चलन में आ रहा है, इसमें जालसाज पुराने मोबाइल फोन से डाटा चुरा रहे हैं और फिर इस डाटा का इस्तेमाल साइबर ठगी के लिए किया जा रहा है।

साइबर मामलों के जानकार अभय कुमार मिश्रा ने बताया कि साइबर ठगी के छिटपुट मामले तो पहले से ही आते रहे हैं। लेकिन, कोरोना कॉल में लॉकडाउन के दौरान केवाईसी के नाम पर या लिंक भेज कर ठगी के मामले अचानक से बढ़ गए। पुलिस ने इस मामले में लोगों को जागरूक किया तो जालसाजों ने रिमोट एप के जरिए ठगी शुरू कर दी। अब अश्लील वीडियो चैट रिकार्ड कर ब्लैकमेलिंग व फेसबुक पर किसी अकाउंट से मिलते जुलते नाम की आईडी बनाकर मैसेंजर के जरिए रुपये मांगने का धंधा जोरों पर है। पुलिस की ओर से लगातार सोशल मीडिया अकाउंट धारकों को इस तरह की ठगी के प्रति जागरूक किया जा रहा है।

संसाधनों की कमी का फायदा उठा रहे जालसाज : पुलिस अधिकारियों के मुताबिक जालसाज आम तौर पर किसी दूरस्थ स्थान पर बैठे होते हैं। उनकी धरपकड़ के लिए सबसे पहले उन्हें ट्रैक करने और पहचान करने की चुनौती होती है। इसके लिए समुचित संसाधन पुलिस के पास उपलब्ध नहीं हैं। यदि पुलिस इन जालसाजों को ट्रेस भी कर ले तो जिले की सीमा के बाहर जाकर उन्हें गिरफ्तार करने के लिए कई स्तर से अनुमति लेनी होती है। वहीं यदि राज्य की सीमा के बाहर जाना हो तो प्रक्रिया और भी मुश्किल हो जाती है। जालसाज इसी बात का भरपूर फायदा उठाते हैं।

जालसाजी के प्रमुख तरीके

स्पैमिंग
इस पैटर्न में अक्सर जालसाज किसी व्यक्ति के ई-मेल पर सहमति के बिना लुभावने स्पैम मेल भेजते हैं। इस मेल में कई तरह की लिंक्स होती हैं, जिन पर क्लिक करने से आपके कंप्यूटर या स्मार्टफोन का नियंत्रण उनके हाथों में चला जाता है। फिर वह बैंक खाते सहित कई निजी जानकारियां हासिल कर आपके खाते में सेंध लगा देते हैं।

स्टॉकिंग
इस पैटर्न में जालसाज अपने शिकार से अश्लील बातें कर या चैटिंग के माध्यम से झांसे में ले लेता है। फिर रिकॉर्ड की गई बातचीत व चैट के नाम पर व्यक्ति को ब्लैकमेल कर बैंक खाते से संबंधित जानकारी हासिल कर लेता और लोग ठगी का शिकार हो जाते हैं। इन दिनों इस तरह से ठगी के मामले तेजी से सामने आने लगे हैं।

स्पूफिंग
साइबर अपराध के क्षेत्र में ई-मेल स्पूफिंग को फिशिंग का हिस्सा मानते हैं और आसान भाषा में इसे चकमा देना कहा जाता है। इसमें जालसाज जानबूझकर ई-मेल के कुछ भाग को बदल देते हैं। कई बार इन मेल में लुभावनी बातों के साथ फर्जी और असुरक्षित वेबसाइट्स के लिंक्स भी डाले जाते हैं, जिनका मकसद केवल शिकार की गोपनीय जानकारी हासिल करना होता है।

सवर्ड क्रैकिंग
इस तरह के अपराध काफी गंभीर माने जाते हैं। इनमें साइबर अपराधी बार-बार पासवर्ड बदलकर मेल या नेट बैंकिंग खाते को अपने नियंत्रण में लेने की कोशिश करते हैं। साइबर विशेषज्ञों के मुताबिक इस तरह के मामलों से बचने के लिए हर जगह अलग-अलग और काफी मजबूत पैटर्न वाला पासवर्ड रखना चाहिए। पासवर्ड क्रैकिंग से बचने के लिए कई लोग सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल भी करते हैं।

फिसिंग
जालसाजी का यह तरीका काफी एडवांस है और इसमें आमतौर अपराधी कामयाब भी हो जाते हैं। इस प्रक्रिया में जालसाज अपने शिकार को कई सारे ई-मेल भेजकर झांसे में लेने का प्रयास करता है। फिर व्यक्ति को बहकाकर उनसे बैंक खाते, नेट बैंकिंग पासवर्ड या पिन नंबर पा लेता है और खाते से धन निकासी कर लेता है।

हैकिंग
डिजीटलाइजेशन के दौर में हैकिंग काफी चर्चित विषय है। इसमें जब कोई भी यूजर अनाधिकृत तरीके से किसी के कंप्यूटर सुरक्षा क्षेत्र में प्रवेश करता है तो इसे हैकिंग का नाम दिया जाता है। कई बार बड़े पैमाने पर हुई जालसाजी के मामलों में साइबर अपराधियों ने हैकिंग जैसी प्रक्रिया का प्रयोग किया है। इसमें कोई भी जालसाज, व्यक्ति के कंप्यूटर सिस्टम को अपने कंट्रोल में करके धोखाधड़ी को अंजाम देता है।

सेक्सटॉर्शन
इन दिनों ठगी का यह तरीका काफी प्रचलन में हैं। इसमें जालसाज किसी व्यक्ति को अनजान नंबर से वीडियो कॉल करता है। जैसे ही कोई यूजर इस कॉल को उठाता है तो सामने स्क्रीन पर कुछ आपत्तिजनक दृश्य दिखाई देते हैं। फिर अपराधी आपको इस बातचीत के कुछ स्क्रीन शॉट लेकर भेजते हैं और रुपयों की मांग करते हैं। विरोध करने पर फोटो वायरल करने की धमकी देते हैं।

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