बरेली: बेटे को खोया तो टीबी मरीजों की बनीं पालनहार

बरेली: बेटे को खोया तो टीबी मरीजों की बनीं पालनहार

बरेली/अमृत विचार, अंकित चौहान। जब दर्द बेहिसाब होने लगे तो दिमाग को किसी नेक काम में लगा दिया जाए तो वह मिसाल बन जाती है। इससे दर्द कम तो नहीं होता है लेकिन दूसरों की मुस्कान देखकर काफी हद तक मन को सुकून जरूर मिलता है। ऐसी ही शख्सियत हैं शहर के राजेंद्र नगर निवासी शालिनी …

बरेली/अमृत विचार, अंकित चौहान। जब दर्द बेहिसाब होने लगे तो दिमाग को किसी नेक काम में लगा दिया जाए तो वह मिसाल बन जाती है। इससे दर्द कम तो नहीं होता है लेकिन दूसरों की मुस्कान देखकर काफी हद तक मन को सुकून जरूर मिलता है। ऐसी ही शख्सियत हैं शहर के राजेंद्र नगर निवासी शालिनी अग्रवाल, जो टीबी मरीजों की मदद कर रही हैं।

उन्होंने वर्ष 2017 से अब तक करीब 250 टीबी के मरीजों और उनके परिवारों को गोद लेकर उनके खाने का खर्च वहन किया है। इस नेक कार्य के लिए उन्हें क्षय रोग दिवस पर 24 मार्च 2022 को राजभवन में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल द्वारा सम्मानित किया जा चुका है।

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शालिनी अग्रवाल ने बताया कि वर्ष 2016 तक उनकी जिंदगी बहुत ही सुखद पल दिखा रही थी। अचानक बेटे के सड़क दुर्घटना में गुजर जाने के बाद ऐसा लगा कि जैसे मानो समय ठहर गया हो और जिंदगी रुक सी गई हो। पति महेश चंद्र अग्रवाल के सहारा दिया। कुछ दिनों के बाद वह करेली के एसटीएस अनुज शर्मा मिलीं और उन्होंने बताया कि टीबी मरीजों की स्थिति बहुत खराब है।

सरकारी दवा तो मुफ्त मिल जाती है लेकिन इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए पौष्टिक खाना मिलना मुश्किल होता है। इसके बाद उन्होंने उस समय की जिला क्षय रोग अधिकारी डा. दीपा सिंह से मुलाकात की। उन्होंने टीबी के मरीजों को पौष्टिक खाना देने की सलाह दी। अनुज शर्मा ने बताया कि टीबी के मरीजों के घर जाकर उनकी स्थिति देखी।

जर्जर मकान और चार से पांच सदस्यों का परिवार, जिसमें एक कोई मजदूरी करने वाला और अगर घर के मुखिया को टीबी हो जाता है तो घर की हालत और खराब हो जाती है। घर के बाकी सदस्यों को भी खाने की दिक्कत होती है। यह बातें सुनकर हम लोगों ने फैसला किया कि पूरे परिवार को राशन देंगे। जब तक उनकी दवाइयां चलेंगी। मार्च 2017 मार्च से ही टीबी के मरीज और उनके परिवार को गोद लेने का सिलसिला शुरू कर दिया। पहली बार में 10 जरूरतमंद टीबी के मरीजों को उनकी रोजमर्रा की वस्तुएं दीं।

समाज के सक्षम लोग शालिनी अग्रवाल जैसी समाज सेविका से प्रेरणा लेकर जरूरतमंदों की मदद को आगे आ सकते हैं। वर्तमान में जनपद के कई लोगों ने टीबी के मरीजों के पोषण का जिम्मा ले रखा है, जो सराहनीय है। – डा. केके मिश्रा, जिला क्षय रोग अधिकारी

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