बरेली: ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक पर सिफारिश भी नहीं आ रहीं काम, विधायक, सांसद के परिजन और रिश्तेदार भी हो रहे फेल

बरेली: ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक पर सिफारिश भी नहीं आ रहीं काम, विधायक, सांसद के परिजन और रिश्तेदार भी हो रहे फेल

बरेली, अमृत विचार। स्थायी ड्राइविंग लाइसेंस में चलने वाली सिफारिशों का दौर अब खत्म हो गया है। पारदर्शिता लाने को अब हाईटेक सिस्टम लागू है, जिसमें आवेदक को स्वयं वाहन चला कर दिखाना होता है। यदि वाहन चलाकर नहीं दिखाया तो लाइसेंस जारी नहीं होगा। सब कुछ जानते हुए भी तमाम राजनेता अधिकारियों को फोन …

बरेली, अमृत विचार। स्थायी ड्राइविंग लाइसेंस में चलने वाली सिफारिशों का दौर अब खत्म हो गया है। पारदर्शिता लाने को अब हाईटेक सिस्टम लागू है, जिसमें आवेदक को स्वयं वाहन चला कर दिखाना होता है। यदि वाहन चलाकर नहीं दिखाया तो लाइसेंस जारी नहीं होगा। सब कुछ जानते हुए भी तमाम राजनेता अधिकारियों को फोन करते हैं कि यह हमारा व्यक्ति है। इसका लाइसेंस बनवा दीजिए, लेकिन अब अधिकारी निजी एजेंसी का हवाला देकर माननीयों को मना कर दे रहे हैं। अब तक कई जनप्रतिनिधियों के परिजन और रिश्तेदार भी ऑटोमेटिक ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक पर फेल हो चुके हैं। अब तक 15 दिनों में सिर्फ चार लोग ही टेस्ट पास कर पाए हैं।

ड्राइविंग लाइसेंस की प्रक्रिया को दलालों से बचाने को अब जटिल बना दिया गया है। इसमें पारदर्शिता के लिए हाईटेक तकनीक अपनाई जा रही है। 4 जुलाई को प्रदेश सरकार के 100 दिन पूरे होने के उपलक्ष्य में ऑटोमेटिक ड्राइविंग टेस्ट ट्रेक की शुरुआत की गई थी। परसाखेड़ा में बना एडीटीटी प्रदेश का दूसरा हाईटेक टेस्टिंग ट्रैक है। आवेदक की गाड़ी अगर लाइन को छूती है तो कंप्यूटर द्वारा उसे फेल होने की रसीद दी जाती है। ट्रैक पर एच, ऑफ, एस, पार्किंग, यूटर्न, आठ, जेब्रा क्रॉसिंग, प्रमुख ट्रैफिक सिग्नल बनाए गए हैं।

सभी जगह सेंसर लगे हैं जिन्हें कंट्रोल रूम से जोड़ा गया है। बरेली से पहले कानपुर में एडीटीटी टेस्टिंग ट्रैक बनाया गया था। 4 जुलाई से लेकर 16 जुलाई तक सिर्फ चार लोग ही ऑटोमेटिक ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक पर कार और बाइक चलाकर दिखा पाए हैं। बताया जा रहा है कि जिले के एक मजबूत पकड़ रखने वाले माननीय के रिश्तेदार भी जब टेस्ट देने के लिए पहुंचे तो अधिकारियों के पास पास कराने के लिए कॉल पहुंची मगर अधिकारियों ने निजी एजेंसी का हवाला देते हुए अपने हाथ खड़े कर लिए। नतीजा यह रहा कि माननीय के रिश्तेदार भी ऑटोमेटिक ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक पर फेल हो गए। इसके अलावा भी कई माननीयों ने सिफारिश की लेकिन उनकी न चली।

जूते पहनकर न आने पर कर रहे वापस
शासन की तरफ से लर्निंग लाइसेंस बनाने के लिए काफी कड़े नियम कर दिए गए हैं। ऐसे में लाइसेंस बनवाने में लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए अब आवेदक के पास बाइक और कार का होना जरूरी है। वजह है कि लर्निंग लाइसेंस के बाद स्थायी लाइसेंस बनवाने के लिए परसाखेड़ा में ऑटोमेटिक ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक पर कार और बाइक चलवाकर देखी जा रही है।

ऐसे में बाइक और कार नहीं होने पर आवेदक को टेस्ट नहीं देने दिया जा रहा है। इसके बाद उन्हें निराश होकर लौटना पड़ रहा है। वहीं ट्रैक पर बाइक चलाने से पहले आवेदक के पैर में जूते भी देखे जा रहे हैं क्योंकि नियम के तहत उन्हें इसे पहनना जरूरी है। इसके अलावा बाइक का टेस्ट देते समय हेलमेट का होना भी अनिवार्य है।

परसाखेड़ा में बनाए गए ट्रैक पर सभी आवेदकों को वाहन चलाना अनिवार्य है। कंप्यूटर द्वारा ही फेल और पास होने की रसीद दी जा रही है। प्राइवेट कंपनी के माध्यम से ही उसका संचालन किया जा रहा हैएमपी सिंह, आरआई।

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