Delhi HC: CHRI का पंजीकरण निलंबन, अब केंद्र सीलबंद लिफाफे में देगा सूचना

नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने विदेशी चंदा (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए) के कथित उल्लंघन के लिए कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव (सीएचआरआई) का पंजीकरण 180 दिन के लिए निलंबित करने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को केन्द्र को सीलबंद लिफाफे में सूचना प्रस्तुत करने की अनुमति दे दी। न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने …
नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने विदेशी चंदा (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए) के कथित उल्लंघन के लिए कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव (सीएचआरआई) का पंजीकरण 180 दिन के लिए निलंबित करने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को केन्द्र को सीलबंद लिफाफे में सूचना प्रस्तुत करने की अनुमति दे दी।
न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने केंद्र के वकील से इस तरह से सूचना मुहैया कराने के अनुरोध के पीछे के कारण पर सवाल उठाते हुए कहा, ”आप जो कुछ भी चाहते हैं उसे भेजें।” न्यायाधीश ने कहा, ”किसी संविधि की व्याख्या में क्या रहस्य होने जा रहा है? मैं निलंबन पर नहीं बल्कि अंतरिम व्यवस्था पर विचार कर रही हूं।” केंद्र के स्थायी वकील अनिल सोनी ने बताया कि साझा की जाने वाली जानकारी गोपनीय दस्तावेज है।
उन्होंने कहा, ”यह एक गोपनीय दस्तावेज है। वह सीलबंद लिफाफे में भेजना चाहते हैं। गुप्तचर जानकारी भी आएगी।” अदालत ने फिर भी सोनी को इस पर गौर करने के लिए कहा और मामले को 29 जुलाई को सुनवायी के लिए सूचीबद्ध कर दिया। उच्च न्यायालय ने इस महीने के शुरू में कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव (सीएचआरआई) की उस याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा था।
इस संगठन ने याचिका में विदेशी चंदा (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए) के कथित उल्लंघन के लिए 180 दिन के लिए अपना पंजीकरण निलंबित किये जाने को चुनौती देने के साथ ही विदेशी वित्तपोषण के रूप में प्राप्त राशि में से 25 प्रतिशत का उपयोग करने की अनुमति देने का अनुरोध किया था।
सीएचआरआई ने 7 जून के निलंबन आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए आरोप लगाया है कि यह “बिल्कुल अधिकार क्षेत्र के बिना है, एफसीआरए की धारा 13 का अधिकारातीत, अनुचित, स्पष्ट रूप से मनमाना, अत्यधिक है क्योंकि यह पूरी तरह से गलत तथ्यों पर आधारित है। सीएचआरआई ने तर्क दिया है कि निलंबन आदेश से उसका कामकाज को बुरी तरह से प्रभावित हुआ है, इसके कर्मचारियों की आजीविका को खतरा है और यह उसकी प्रतिष्ठा पर धब्बा है।
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