चितई मंदिर: यहां स्टांप पेपर पर लगी अर्जी से होता है देवता का न्याय

चितई मंदिर: यहां स्टांप पेपर पर लगी अर्जी से होता है देवता का न्याय

हल्द्वानी, अमृत विचार। न्याय के देवता कहे जाने वाले वाले गोल्ज्यू देवता के प्रति पहाड़ के लोगों में अट्टू आस्था है। मान्यता है कि गोलू देवता के मंदिर में अर्जी लगाने से हर व्यक्ति को जल्द ही न्याय मिलता है। इसके अलावा उनकी मनोकामनाएं भी पूरी हो जाती हैं। ऐसा ही एक मंदिर अल्मोड़ा से …

हल्द्वानी, अमृत विचार। न्याय के देवता कहे जाने वाले वाले गोल्ज्यू देवता के प्रति पहाड़ के लोगों में अट्टू आस्था है। मान्यता है कि गोलू देवता के मंदिर में अर्जी लगाने से हर व्यक्ति को जल्द ही न्याय मिलता है। इसके अलावा उनकी मनोकामनाएं भी पूरी हो जाती हैं। ऐसा ही एक मंदिर अल्मोड़ा से 8 किमी दूर चितई मंदिर भी है। गोलू देवता के इस मंदिर में हर साल लाखों भक्त दर्शन के लिए आते हैं।

यहां पर गोलू देवता की अध्यक्षता में गौर भैरव के रूप में भगवान शिव विराजमान हैं। चितई मंदिर को इसकी परिसर में लटकी तांबे की घंटियों द्वारा आसानी से पहचाना जा सकता है। गोलू देवता को न्याय का भगवान माना जाता है और यह एक आम धारणा है कि जब कोई व्यक्ति उत्तराखंड में आपके किसी मंदिर में पूजा करता है तो गोलू देवता उसे न्याय प्रदान करते हैं और अपने भक्तों की इच्छा पूरी करते हैं। इस पावन मंदिर में विदेशों से भी लोग दर्शन को आते हैं। इस मंदिर की मान्यता दूर-दर तक है।

 

ऐसे पहुचें चितई मंदिर
बाहर से आने वाले लोगों को अगर गोलू देवता के मंदिर चितई के दर्शन करने हों तो वह सबसे पहले उन्हें काठगोदाम या हल्द्वानी आना होगा। यहां से अल्मोड़ा से लिए हमेशा बस सेवा और टैक्सी सेवा उपलब्ध रहती है। अगर बुकिंग द्वारा जाना हो तो यहां से सीधे चितई मंदिर के लिए टैक्सी सेवा भी उपलब्ध हो जाती है।

मन्नत पूरी होने पर चढ़ाते हैं घंटियां

यहां स्टांप पेपर पर अपनी बात लिखकर श्रद्धालु न्याय के देवता गोलू से न्याय की गुहार लगाते हैं। यहां सच्चे व्यक्ति की बात गोलू देवता सुनते हैं और उसके साथ न्याय करते हैं। इसकी साक्षी मंदिर परिसर में चढ़ी अनगिनत घंटियां हैं, जो अपनी मुराद पुरी होने पर लोग गोलू देवता के सम्मान में चढ़ाते हैँ।