शपथ पत्र के मुताबिक तोमर किसान नहीं, समाजसेवी हैं -दिग्विजय ने मांगा जवाब

शपथ पत्र के मुताबिक तोमर किसान नहीं, समाजसेवी हैं -दिग्विजय ने मांगा जवाब

ज्ञानेंद्र सिंह, नई दिल्ली। किसान आंदोलन को लेकर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह द्वारा लिखे गए एक पत्र ने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को परेशानी में डाल दिया है। पत्र का आशय है कि तोमर का किसानों से कभी कोई लेना-देना नहीं रहा है और न ही उनकी पृष्ठभूमि किसानों की है, वे तो समाज …

ज्ञानेंद्र सिंह, नई दिल्ली। किसान आंदोलन को लेकर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह द्वारा लिखे गए एक पत्र ने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को परेशानी में डाल दिया है। पत्र का आशय है कि तोमर का किसानों से कभी कोई लेना-देना नहीं रहा है और न ही उनकी पृष्ठभूमि किसानों की है, वे तो समाज सेवी हैं। पत्र के मुताबिक यह तथ्य तोमर ने निर्वाचन आयोग को दिए शपथ पत्र में स्वयं दर्ज कराए हैं।

उल्लेखनीय है कि किसान आंदोलन की शुरुआत में कृषि मंत्री तोमर ने किसानों को संबोधित 8 पेज का एक पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने स्वयं को किसान परिवार से बताया था। मगर दिग्विजय सिंह के पत्र के मुताबिक तोमर ने लोकसभा चुनाव 2014 के दौरान चुनाव आयोग को दिए गए शपथ पत्र में अपनी संपत्ति की जानकारी में यह स्वीकार किया था कि उनके पास कोई भी कृषि भूमि नहीं है।

तोमर ने अपने व्यवसाय के कॉलम में किसान नहीं बल्कि समाजसेवी होने का तथ्य दर्ज कराया था। दिग्विजय सिंह ने उसी शपथ पत्र के आधार पर तोमर को पत्र लिखकर पूछा है यदि आप किसान हैं तो शपथ पत्र झूठा है और यदि शपथ पत्र सही है तो आप किसान नहीं है। अभी तक कृषि मंत्री ने मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के पत्र का जवाब नहीं दिया है। यह भी एक संयोग है कि दोनों नेता एक ही राज्य से है।

इस पत्र के आधार पर तोमर के संसदीय क्षेत्र के कुछ लोगों ने केंद्रीय निर्वाचन आयोग को भी पत्र भेजा है और शपथ पत्र की जांच करवाने की मांग की है। उल्लेखनीय है कि पिछले 7 महीने से कृषि से संबंधित तीन कानूनों के विरोध में किसान आंदोलनरत हैं। उसी संदर्भ में कांग्रेस नेता ने उन्हें पत्र लिखा था कि यदि कृषि कानूनों को संसद की प्रवर समिति को सौंप दिया होता तो किसान आंदोलन की नौबत ही न आती।

कांग्रेस सहित सभी पार्टियों ने कृषि विधेयकों पर चर्चा कराने की मांग की थी मगर उसे भी निरस्त कर दिया गया था जबकि संसदीय परंपराओं में यदि एक भी सदस्य मत विभाजन की मांग करता है तो लोकसभा अध्यक्ष को मानना पड़ता है। उन्होंने अपने पत्र के माध्यम से कृषि मंत्री पर आरोप लगाया है कि सभी संसदीय परंपराओं को ठुकराते हुए मनमाने तरीके से कृषि बिल पास कराए गए और भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक काला अध्याय जोड़ दिया गया। यह सब कार्पोरेट जगत को लाभ पहुंचाने के लिए किया गया है।

इस पत्र के माध्यम से उन्होंने कृषि मंत्री से 10 सवाल किए थे मगर लंबा अरसा बीत जाने के बाद भी जवाब नहीं मिला है। उल्लेखनीय है कि कृषि क्षेत्र के तीनों कानूनों के विरोध में किसान देशभर में आंदोलनरत है और दिल्ली सीमा पर पिछले 6 माह से ज्यादा समय से धरने पर बैठे हुए हैं। जिसमें कई किसानों की अब तक मृत्यु भी हो चुकी है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी हाईकमान ने कुछ बड़े लोगों को आंदोलन समाप्त करवाने के लिए लगाया है। कृषि मंत्री तोमर ने भी किसानों को फिर से बातचीत का न्योता भेजा है।

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