बरेली: टैंक में घुसी बाघिन, ट्रेंक्यूलाइज करने के लिए पहुंची पीलीभीत से विशेष टीम

बरेली: टैंक में घुसी बाघिन, ट्रेंक्यूलाइज करने के लिए पहुंची पीलीभीत से विशेष टीम

बरेली, अमृत विचार। डेढ़ साल तक विशेषज्ञों की टीम को छकाने और लाखों रुपये खर्च कराने के बाद आखिरकार बरेली की बंद पड़ी रबर फैक्ट्री में घूम रही बाघिन को जाल में फंसाने की तैयारी है। अब उसे ट्रेंक्यूलाइज करने के लिए पीलीभीत टाइगर रिजर्व की टीम मौके पर पहुंच गई है। बाघिन को पकड़ने …

बरेली, अमृत विचार। डेढ़ साल तक विशेषज्ञों की टीम को छकाने और लाखों रुपये खर्च कराने के बाद आखिरकार बरेली की बंद पड़ी रबर फैक्ट्री में घूम रही बाघिन को जाल में फंसाने की तैयारी है। अब उसे ट्रेंक्यूलाइज करने के लिए पीलीभीत टाइगर रिजर्व की टीम मौके पर पहुंच गई है। बाघिन को पकड़ने की कवायद में पीलीभीत टाइगर रिर्जव, वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट देहरादून और वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया की टीमें लगी हुई थीं। बाघिन बार बार अपनी लोकेशन बदल रही थी, इसके चलते टीम को सफलता नहीं मिल रही थी।

इसके अलावा कोरोना की पहली और दूसरी लहर ने भी ऑपरेशन टाइगर में खलल डाला। हाल ही में विशेषज्ञों की टीम ने ऑपरेशन टाइगर की रफ्तार तेज की थी लेकिन बारिश ने मुश्किल पैदा कर दी थी। इसके चलते पीलीभीत टाइगर रिर्जव और वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट देहरादून की टीमें वापस लौट गईं थीं। लेकिन वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया की टीम लगातार बाघिन को पकड़ने में लगी। बाघिन की लोकेशन के हिसाब से कभी पड्डे तो कभी सुअर को बांधा जा रहा था। लेकिन बाघिन इतनी शातिर थी कि विशेषज्ञों के बिछाए जाल के पास आकर वहां से चली जाती थी।

पीटीआर, डब्लूटीआई, और बरेली वन विभाग की टीमें बाघिन के जाल में आने का इंतज़ार कर रही हैं। इस बार बाघिन जिस टैंक में फंसी है उस टैंक से निकलने का एक ही रास्ता है जहां विभाग ने जाल लागया है। उसका जाल में आना तय माना जा रहा है। इसके बाद उसे ट्रेंकुलाइज किया जाएगा। मौके पर मौजूद टीमें निगरानी कर रही हैं लोगों को मौके से हटा दिया गया है कुछ बाहरी लोग भी अंदर आ गए थे जिसके रेस्क्यू में खलल पड़ा।

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