मदर्स डे: एक पीसीएस अधिकारी अपने बच्चों को गले लगाकर भी नहीं सो सकती, जानिए क्यों…

मदर्स डे: एक पीसीएस अधिकारी अपने बच्चों को गले लगाकर भी नहीं सो सकती, जानिए क्यों…

बबीता पटवाल, हल्द्वानी। मां…शब्द सुनते ही हमारे सामने महिला की एक ऐसी तस्वीर आती है जो बच्चों को गोद में लेकर अपने आंचल में छिपा लेती है और दुनिया जहां की मुसीबतों से बचाती है। वह अपनी औलादों से प्यार करती है और उकी खूब बलाएं लेती है। मां बच्चों की पहली दोस्त और पाठशाला …

बबीता पटवाल, हल्द्वानी। मां…शब्द सुनते ही हमारे सामने महिला की एक ऐसी तस्वीर आती है जो बच्चों को गोद में लेकर अपने आंचल में छिपा लेती है और दुनिया जहां की मुसीबतों से बचाती है। वह अपनी औलादों से प्यार करती है और उकी खूब बलाएं लेती है। मां बच्चों की पहली दोस्त और पाठशाला होती है। दुनिया की हर मां का बस यही ख्वाब होता है कि अपने बच्चों को प्यार और दुलार करना। लेकिन इस मदर्स डे पर हम बात करेंगे एक ऐसी मां की जो कोरोना वॉरियर हैं और चाह कर भी अपने बच्चे को गले नहीं लगा पाती प्यार नहीं कर पाती।

वह बच्चे के साथ बेड पर भी विपरीत दिशा में सोती है कि कहीं उसकी सांसों से संक्रमण नहीं हो जाए। अब इसे मां की बेबसी कहें या बच्चे की सुरक्षा के प्रति चिंता। जो भी हो एक तहसील और कुमाऊं के सबसे बड़े महानगर का जिम्मेदारी बखूबी संभालती हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं पीसीएस अधिकारी ऋचा सिंह की।

पीसीएस ऋचा सिंह के पास एसडीएम लालकुआं और नगर मजिस्ट्रेट हल्द्वानी का चार्ज है। इन दिनों कोविड-19 महामारी का प्रबंधन शासन से प्रशासन तक चुनौती बना हुआ है। बतौर प्रशासनिक अधिकारी बार्डर पर चेकिंग, रोडवेज और रेलवे स्टेशनों पर बाहरी राज्यों से आने वाले लोगों की चेकिंग, शमसान घाटों का निरीक्षण, कोविड केयर सेंटर-अस्पतालों में निरीक्षण, अफसरों-जनता के साथ मीटिंग और पोस्टमार्टम हाउस में महामारी प्रबंधन देखना। प्रशासनिक कार्यों को अंजाम देना और कर्मचारियों से मिलना, यह उनकी दिनचर्या का हिस्सा है। इस दौरान कोरोना वायरस संक्रमण का खतरा भी उनमें सबसे ज्यादा है।

वह दो बच्चों एक बेटा और बेटी की मां है। बेटी दस साल की वंशिका और बेटा पांच साल का आदविक है। जब वह घर पहुंचती हैं तो बच्चे उनके पास आती हैं तो वह तुरंत दूर हटा देती हैं। वह सबसे पहले स्नान करती हैं। तब कहीं जाकर बच्चों को सिर्फ खाना खिला पाती हैं। बच्चे बार-बार मां से प्यार करने उनकी गोद में आने की कोशिश करती हैं लेकिन उन्हें संक्रमण के डर से दूर ही रखती हैं। बच्चों को दूर से ही कहानी सुनाकर बहला फुसला देती है।

पहले ही प्रयास में पास की पीसीएस परीक्षा 
ऋचा सिंह मूल रुप से उप्र के हरदोई जिले के रहने वाली हैं। अवध यूनिवर्सिटी से उन्हें पढ़ाई की। उन्होंने पहले प्रयास में ही उत्तराखंड पीसीएस की कठिन परीक्षा पास कर ली। उनके पिता डॉक्टर थे और उन्हीं से उन्हें प्रशासनिक सेवाओं में आने की प्रेरणा मिली। उनके पति भुवन सिंह शिक्षा विभाग उप्र में हैं। वह अपने पति और बेटी को अपनी प्रेरणा मानती हैं।

बेटी ने दिलवाया बेस्ट मॉम का अवार्ड 
ऋचा सिंह बताती हैं कि प्रशासनिक सेवाओं के दौरान उन्हें बच्चों को पढ़ाने का समय कम मिलता है। फिर भी उनकी बिटिया ने खूब मेहनत से पढ़ाई की और स्कूल में टॉप किया। तब स्कूल प्रबंधन ने उन्हें बेस्ट मॉम को अवार्ड दिया था जिसका पूरा श्रेय उनकी बेटी वंशिका को ही जाता है। वह बेटे को भी समय से खाना खिलाने और पढ़ाई में भी मदद करती है।

छलक गए आंसू जब बेटे ने कहा कि मां मेरा भी कोई सिर काट ले जाएगा
सिटी मजिस्ट्रेट ऋचा सिंह बताती हैं कि जब वह घर लौटती हैं तो बच्चों को प्यार नहीं कर पाती है। वह बेड पर भी बेटे को विपरीत दिशा में सुलाती हैं ताकि उनकी सांसों से बेटे को कोई संक्रमण नहीं हो। इस पर उनके बेटे ने कहा कि “मम्मी आप मेरी तरफ मुंह करके क्यों नहीं सोती हो कहीं हाथिनी के बच्चे का सिर काट कर गणेश जी के लिए ले गए थे। कहीं कोई मेरा सिर काट कर ले गया तो क्या होगा”। इस पर उनकी आंखों से आंसू छलक गए लेकिन फिर भी चाहकर बेटे को कलेजे से नहीं लगा सकी।

ऋचा सिंह ने सभी माताओं को मदर्स डे की शुभकामनाएं दी हैं। यह मां की ही जिम्मेदारी हैं कि वे अपने बच्चों को संस्कार दें। एक मां ही अपने बच्चे की पहली गुरु होती है। इसलिए हमें ध्यान रखना चाहिए की हम अपने बच्चों को क्या सिखा रहे हैं। हम अपने बच्चों को धार्मिक चीजों से जोड़े। सकारात्मक सोच रखे क्योंकि इससे बच्चों में भी इसका असर पड़ता है-ऋचा सिंह सिटी मजिस्ट्रेट

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